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Kargil Hero: कारगिल युद्ध के हीरो ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर से जानिए हम युद्ध कैसे जीते थे

Kargil story by brigadier khushal thakur on winning kargil

ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर सेवानिवृत्त कारगिल के हीरो, जिनके बारे में आपको भी जानना चाहिए। इनके बारे में बताएं तो कारगिल युद्ध में 18 ग्रेनेडियर के कमान अधिकारी के रूप में टाइगर हिल व तोलोलिंग की चोटियाें से पाकिस्तानी घुसपैठियाें को खदेड़ कर कब्जा करने में इनका बहुत बड़ा योगदान था। इस बहादुरी के लिए उन्‍हें युद्ध सेवा मेडल भी मिला। (Brigadier Khushal Thakur Kargil Hero)

ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर के जीवन से जुड़ी कुछ बातों को जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे। जिन्होंने अपनी टीम के साथ तोलोलिंग चोटी पर तिरंगा फहराया और टाइगर हिल को भी फतह किया था। कारगिल युद्ध को हुए 22 वर्ष से ज्यादा का समय हो गया है। लेकिन इस युद्ध में भारतीय वीर सपूतों की बहादूरी की दास्तां को सुनकर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। इन्हीं बहादूर सैनिकों में से एक हैं ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर । जिन्होंने मौसम और घात लगाए बैठे दुश्मनों को परास्त करते हुए कारगिल विजय में अहम भूमिका अदा की। आइए जानते हैं उनके बारे में।

कारगिल युद्ध में बहादुरी (Brigadier Khushal Thakur)

वर्ष 1999 में जब 18 ग्रेनेडियर यूनिट को कारगिल युद्ध (Kargil War) में जाने के आदेश सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर को मिला तो पूरी यूनिट के 900 जवान 15 मई को मोर्चे पर बढ़ गए। चोटी पर घात लगाकर बैठे पाकिस्तानी सेना के घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए ऑपरेशन विजय शुरू किया गया। अन्य यूनिट के जवानों के साथ 18 ग्रेनेडियर ने भी जमकर लोहा लिया। उन्होंने टाइगर हिल को दुश्मनों के कब्जे से छुड़ाकर तिरंगा फहराया था।

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दुश्मनों का डटकर मुकाबला (Brigadier Khushal Thakur)

बर्फबारी और तेज हवाओं के बीच दुश्मनों की गोलियों का जवाब देते हुए सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर और उनकी टीम ने सबसे पहले तोलोलिंग चोटी को फतह किया। दिन के समय जवान छोटे-छोटे पत्थरों के पीछे छिपते थे और वहां से दुश्मनों की हर हरकत पर नजर रखते थे। असीम शौर्य का परिचय देते हुए 18 ग्रेनेडियर के 35 जवानों ने सर्वोच्च बलिदान दिया। 95 जाबांज घायल हुए। घायल व शहीद हुए एक-एक जवान को आठ जवानों द्वारा नीचे पहुंचाया जाता था।

योजना बनाकर युद्ध की शुरुआत (Brigadier Khushal Thakur)

18 ग्रेनेडियर की कमांडो टीम का नेतृत्व कैप्टन बलवान सिंह ने किया था। जवानों ने अपने खाने के सामान को कम करके उस स्थान पर भी असला और बारूद भर लिया था। तोलोलिंग चोटी पर कब्जा करने की कोशिश में 18 ग्रेनेडियर के 4 अधिकारियों सहित 25 जवान शहीद हुए। राजपूताना राइफल्ज के 3 अधिकारियों सहित 10 जवान शहीद हुए। ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर कहते हैं कि टाइगर हिल पर भारतीय सेना के तिरंगा लहराते ही पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ अमेरिका के राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के पास गए और उनसे बिना शर्त युद्ध विराम की गुहार लगाई, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने कहा कि जब तक भारत की सीमा से घुसपैठियों को नहीं खदेड़ दिया जाएगा तब तक युद्ध विराम नहीं होगा।

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दुश्मनों को कर दिया था परास्त (Brigadier Khushal Thakur)

ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर चोटी पर बैठा दुश्मन सेना की हर हरकत पर नजर रखे हुए थे और वह बड़ी आसानी से इस अभियान को नुकसान पहुंचाते रहे। सबसे पहले मेजर राजेश अधिकारी शहीद हुए। एक बड़े नुकसान के बाद कर्नल खुशाल ठाकुर ने स्वयं मोर्चा संभालने की ठानी और अभियान को सफल बनाया। 13 जून 1999 की रात को 18 ग्रेनेडियर व 2 राजपूताना राइफल्ज ने 24 दिन के रात-दिन संघर्ष के बाद तोलोलिंग पर कब्जा किया, परंतु तोलोलिंग की सफलता बहुत महंगी साबित हुई। इस संघर्ष में लेफ्टिनेंट कर्नल विश्वनाथन बुरी तरह घायल हुए और अंतत: कर्नल खुशाल ठाकुर जी की गोद में प्राण त्याग कर वीरगति को प्राप्त हुए।

सेवा मेडल का सम्मान (Brigadier Khushal Thakur)

कारगिल युद्ध (Kargil War) में अदम्य साहस के लिए 18 ग्रेनेडियर को 52 वीरता पुरस्कार दिए गए। 18 ग्रेनेडियर का नेतृत्व करने के लिए ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर को युद्ध सेवा मेडल से नवाजा गया था। यही नहीं ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर जी ने कारगिल युद्ध के बाद 2007-08 में दोबारा एक वालंटियर के रूप में कार्य किया था। आज उनकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है। जिस तरह उन्होंने और उनकी टीम ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाए उसकी जितनी प्रशंसा की जाए कम है।

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