पेड़-पौधों की कटाई हो या प्लास्टिक का उपयोग, इन सभी कार्यों से दिन-प्रतिदिन पर्यावरण असन्तुलित होता जा रहा। लेकिन ऐसे बहुत से व्यक्ति हैं जो पर्यावरण को सुरक्षित करने में अपना कदम आगे बढ़ा रहे हैं। आज हम आपको एक ऐसे हीं शख्स के विषय मे बताएंगे जिनका घर इको फ्रेंडली है और जो पर्यावरण संरक्षण हेतु हमेशा प्रयासरत रहते हैं।
कर्नाटक के जितेंद्र
47 वर्षीय जितेंद्र (Jitendra) कर्नाटक (Karnataka) के हुबली (Hubli) के निवासी हैं। वह आर्किटेक्ट हैं। वह 24 वर्षों से इस कार्य को कर रहे हैं। वे उन चीज़ों का उपयोग दुबारा करना चाहतें हैं जिसे सब एक बार उपयोग कर उसे अनुपयोगी समझते हैं। वह कार्बन फुटप्रिंट के बचाव के लिए जब कोई इमारत को उनकी देख-रेख में तोड़ा जाता है तो उसकी हर एक चीज को सुरक्षित रखते हैं ताकि सही कर उसका पुनः उपयोग हो सके। उनका हुबली में एक आर्किटेक्चर फर्म भी है जिसका नाम “इंफ्रास्ट्रक्चर वन” है। उसके माध्यम से उन्होंने कुछ ही सालों में 200 से करीब प्रोजेक्ट को सम्पन्न भी किया है। बीते कुछ वर्षों में वह पूरी तरह ग्रीन बिल्डिंग को फोकस किए हैं। लेकिन बहुत हीं जल्द उनका यह ग्रीन बिल्डिंग निर्माण का कार्य खत्म होगा क्योंकि सभी की चाहत यह है कि ये अगर नया घर बना रहे हैं तो हर चीज नई उपयोग करें ना कि जो एक बार उपयोग है वो।

लोगों की सोंच को मानतें है गलत
उन्होंने यह बताया कि लोगों को पुरानी चीजें अपने घर में लगाना पसन्द नहीं जो कि गलत है। उन्होंने जब अपना घर बनाया तब खुद वह उन सभी सामग्रियों का उपयोग किए जो एक बार उपयोग हो चुके थे। उन्होंने ढाई सौ वर्ग फीट भूमि में अपने घर का निर्माण किया जिसमे 40% कम खर्च लगा। उन्होंने खुद के घर को इसलिए ऐसा बनाया ताकि वह लोगों के लिए उदाहरण बनें और उन्हें पहले हीं किसी भी चीज को रीयूज करना पसंद था।
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सीखा चीजों का उपयोग करना

वह अपनी पढ़ाई संपन्न कर अहमदाबाद आए तब उन्होंने वहां केवी जैन और एसोसिएट के तहत कुछ वर्षों तक कार्य किया। वहां पर उन्होंने अप साइकिलिंग सीखी और साथ हीं किसी भी चीज को दोबारा किस तरह उपयोग करना है यह समझ पाए। उन्होंने यह निर्णय लिया कि वह 2010 में घर बनाएंगे। इसी दौरान उन्होंने ग्रीन बिल्डिंग के निर्माण का निश्चय किया ताकि वह लोगों को यह समझा पाएं की ग्रीन आर्किटेक्चर कितना उपयोगी है। उसके लिए उन्होंने अपने घर में फेरोसीमेंट का उपयोग किया इसका वजन हल्का था इस कारण उनका घर बहुत हीं जल्द 9 महीने में बनकर तैयार हो गया। प्री-स्लैब का इस्तेमाल अधिकतर छत और उनके घर के बाहरी भाग में किया गया है जिससे उनका घर देखने में बहुत ही मनोरम है।

साथ हीं उन्होंने अपने घर के निर्माण में जहां लकड़ियों की आवश्यकता पड़ी वहां उन्होंने एक बार यूज हुई लकड़ियों का भी प्रयोग किया जिसमें उन्हें बहुत हीं कम लागत लगा साथ हीं घर में अगर फर्नीचर है तो उन्हीं स्क्रैप लकड़ियों के उपयोग से हीं फर्नीचर का निर्माण हुआ है।
इको फ्रेंडली है घर
हम यह बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि जब सूर्य का प्रकाश आता है तो हमारा घर बहुत हीं जल्दी गर्म हो जाता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने दीवार पर बांस की झाङियां लगाई हैं जिस कारण दीवार को ठंडक मिलती है और घर भी ठंडा रहता है। उन्होंने अपने घर में प्लास्टर नहीं कराया है क्योंकि ऐसा करने से सिर्फ घर की शोभा बढ़ती है वह मजबूत नहीं होता। इतना हीं नहीं उन्होंने वेंटीलेशन का भी पूरा ध्यान रखा है। उन्होंने फनल इफेक्ट का उपयोग खिड़कियों में किया है जिसके कारण एयर सरकुलेशन बना रहता है। घर में प्रकाश की रोशनी पूरा दिन रहे इस कारण हर तरफ बड़ी-बड़ी खिड़कियां लगी हुई है। पानी को इकट्ठा कर रखा जाए इसके लिए उन्होंने रेन वाटर हार्वेस्टिंग और सोलर हीटिंग पावर सिस्टम का उपयोग भी किया है।

इको फ्रेंडली घर का निर्माण करने और अन्य व्यक्तियों को भी इस कार्य के लिए प्रेरित करने के लिए The Logically जितेंद्र जी को सलाम करता है।
