ज्यादातर किसान पारंपरिक खेती छोड़ कर भिन्न-भिन्न प्रकार की खेती कर रहे है। कुछ किसान सब्जियों की खेती कर रहें तो कुछ फलों की। ऐसे में फलों और सब्जियों की खेती से किसान लाखों की आमदनी भी कमा रहे है। सब्जियों में यदि शिमला मिर्च की बात की जाये तो यह एक ऐसी सब्जी है जो इंडियन, इटैलियन और चाइनीज सभी डिश में सेट हो जाती है। इसे सब्जी या सलाद के रूप में भी खाया जा सकता है। इसके अलावा किसी भी सब्जी में शिमला मिर्च डाल दिया जाये तो उसका स्वाद बढ जाता है। शिमला मिर्च में विटामिन ए, विटामिन सी, बीटा कैरोटिन मौजुद रहता है।
आज हम आपको एक ऐसे किसान के बारे में बताने जा रहे है जो शिमला मिर्च की खेती से प्रत्येक महीने 10 लाख रुपये की आमदनी कमा रहे हैं। आइये जानते हैं, उनके बारे में..
छत्तीसगढ के किसान शिमला मिर्च की खेती से हुए मालामाल
छत्तीसगढ़ के जान्जगिर चाम्पा क्षेत्र में शिमला मिर्च की खेती का पहला प्रयास सफल रहा। कार्तिक चंद्रा मालखरौदा ब्लॉक के ग्राम पंचायत खिलजी के सरपंच तथा एक उन्नत किसान है। 15 एकड़ में लगे शिमला मिर्च की खेती ने उन्हें मालामाल कर दिया है। एक दिन में शिमला मिर्च की पैदावार 8 से 10 क्विंटल हो रही है तथा थोक में शिमला मिर्च की कीमत 35 से ₹40 प्रति किलो बिक रही है। विशेष बात यह है कि शिमला मिर्च को खरीदने के लिए दूर-दूर से बिहार और झारखंड से भी व्यापारी आ रहे हैं तथा इसके साथ ही कई लोगों को रोजगार भी मिला है।
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पहली तुड़ाई में 15 एकड़ से 10 क्विंटल उत्पादन
कार्तिक बताते हैं कि वह 15 एकड़ जमीन लीज पर लेकर शिमला मिर्च की खेती करना आरंभ किए। इसके लिए उन्होंने शिमला मिर्च के पौधे को ₹10 नगद के हिसाब से दुर्ग के नर्सरी से खरीदा। कार्तिक ने सितंबर महीने में शिमला मिर्च की फसल लगाई और दिसंबर महीने के आरंभ में उससे पैदावार भी होने लगी। 15 एकड़ खेती से एक बार की तुड़ाई में 8 से 10 क्विंटल शिमला मिर्च का उत्पादन होता है तथा एक सीजन में 6 से 7 बार फसल की तुड़ाई होती है।
प्रति माह 10 लाख रुपये की आमदनी
कार्तिक ने बताया कि शिमला मिर्च की खेती से प्रति माह उन्हें ₹10 लाख की आमदनी हो रही है शिमला मिर्च की खेती में 3-4 लाख रूपए खाद, पौधे और श्रमिक के व्यय में होता है। इस कार्य के लिए कार्तिक 10 मजदूरों को रखे हैं तथा बुवाई के समय अधिक मजदूरों की सेवा लेते हैं। कार्तिक बताते हैं कि दुर्ग के जिले में शिमला मिर्च की खेती को देखकर तथा अन्य प्रदर्शनियों को देख कर उन्हें प्रेरणा मिली। उन्होंने सरकार से अभी तक किसी भी तरह का अनुदान नहीं लिया है।
किसान के साथ सरपंच भी
कार्तिक ग्रेजुएट हैं। ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने वर्ष 2015 में सरपंच का चुनाव लड़ा लेकिन निराशा हाथ लगी, वह चुनाव हार गये। उसके बाद उन्होंने वर्ष 2016 में सब्जियों की खेती करने की तरफ रुख किया। वर्ष 2020 में फिर से चुनाव लड़े और इसमें विजयी होकर सरपंच के लिए निर्वाचित हुए। वर्तमान में कार्तिक कृषि कार्य के साथ-साथ सरपंच भी हैं।