कुछ समय पहले तक लोग खेती को घाटे का सौदा समझते थे। लेकिन बदलते भारत में नई तकनीक और विशेषज्ञों के वजह से खेती में पहले की तुलना में कई बदलाव आए हैं, जिसके परिणाम में लोगों के मन में खेती के प्रति नजरिए में परिवर्तन आया है। अब अधिकांश लोग यहां तक कि नौकरीपेशा व्यक्ति भी नौकरी छोड़ खेती-बाड़ी में अपना करियर बना रहा है।
इसी कड़ी में आज हम बात करेंगे एक महिला किसान की, जिसने टैक्सटाइल डिजाइनर (Textile Designer) की नौकरी छोड़ कर खेती की तरफ रुख किया और अपने साथ-साथ अन्य ग्रामीणों की भी दिशा बदल दिया। अब सभी खेती से बेहतर आय कमा रहे हैं।
कौन है वह महिला किसान?
हम बात कर रहे हैं महिला किसान प्रीति सिंह (Female Farmer Prity Singh) की, जो कौशांबी जिले के अंबावा पश्चिमी की रहनेवाली हैं। पहले यह एक टैक्सटाइल डिजाइनर (Textile Designer) थी, लेकिन अब यह खेती को हुई कमाई का माध्यम बनाकर मोटी आमदनी कमा रही हैं। इतना ही नहीं उनके इलाके के कई किसान भी उनसे प्रेरणा लेकर खेती को रोजगार बनाया है और गांव में भी अच्छी कमाई कर रहे हैं।
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कोरोना लॉकडाउन में वापस लौट आईं अपने गाँव
ग्रामीण परिवेश में जन्मी प्रीति ने अपनी शुरुआती शिक्षा प्रयागराज से पूरी की है। उसके बाद उन्होंने साल 2008 में टैक्सटाइल डिजाइनर से डिप्लोमा की शिक्षा ग्रहण करने के बाद एक कम्पनी में नौकरी करने लगी। उसके बाद वह एसपी सिंह के साथ शादी के बंधन में बंध गईं जिसके बाद वे अपने पति के संग पुणे और इन्दौर में रहीं। लेकिन साल 2020 में कोरोना महामारी के कारण देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान वे वापस अपने गांव लौट आईं।
शुरु किया सब्जियों का उत्पादन
गांव लौटने के बाद उन्होंने गांव में ही कुछ करने का फैसला किया, लेकिन उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। तभी उनके मन में खेती (Farming) करने का विचार पनपा और उन्होंने टमाटर और मटर की फसल उगाया। उसके बाद प्रीति ने पपीते की खेती भी शुरु की जिससे उन्हें बेहतर आमदनी हुई। पपीते की खेती (Papaya Farming) से अच्छी आमदनी होते देख उन्होंने ग्रामीणों को रोजगार देने का फैसला किया।
रोजाना होती है 5 हजार की आय
सब्जी की खेती (Vegetables Farming) से मोटी रकम कमाने के कारण आज उनके साथ उनके गांव के छह परिवारों ने सब्जी की खेती शुरु की है और सभी साथ मिलकर नेनुआ (Sponge Gourd Farming), करेला (Bitter Gourd Farming) और लौकी का उत्पादन (Pumpkin Farming) कर रहे हैं। प्रीति कहती हैं कि, सब्जी की खेती से रोजाना लगभग 5 हजार रुपये की कमाई आसानी से हो जाती है। यदि लागत की बात करें तो प्रति बीघे 75 हजार का खर्च आया है जबकी 20 हजार रुपये का हर महीने अतिरिक्त लागत आया है।
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अन्य किसान भी ले रहे हैं सब्जी की खेती से जुड़ी जानकारियां
खेती में किसानों को अपने उत्पाद को सही मूल्य पर बेचने में काफी समस्याएँ आती है क्योंकि उस लायक कोई खरीददार नहीं मिलता है। प्रीति (Female Farmer Priti) के साथ भी ये समस्याएं आ रही थी, ऐसे में इस चुनौती से निजात पाने के लिए उन्होंने प्रयागराज के मुंडेरा मंडी के व्यवसायिकों से सम्पर्क किया, जिसके बाद अब रोजाना उनके खेतों की उपज बिक्री के लिए मंडी में पहुंच रही हैं। उन्होंने बताया कि, इलाके के अन्य किसान भी उनसे प्रेरित होकर खेती कर रहे हैं साथ ही खेती से जुड़ी आवश्यक जानकारियां भी लेते हैं।
गाँव के लोग भी कमा रहे हैं बेहतर आमदनी
एक समय था जब प्रीति सिंह (Farmer Prity Singh) के गाँव में खेती से अच्छी आमदनी नहीं होती थी। ऐसे में घर-परिवार का भरण-पोषण करने के लिए रोजगार की तलाश में ग्रामीण शहर की ओर रुख कर रहे थे। लेकिन जब से प्रीति ने खेती में सफलता हासिल की है, अन्य किसानों की भी किस्मत बदल रही है। अब क्षेत्र के किसान भाई भी सब्जी के उत्पादन से अच्छी कमाई कर रहे हैं।
प्रीति (Farmer Prity Singh) ने जिस तरह खेती-बाड़ी में सफलता हासिल करके ग्रामीणों को भी रोजगार से जोड़ा है वह प्रशंशनीय है।