मौजूदा दौर में लोगों की खराब दिनचर्या के कारण शरीर के अलग-अलग अंगों में समस्याएं देखने को मिल रही है जैसे फेफड़ा, किडनी, हृदय आदि के खराब होने से अनेकों लोगों की जिंदगी मौत के मुंह में जा रही है। ऐसे में ऑर्गन डोनेशन के लिए लोगों में जागरुकता फैलाई जा रही है ताकि लोगों की जिंदगी बचाई जा सकी।
ऑर्गन डोनेशन (Organ Donation) के संदर्भ में यदि भारत की बात करें तो यहां भी अब धीरे-धीरे इस दिशा में लोगों की जागरुकता बढ़ रही है। इसलिए भारत में ऑर्गन डोनर्स की संख्या बढ़ रही है। इसी कड़ी में एक 17 साल की लड़की अंग दान करके देश की सबसे युवा ऑर्गन डोनर बन गई है। चलिए जानते हैं उस युवा डोनर के बारें में-
कौन है देश की सबसे युवा ऑर्गन डोनर?
हम बात कर रहे हैं कि केरल (Kerala) की रहनेवाली देवनन्दा (Devnanda) की, जिनकी उम्र महज 17 वर्ष है। इतनी छोटी उम्र में देवनन्दा अपनी पिता की जान बचाने के लिए लिवर दान करके देश की सबसे युवा ऑर्गन डोनर बन गईं हैं। हालांकि, हमारे देश में अंग दान को लेकर नियम है जिसके अनुसार 18 वर्ष से कम आयु वाला व्यक्ति ऑर्गन डोनर नहीं बन सकता है।
लेकिन देवनन्दा ने पिता के जीवन की रक्षा करने के लिए सिस्टम भीड़ गई और हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कहते हैं न हौसला बुलंद हो तो सफलता मिल ही जाती है। देवनन्दा के बुलंद हौसले के आगे हाईकोर्ट को झुकना पड़ा और अपनी सहमती देनी पड़ी। इस तरह 12 वीं कक्षा की छात्रा देवनंदा देश की सबसे युवा डोनर बन गईं हैं।
पिता को थी लिवर कैंसर की बिमारी
Om Manorama के मुताबिक, देवनंदा के पिताजी का नाम पी जी प्रतीश है और वह थ्रिसूर में कॉफी शॉप चलाते हैं। उनके पैरों में अक्सर सूजन की समस्याएं देखने को मिलती थी जिसके बाद डॉक्टर से दिखाने पर रिपोर्ट में निकलकर आया कि उन्हें लिवर कैंसर (Liver Cancer) जैसी घातक बिमारी है और इस बिमारी का सिर्फ एक ही विकल्प था लिवर डोनेशन।
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लिया हाईकोर्ट का सहारा
लिवर कैंसर की खबर सुनकर उनकी पत्नी और बच्चों समेत सभी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। इस समस्या के समाधान के लिए सभी लिवर डोनर के बारें में जानकारी जुटाने लगे लेकिन कहीं भी डोनर नहीं मिला। ऐसे में राजगिरि अस्पताल जहां प्रतीश का इलाज हो रहा था, देवनंदा ने डॉक्टर से खुद लिवर डोनेट करने के बारें में पुछा।
कोर्ट ने की देवनन्दा की तारीफ
वह खुद भी इसके बारें में छानबीन करने लगी और उसी दौरान उन्हें जानकारी मिली कि यदि कोर्ट इस बात की अनुमति दे दें तो वह लिवर डोनेट करके अपने पिता की जान बचा सकती हैं। ऐसे में उन्होंने केरल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जहां कोर्ट की सिंगल बेंच ने उन्हें इसकी अनुमति दे दी। साथ ही जस्टिस वीजी अरुण ने देवनंदा की प्रशंशा की और कहा कि खुशनसीब होते हैं वे माता-पिता जिनके पास देवनंदा जैसी संतान होती है।
हॉस्पिटल ने निशुल्क किया सर्जरी
देवनंदा के हौसले और साहस को देखकर राजगिरि हॉस्पिटल ने भी पी जी प्रतीश के इलाज में खर्च होनेवाली राशि को मांफ करके निशुल्क सर्जरी को अंजाम दिया। हॉस्पिटल ने डोनर सर्जरी के भी पैसे नहीं लिए। हॉस्पीटल के अधिकारियों के मुताबिक, देवनन्दा ने लिवर को स्वस्थ रखने के लिए डायट का ख्याल रखा साथ ही जिम भी ज्वाइन किया।
वास्तव में अभी भी जहां लोग अंगदान करने में कतरा रहे हैं वहीं देवनंदा (Devnanda, Youngest Organ Donar of India) ने आगे आकर अंग दान किया और पिता की जान बचाई। The Logically उनके हौसलें को सलाम करता है।