हमारे देश में बहुल संख्या में कटहल (Jackfruit) का उत्पादन होता है। एक आंकड़े के अनुसार, भारत के केरल राज्य में हर वर्ष 190 हजार टन कटहल का पैदावार होता है। कटहल को कुछ लोग पसंद करते हैं तो कुछ लोगों को इसका स्वाद बहुत बेकार लगता है। पोषक तत्वों से भरपूर कटहल के कंटीली खाल से लेकर उसके हर हिस्से को खाया आ सकता है। आप सोच रहे होंगे कि उसके छिलके को कोई कैसे खा सकता है तो घबराने की जरुरत नहीं है।
तिरुवनंतपुरम की रहनेवाली राजश्री आर (Rajashree R.) ने कटहल से 400 प्रकार के अलग-अलग प्रोडक्ट बनाकर वीगन लोगों की थाली तक पहुँचा चुकी हैं। जिन लोगों को कटहल अच्छा नहीं लगता है आज वे लोग भी इससे बने प्रोडक्ट को पसंद करने लगे हैं और ये सब इकोनॉमिक्स पोस्टग्रेजुएट राजश्री के नए-नए प्रयोग करने का ही फल है। उनकी कम्पनी फ्रूट एन रूट (Fruit N Root) कटहल से बने अनेकों प्रोडक्ट सेल करती हैं।
वह कहती हैं कि, जब उनकी शादी हुई तब वह मुम्बई में रहती थीं, लेकिन बाद में वे कतर अपने पति के पास चली गईं। वह प्रति वर्ष जब अपने घरवालो से मिलने आती थीं, तब उनकी मां उनके लिए कटहल को सूखाकर कई प्रकार की चीजें बनाकर उन्हें देती थीं ताकि वह अगले साल तक इस्तेमाल कर सके।
कैसे आया बिजनेस शुरु करने का आइडिया
राजश्री का गांव नूरानंद अलाप्पुझा जिले के अंतर्गत है और वहां कटहल का उत्पादन अधिक संख्या होता है। ऐसे में जब वह रहने के लिए वापस भारत आ गईं तो वहां उन्होंने देखा कि भारी मात्रा में कटहल बर्बाद हो जा रहे हैं। उस समय उन्हें लगा कि कटहल से अच्छा बिजनेस किया जा सकता है।
राजश्री हमेशा से नया करने की चाहत रखती थीं। ऐसे मे उन्होंने कटहल से पास्ता बनाने के बारें में विचार किया। ऐसे में वह कटहल को सुखाने के टेक्नोलॉज़ी के बारें में जानकारी हासिल करने के लिए कयमकुलम स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में दाखिला ले लिया। वहां उन्हें पास्ता बनाने के लिए कटहल को सुखाने से लेकर उसका पाउडर बनाने तक का सही तरीका सिखाया गया।
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हर प्रतियोगिता में बनती गईं विजेता
कृषि विज्ञान केंद्र (krishi Vigyan kendra) मे उन्हें एक प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। एक तरफ जहां लोगों ने कटहल से आम चीजें बनाए थे वहीं राजश्री ने सामान्य चीजों से अलग सूप, चॉकलेट, बोंडा, चपाती, लड्डू और बर्गर की टिक्की आदि बनाई, जो लोगों को काफी पसंद आया और वे इस कम्पीटिशन में जीत हासिल की। इस प्रतियोगिता में जीतने के बाद उन्होंने बाकी कम्पीटिशन में भी भाग लेना शुरु किया और सबसे अहम बात उन्हें हर प्रतियोगिता में विजेता बनती गईं।
गांव में लगाई पास्ता बनाने की यूनिट
लोगों का उत्साह और पसंद देखकर उन्होंने पास्ता बनाने का निर्णय लिया। हालांकि, इसके लिए उन्हें मशीन की जरुरत थी, जो उनके पास नहीं थी। उसके बाद उन्हें कहीं से जानकारी मिली कि CTCRI में शकरकंद से पास्ता बनाया जाता है। फिर क्या था राजश्री मे वहां दाखिला लेकर प्रशिक्षण लिया और पास्ता बनाने की मशीन भी ली। उसके बाद वह अपने गांव आ गईं और कटहल से पास्ता बनाने की यूनिट लगाईं। वहां वह कटहल को सूखाकर उसका आटा तैयार करती हैं। उन्हें कटहल को सूखाकर उससे प्रोडक्ट बनाने का लाइसेंस भी मिल चुका है
कटहल से बनाती हैं अनेकों उत्पाद
राजश्री (Rajashree R.) कटहल से अनेकों प्रकार के उत्पाद बनाती हैं जिसमे, कन्माशी (गोंद से बना हुआ काजल), पायरस (बीज से बना हुआ), पिसे हुए बीज का इस्तेमाल करके केक और चॉकलेट तथा दाग्श्मिनी जो काँटों का पाउडर होता है और दवा का काम करता है आदि जैसे अनेकों प्रोडक्ट शामिल हैं। इसके अलावा असम में चावल से बनने वाला पोटी चोरु भी वह कटहल से ही बनाती हैं।
पैकेजिंग के लिए करती हैं एल्यूमिनियम फॉयल का इस्तेमाल
राजश्री अपने उत्पाद को लोकल मार्केट में बेचने के साथ-साथ “माय दुकान” (My Dukaan) नामक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर भी बेचती हैं। हालांकि, प्रिजर्वेटिव मुक्त होने के कारण अभी वे अपना प्रोडक्ट लोकल बाजार में ही बेचती हैं। प्लास्टिक पर्यावरण को काफी नुकसान पहुँचा रहा है। ऐसे में वह प्रोडक्ट की पैकेजिंग के लिए वह प्लास्टिक का इस्तेमाल न करके एल्युमिनियम फॉयल का प्रयोग करना चाहती थीं, इसलिए उन्हें उत्पाद को ऑनलाइन सेल करने में अधिक वक्त लगा। हालांकि, अब वह अपने उत्पाद को एल्यूमिनियम फॉयल (Aluminium foil) में पैक करके ही सेल करती हैं और यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक अच्छी पहल है।
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मिल चुका है स्टेट अवार्ड
वह कहती हैं कि, कटहल के अलावा चावल और शकरकंद से भी कई प्रकार के प्रोडक्ट बनाती हैं। उनकी कम्पनी पास्ता के अलावा स्नैक्स और पकौड़े भी बनाती है। बता दें कि, उनका उत्पाद “फ्रूट एन रूट” (Fruit N Root) नामक ब्राण्ड से बिकता है। राजश्री को उनके प्रोडक्ट के लिए राज्य की तरफ से सम्मानित भी किया जा चुका है। स्टेट अवार्ड से सम्मानित होना बेहद गर्व की बात है।
प्रोडक्ट को अधिक संख्या में करना चाहती हैं एक्सपोर्ट
हालांकि, उनके द्वारा बनाए गए प्रोडक्ट की पहुंच अधिक लोगों तक नहीं है। लेकिन वह अधिकाधिक संख्या में अपने प्रोडक्ट को निर्यात करने का लक्ष्य रखी हैं और उन्हें पूरा भरोसा है एक न एक दिन उन्हें अंतरराष्ट्रिय लेवल पर पहचान जरुर मिलेगी। वह मेलों और सरकारी प्रदर्शनियों में भाग लेती हैं।