Wednesday, December 13, 2023

मां की दवाई के लिए खरीदी गाय से मिला बिजनेस का आइडिया, अब बने 150 गायों के मालिक और कमा रहे लाखों रुपये

खुशीहाल कुशवाहा (Khushihal Kushwaha) ने जब गाय खरीदा था, तो उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि एक दिन वे दूध का कारोबार करेंगे।

दरअसल उनकी मां बीमार थी और उन्हें दूध उपलब्ध कराने के लिए खुशीहाल ने अपने पिता की पेंशन से एक गाय खरीदा। घर की आर्थिक स्थित बहुत अच्छी नहीं थी इसलिए खुशीहाल रोज गाय का 3 लीटर दूध बेचकर अपने मां के लिए दवाईयां ले आते थे।

इसी से खुशीहाल को दूध के कारोबार का आइडिया मिला। वे आज 150 से ज्यादा गाय-भैंसों के मालिक हैं, जिससेे हर महिने 2 लाख तक की कमाई कर रहे हैं। – khushihal kushwaha from Madhya Pradesh is earning through dairy farming

पेंशन के पैसे से खरीदी गाय

27 साल पहले खुशीहाल के मां को मलेरिया हो गया था। उस समय उनके पिता रेलवे से रिटायर्ड थे, परंतु उनकी पेंशन अभी शुरू नहीं हुई थी। कुछ दिन बाद उनके पिता को 2600 रुपए पेंशन मिली, जिससे खुशीहाल ने गाय खरीद लिया।

यही से शुरू हुआ उनका दूध का कारोबर। 45 वर्ष खुशीहाल कुशवाहा (Khushihal Kushwaha) मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सतना शहर के धवारी मोहल्ले के रहने वाले हैं।

वर्तमान में खुशीहाल के पास लगभग 150 से ज्यादा गाय-भैंस हैं।

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हर रोज 250-300 लीटर दूध का होता है उत्पादन

खुशीहाल के पास गाय, गिर और साहीवाल नसल की भैंसे हैं। दोनों की संख्या लगभग बराबर ही है। उनके अनुसार हर रोज 250-300 लीटर दूध होता है, परंतु यह मौसम और दूध उत्पादन के अनुरुप घटते बढ़ते रहता है।

खुशीहाल बताते हैं कि वे प्रति लीटर 50 से 60 रुपए दूध बेचते हैं। घर और डेयरी के खर्चे को काटकर उन्हें करीब 50000 से 60000 रुपए तक का मुनाफा होता है।

खुशीहाल बताते हैं कि गर्मियों के मुकाबले में सर्दीयो में ज्यादा दूध का उत्पादन होता है। – khushihal kushwaha from Madhya Pradesh is earning through dairy farming

शहर और गांव दोनों ही जगह है डेयरी

दुधारू पशु ब्यातने के कुछ महीने बाद ही दूध देना शुरू कर देती है। ऐसे पशु को रखने में और उन्हें खिलाने में कम खर्च आता है। खुशीहाल कुशवाहा (Khushihal Kushwaha) हरदोखर गांव में भी एक डेयरी बनाए हैं, जहां वे ऐसे पशुओं को रखते हैं, जो दूध नहीं देती है।

इसके अलावा दुधारु 60 पशु को शहर में रखते हैं, जिससे वे आसानी से अपने ग्राहक को दूध उपलब्ध करा सकें।- khushihal kushwaha from Madhya Pradesh is earning through dairy farming

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एक गाय पर प्रतिदिन होता है 250 रुपए खर्च

खुशीहाल इस प्रकार गाय-भैंसों का संवर्धन करते हैं कि सालोंभर दूध की कमी न हो। दूधारु पशुओं का ख़ास ख्याल रखा जाता है। खुशीहाल बताते हैं कि दूध देने वाली गाय-भैंस को सुबह शाम मिलाकर 6 किलो दाना, 25 किलो हरा चारा और भूसा दिया जाता है, जिसमें रोजाना प्रति पशु में 250 रुपए का खर्च होता है।

पशुओं को चारा देना, गोबर उठाने और दूध दुहने के लिए खुशीहाल 4-5 लोगों को काम पर रखते हैं। इसके अलावा इस काम में उनका पूरा परिवार भी उनकी मदद करता है। – khushihal kushwaha from Madhya Pradesh is earning through dairy farming

परिवार के हर सदस्य करता है खुशीहाल की मदद

खुशीहाल पिछले 25 साल से दूध का काम करते हैं, जिसमें उनके परिवार के हर सदस्य का सहभागी हैं। खुशीहाल के मुताबिक उनके परिवार में आए का और कोई जरिया नहीं है। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के चंदौली जिले में अहिकौरा गांव के रहने वाले खुशीहाल कुशवाहा (Khushihal Kushwaha) के पिता सतना में रेलवे की नौकरी करते थे इसलिए वे अपने परिवार के साथ सतना में ही रहने लगे।

दूध की कमाई से ही उन्होंने सतना में घर, डेयरी और पास के गांव में 15 एकड़ जमीन खरीद लिया है।- khushihal kushwaha from Madhya Pradesh is earning through dairy farming

कई पुरस्कार से हो चुके हैं सम्मानित

दुग्ध उत्पादन के लिए खुशीहाल के परिवार को गोपास पुरस्कार समेत कई अवॉर्ड मिल चुका है। मध्यप्रदेश शासन के पशुपालन विभाग द्वारा साल 2017 में विकासखंड स्तर का प्रथम और इसी साल जिला स्तर का तृतीय स्थान का पुरस्कार मिला था।

इसके अलावा साल 2018 में खुशीहाल के छोटे भाई यशवंत (Yashwant) को जिला स्तर का प्रथम पुरस्कार मिला था। साल 2019 में पत्नी प्रेमा कुशवाहा को खंड स्तर का द्वितीय स्थान का पुरस्कार मिला था।- khushihal kushwaha from Madhya Pradesh is earning through dairy farming

चाहते थे देश के लिए बॉस्केटबाल खेलना

खुशीहाल महज 11वीं तक पढ़े हैं। उनकी खेलों में काफी रुचि थी वह देश के लिए बॉस्केटबाल खेलना भी चाहते थे, लेकिन परिवार की जरूरत को समझते हुए उन्होंने इस दिशा में काम करने का फैसला किया।

खुशीहाल बताते हैं कि जब वह आठवीं में थे तब से ही बॉस्केटबाल खेलने का शौक था। नौवीं में आए तो खेलने का मौका मिला जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर की स्पर्धाओं में भाग लिया। तीन राज्य स्तरीय खेलों में अवार्ड भी जीते।- khushihal kushwaha from Madhya Pradesh is earning through dairy farming

अपने खेत में उगाते हैं पशुओं के लिए चारा

बॉस्केटबाल में खुशीहाल को मंत्री अर्जुन सिंह (Arjun Singh) द्वारा अव्वल खिलाड़ी का अवार्ड भी मिला, लेकिन साल 1996 में खेल के साथ-साथ पढाई भी चुट गया। – khushihal kushwaha from Madhya Pradesh is earning through dairy farming

राष्ट्रीय प्रतियोगिता में खेलने का सपना उनका आज भी अधूरा है। खुशीहाल कुशवाहा (Khushihal Kushwaha) बताते है कि डेयरी के काम में सबसे ज्यादा खर्च चारे और चूनी-चोकर (रातिब) पर होता है इसलिए वे पशुओं के लिए चारे अपनी खेतों में ही उगाते हैं।

यह हरा चारा रासानयिक खादों से नहीं बल्कि दोनों डेयरियों से निकले गोबर की खाद से उगाया जाता है।- khushihal kushwaha from Madhya Pradesh is earning through dairy farming

भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है

खुशीहाल के अनुसार दोनों गोशाला में से करीब एक ट्राली गोबर रोज निकलता है। इसे ही वे अपने खेतों में इस्तेमाल करते हैं। वे गाय-भैंसों के लिए गर्मियों में चरी और ठंड के दिनों के लिए बरसीम खेत में ही उगाते हैं।- khushihal kushwaha from Madhya Pradesh is earning through dairy farming

जानकारी के लिए बता दें कि भारत विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है, जिसका वैश्विक दुग्ध उत्पादन में 23% का योगदान रहता है।

राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के अनुसार भारत में दूध का उत्पादन वर्ष 1991-92 में 5.56 करोड़ टन था जो 2019-20 में बढ़कर 19.84 करोड़ टन हो गया है। – khushihal kushwaha from Madhya Pradesh is earning through dairy farming

भारत के इन राज्यों में होता है अधिक दूध का उत्पादन

जानकारों कि माने तो साल 2030 में दूध की मांग 26.65 करोड़ टन तक पहुंचने की उम्मीद है। उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश और पंजाब भारत में प्रमुख दूध उत्पादक राज्य माने जाते हैं।

पिछले 5 वर्षों में देश के वार्षिक दुग्ध उत्पादन में 6.4% (सीएजीआर) की बढ़ोतरी हुई है। अपने सामाजिक-आर्थिक महत्व के कारण डेयरी, भारत सरकार के लिए एक उच्च प्राथमिकता वाला क्षेत्र है।- khushihal kushwaha from Madhya Pradesh is earning through dairy farming

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डेयरी से देश की अर्थव्यवस्था में होता है 5% का योगदान

यह देश की अर्थव्यवस्था में 5% का योगदान करता है
इसके अलावा देश में पैकेज्ड डेयरी उत्पाद का बहुत बड़ा घरेलू बाजार हैं, जिनकी कीमत 2.7 से लेकर 3.0 लाख करोड़ रुपये है। राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार साल 2019 की 20वीं पशुधन गणना में मवेशियों की संख्या बढ़कर 19.25 करोड़ हो गई, भैंसों की संख्या 10.99 करोड़ रही, तो वही दुधारू पशुओं की संख्या भी बढ़कर 13.64 करोड़ पहुंच गई है।- khushihal kushwaha from Madhya Pradesh is earning through dairy farming

केंद्र सरकार दे रही है पशुपालन और डेयरी को बढ़ावा

दुग्ध और डेयरी के क्षेत्र में संभावनाओं को देखते हुए केंद्र सरकार ने 14 जुलाई को पशुपालन और डेयरी विभाग की कई बड़ी योजनाओं में संशोधन की मंजूरी दी है।

इसके लिए 54,618 करोड़ रुपये के पैकेज की स्वीकृति दी है। कैबिनेट के इस फैसले से राष्ट्रीय गोकुल मिशन से स्वदेशी प्रजातियों के विकास और संरक्षण को मदद मिलेगी।

राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम योजना (एनपीडीडी) का लक्ष्य थोक में लगभग 8900 कूलरों को लगाने का है, जिसमें दूध रखा जा सके, इससे आठ लाख से अधिक दुग्ध उत्पादकों को फायदा होगा।- khushihal kushwaha from Madhya Pradesh is earning through dairy farming