हर इंसान के जीवन में एक ऐसा वक़्त आता है जिस दौरान उसे ज़िंदगी में विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए सफलता प्राप्त करने के लिए पथ पर अग्रसर रहना पड़ता है। इस दौरान कुछ इंसान टूटकर बिखर जाते हैं तो कुछ उस विषमताओं को परास्त कर सफलता का ध्वज लहराते हैं। इसी कड़ी में आज हम आपको एक ऐसी आईएएस ऑफिसर (IAS Officer) से मिलाएंगे जिन्होंने अपने पिता के दोषियों को सजा दिलाने की ठानी और आईएएस अफसर बनी।
बचपन मे ही उठा पिता का साया
वह आईएएस ऑफिसर हैं किंजल सिंह (Kinjal Singh)। जिनका जन्म 5 जनवरी 1982 को यूपी में हुआ। अभी वह मात्र 7 साल की थी तब उनके पिता की हत्या कर दी गई। पिता की मृत्यु के लगभग 6 माह बाद उनकी एक बहन का जन्म हुआ मां ने अपने दोनों बच्चियों की जिम्मेदारी अपने ऊपर लिया और कानून की लड़ाई लड़ती रहीं। वह अपने दोनों बेटियों को गोद में लिए कोर्ट का चक्कर काटती रहती। -IAS Kinjal Singh
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छुटा मां का साथ
उनकी मां चाहती थी कि उनकी दोनों बेटियां आईएएस ऑफिसर बने। वर्ष 2004 में किंजल के साथ एक ऐसा हादसा हुआ जिससे वह पूरी तरह टूट गईं। इस दौरान उन्होंने अपनी मां को खो दिया अब उनकी जिम्मेदारियां और बढ़ गई। लेकिन उन्होंने खुद को संभाला और पढ़ाई को जारी रखा। उन्होंने वर्ष 2008 में यूपीएससी का दूसरा एग्जाम दिया जिसमें वह चयनित हुई और आईएएस ऑफिसर बनी। -IAS Kinjal Singh
पिता बनना चाहते थे आईएएस
किंजल की मां अपने दोनों बेटियों को लेकर बलिया से दिल्ली का सफर तय करके कोर्ट में आती थी। वह इंसाफ की लड़ाई लड़ते-लड़ते कब कैंसर से पीड़ित हो गई उन्हें पता नहीं चला और इसी कैंसर ने उनकी जान ले ली और वह अपनी दोनों बेटियों को छोड़कर भगवान को प्यारी हो गई। किंजल के पिता का ये ख़्वाब था कि वह आईएएस थें। इसके उन्होंने यूपीएससी का एग्जाम भी दिया जिसमें वह पास भी हुएं। परन्तु रिजल्ट आने से पूर्व उनकी हत्या कर दी गई थी। -IAS Kinjal Singh
पिता और माता का साया सिर से उठ जाने के बाद ही दोनों बहनों ने वह सफलता हासिल की जिसे हर कोई हासिल नहीं कर सकता। किंजल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा संपन्न की और आगे दिल्ली चली गई उन्होंने विश्वविद्यालय में टॉप किया। जब उनकी मां का इंतकाल हो गया तो वह अपनी बहन प्रांजल को भी दिल्ली बुला ली और दोनों ने आईएएस की तैयारी प्रारंभ कर दी।
-IAS Kinjal Singh
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इस तरह की सफलता प्राप्त
किंजल ने पहले प्रयास में असफलता हासिल किया परंतु वर्ष 2008 में उन्होंने दूसरे प्रयास में यूपीएससी की परीक्षा में सफलता हासिल कर आईएएस की उपाधि हासिल की। आगे उनकी बहन प्रांजल ने भी आईआरएस का पद प्राप्त किया। वे बताती हैं कि मेरी सफलता का श्रेय मेरे मौसा और मौसी को जाता है। -IAS Kinjal Singh
अब वह दिन करीब आ गया जब किंजल ने 5 जून 2013 को अपने पिता के दोषियों को सजा दिलाया। उनके पिता की हत्या में करीब 18 दोषी शामिल थे जिन्हें सजा मिली। किंजल ने यह साबित कर दिया कि अगर इंसान चाहे तो वह किसी भी कठिनाई से लड़ते हुए अपने मुकाम को हासिल कर सकता है। –IAS Kinjal Singh