Monday, December 11, 2023

चलते फिरते कोल्ड स्टोरेज वाले किसान रेल को प्रधानमंत्री ने दिखाई हरी झंडी: जानिए क्या है इसमें ख़ास

हमारे देश में अन्नादाता माने जाने वाले किसान भाइयों को कभी कभी उनके फसल का सही मूल्य नहीं मिलता। जल्दी खराब होने वाले सामान को एक जगह से दूसरे जगह पहुंचाने में अधिक समय लगने से अगर उत्पादन खराब हो जाए तो इसका खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ता है तो वही कभी बिचौलिये खा जाते हैं। किसानों के समस्या को ध्यान में रखते हुये सरकार ने ट्रेन सेवा शुरु की है।

जी हां, पीएम मोदी ने 100 वीं किसान रेल सेवा को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया है। आइये जानते है इस रेल की विशेषताओं के बारे में…

किसान रेल में चलता-फिरता कोल्ड स्टोरेज है जिससे फल, सब्जी, दूध और मछली जैसे जल्दी खराब होने वाले सामान को सुरक्षा के साथ एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचाया जा सकता है।

Kisan rail in india

किसानों और व्यापारियों के बीच लोकप्रिय किसान रेल ने पांच महीने के अंदर ही शतक पूरा कर लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिनों पहले ही महाराष्ट्र के सांगोला से बंगाल के शालीमार के बीच 100वीं किसान रेल को हरी झण्डी दिया है। महाराष्ट्र के सांगोला से चलने वाली किसान रेल से संतरे, अंगूर और सीताफल के साथ अन्य कई तरह के फल 40 घंटे मे दो हजार किमी से अधिक की दूरी का सफर तय करेंगे। यही किसान ट्रेन वापसी में बंगाल से आलू, गोभी, कटहल और बैगन जैसी सब्जियों के साथ फलों में आम, केला, लीची तथा खारे और मीठे पानी की मछलियां भी लेकर आ सकेंगी। पहले यहां मछलियों के लिये बाजार नहीं था। अब किसान रेल से इन सभी सामानों को पहुंचाया जा सकेगा।

आपकों बता दे कि COVID-19 के वक्त कृषि उत्पादों की ढुलाई में किसानों को राहत देने के लिये किसान रेल चलाई गईं थी। इससे अब किसान उत्पादन को बहुत ही सुगमता से देश में एक जगह से दूसरे जगह मे पहुंच रही है।

Kisan rail in india

किसान रेल से किसानों को नया विकल्प मिल गया है। यह रेल किसानों को बाजार से जोड़ने का कार्य कर रही है। किसान रेल में चलता-फिरता कोल्ड स्टोरेज है जिससे फल, सब्जी, दूध और मछली जैसे जल्दी खराब होने वाले सामान को सुरक्षा के साथ एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचाया जा रहा है। यह विकल्प छोटे-छोटे स्थानीय व्यापारियों को भी मिली है। किसान से अधिक मूल्य में अधिक माल खरीदकर किसान रेल के माध्यम से दूसरे राज्य में बेच सकते हैं। इसकी सहायता से किसान अपनी उपज को वैसे हिस्सो तक पहुंचा सकता है जहां पर किसी चीज की अधिक मांग हो और जहां उसे अच्छी कीमत मिल सकती है।

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पहले किसानो को सड़क परिवहन के माध्यम से एक जगह से दूसरे जगह सामान पहुंचाने में अधिक किराया लगता था। इस वजह से गांव में उगाने वाले और शहर में खरीदने वाले दोनों के लिये यह महंगा साबित होता था। किसान रेल शुरू होने से इन दोनों को लाभ मिलेगा। यह रेल कई राज्यों के बड़े स्टेशनों पर रुकेगी जहां किसानों की उपज उतारी जा सकती है और नई उपज भी ली जा सकती है।

Kisan rail in india

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि किसानों की आमदनी बढ़ाने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है। इससे देश के 80 फ़ीसदी से अधिक छोटे और सीमांत किसानों को बड़ी शक्ति मिली है। किसान रेल से सामान भेजने के लिए किसी किसान के लिये कोई नियत सीमा नहीं है। उत्पादन कम हो या अधिक हो सब सही समय पर पहुंच सकेगा। देखने में आया है कि किसान रेल से 3 किलो अनार के पैकेट तथा मुर्गी के 17 दर्जन अंडे भी भेजे गये।

पीएम मोदी ने कहा कि उनका यह काम किसानों की सेवा के लिये हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह इस बात का प्रमाण भी है कि हमारे किसान भाई कितनी तेजी से नई संभावनाओं के लिए तैयार हैं।

पीएम मोदी ने अपने संबोधन में यह किया भी कहा कि कृषि से जुड़े एक्सपोर्ट्स और दुनिया भर के अनुभव तथा नई टेक्नोलॉजी का भारतीय कृषि में समावेश किया जा रहा है। स्टोरेज से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर हो या खेती उत्पादों में वैल्यू एडिशन से जुड़े प्रोसेसिंग उद्योग यह हमारी सरकार की प्राथमिकता है। आपको बता दें कि पीएम कृषि संपदा योजना के तहत मेगा फूड्स, कोल्ड इंफ्रास्ट्रक्चर, एग्रो प्रोसेसिंग कल्स्टर, ऐसे लगभग साढ़े 6 हजार प्रोजेक्ट स्वीकृत किये गये है।