अधिकतर लोगों की यह दिली तमन्ना होती है कि वे अपने घर में गार्डन का निर्माण करें। लेकिन इसके लिए लोगों के पास स्थान की कमी एवं जानकारी का ना होना बड़ी समस्या होती है। हालांकि अगर आपके पास थोड़ी सी जानकारी है और कोशिश करें तो आप बेहतर गार्डन का निर्माण कर सकते हैं। एक छोटी-सी कोशिश से आप अपने घर को सजाने के साथ स्वयं के खाने योग्य फल एवं सब्जियों को उगा सकते हैं।
आज की हमारी यह कहानी कम स्थान में गार्डेनिंग करने के तरीके के विषय मे है जिसे अपनाकर आप अपने घर को सजाने के साथ अपने शौक को भी पूरा कर सकते हैं। आप अपने बालकनी, टेरेस, खिड़कियां या फिर लिविंग रूम में नहीं तो छोटे लॉन में पौधों को लगाकर हरा-भरा बना सकते हैं। इसके लिए आपको कुछ टिप्स नीचे दिए जा रहे हैं जिसे अपनाकर आप गार्डेनिंग कर सकते हैं…
मिट्टी का निर्माण
पौधों को लगाने से पूर्व आप गमले का निरीक्षण कर उसमें पुरानी मिट्टी को बाहर निकाल दें और फिर उसे कुछ दिनों के लिए धूप में रहने दे। जिससे आपकी मिट्टी में जो कीड़े मकोड़े या फफूंद होंगे वह मर जाएंगे। फिर आप इस मिट्टी में कम्पोस्ट डालकर उसे गमले में रखें। गमले के ऊपर से लगभग एक तिहाई भाग खाली रखें ताकि जब आप गमले में पानी डालें तो मिट्टी बाहर ना निकले।
किस गमलें का करें चयन
पौधे लगाने के लिए मिट्टी के गमले का चयन करना बहुत अच्छा होता है। क्योंकि आप चाहे तो प्लास्टिक के ट्रेन में भी इसे आसानी से रख सकते हैं। इसके अतिरिक्त आप सीमेंट के गमले का उपयोग कर सकते हैं क्योंकि वह काफी मजबूत होते हैं। वहीं अगर अब प्लास्टिक के गमले का उपयोग करते हैं तो इसमें आप के पौधे के विकास में थोड़ी रुकावट आती है। अगर आप मिट्टी के गमले का चयन कर रहे हैं तो इसमें पेंट की जगह पर गेरू का उपयोग करना सही होता है। आप चाहे तो मिट्टी का गमला आपको मार्केट से 80 से लगभग 500 तक में आपके साइज के अनुसार मिल जाएगा। आप चाहें तो पौधों को लगाने के लिए आपके घर की पुरानी बाल्टी, टब या फिर बोतल का भी उपयोग कर सकते हैं।
ऐसे बोयें बीज
गमलों में मिट्टी भरने से पूर्व आप उसमें पॉर्ट के छोटे-छोटे टुकड़े या फिर पत्थर रखें ताकि मिट्टी में डाले गए उर्वरक सिंचाई के दौरान बाहर ना निकले एवं मिट्टी का पोषण बना रहे। अब आप इसमें बीज लगा सकते हैं। आप जब भी बीज लगा रहे हैं तो इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि यह दुगुनी मिट्टी के नीचे परत तक जाए फिर आप इसमें हल्का पानी डाल सकते हैं एवं फिर इसे धूप में रख दें। अगर आप इसे धूप में नहीं रखेंगे तो इसे पोषण नहीं मिलेगा और इनकी आकृति छोटी होगी। अगर आप चाहते हैं कि यह पौधा दूसरे गमले में लगाएं तो इसके लिए जब तक इसमें कुछ पत्तियां ना आ जाए तब तक इनको ट्रांसफर ना करें। अगर आप इन्हें दूसरे गमलें में ट्रांसफर कर रहे हैं तो आप शाम या रात में ट्रांसफर कर उसमें थोड़ा पानी डाल दें।
उर्वरक की आवश्यकता
जब आप इसकी बुआई कर दें तो इसके लिए उर्वरक की भी आवश्यकता होती है। आप उर्वरक के तौर पर गोबर का उपयोग कर सकते हैं। आप चाहें तो मूंगफली की खली, सरसों एवं नीम का उपयोग फर्टिलाइजर के रूप में कर सकते हैं। आम तौर पर उर्वरक 2 तरह के होते हैं….
- जैविक उर्वरक
जैविक उर्वरक का निर्माण गाय के गोबर, मवेशियों-मनुष्यों के मल मूत्र से होता है और यह संपूर्णतः शुद्ध होते हैं इनमें कोई केमिकल नहीं होता है।
- रासायनिक उर्वरक
वहीं रसायनिक उर्वरक में फास्फोरस के कंपाउंड, नाइट्रोजन एवं पोटाश का उपयोग होता है। इसके उपयोग से मिट्टी बहुत कम समय में ही अत्यधिक उत्पादन करती है। हालांकि इससे हमारे स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ता है इसीलिए जहां तक हो सके वहां तक आप घरेलू बगीचे में केमिकल फर्टिलाइजर का उपयोग ना करें।
सबसे बेहतर यह होगा कि आप किसी अच्छी नर्सरी से जैविक उर्वरक का पैकेट मंगा लें। जिसमें आपको बोनमील, सरसों, खली, नीमखली कंपोस्ट इत्यादि मौजूद होंगे। इनका मूल्य लगभग 40 से 80 रुपए प्रति किलोग्राम होता है। जब आप पौधों को लगाएंगे एवं जब फूल आएंगे तो उस वक्त उर्वरक की अत्यधिक आवश्यकता होती है। आप चाहें तो माह में एक बार उर्वरक का छिड़काव कर सकते हैं। हालांकि गर्मियों के मौसम में पौधों को ज्यादा उर्वरक नहीं देना चाहिए। ध्यान रखें कि पौधों को उर्वरक तभी दें जब मिट्टी सुखी हुई हो। जब उर्वरक दें तो फिर मिट्टी की खुदाई करें एवं सिंचाई भी करें।
स्वयं करें उर्वरक का निर्माण
आप चाहें तो स्वयं ही उर्वरक का निर्माण कर सकते हैं। इसके निर्माण के लिए आपको रेत, लाल मिट्टी एवं गोबर का मिश्रण बनाना होगा। अगर आपके पास जगह है तो आप जमीन में एक गड्ढा खोदें और अगर नहीं है तो मिट्टी के गमले में मिट्टी की परत बनाए। फिर आप ऊपर किचन से निकलने वाले किचन वेस्ट को डाल दें अगर यह किचन वेस्ट अत्यधिक गीला है तो आप इसमें सूखे कचरे के तौर पर पत्तियां या फिर न्यूजपेपर को डाल सकते हैं। फिर आप इस पर मिट्टी की परत डालकर इसे ढकें। इस प्रोसेस को आप उस वक्त तक दोहराते रहें जब तक आप का गड्ढा भर ना जाए। इसके निर्माण आपको लगभग 3 माह का वक्त लगेगा। अब आप इसे निकाल लें एवं गमले में मिट्टी की परत के बीच दबाकर सूखे पत्तों से ढकते हुए रख दें। 15-20 दिन के बाद आप इसका उपयोग अपने पौधों के लिए कर सकते हैं। अब जो गड्ढा खाली हो गया है आपको उसमें उर्वरक का निर्माण ठीक उसी प्रकार कर सकते हैं जैसे ऊपर बताया गया है। अब आप इस मिट्टी में खाली को मिलाए। ध्यान रहे की मिट्टी एवं खली का अनुपात 10 अनुपात 1 होना चाहिए। अब आप इसको गमलें में डालें एवं फिर उसकी खुदाई करें।
पानी की मात्रा
अब आपको इस बात का ध्यान रखना है कि पौधों में पानी कितनी मात्रा में दें। ज्यादा पानी देने से मिट्टी में मौजूदा कण के बीच समस्याएं सामने आती है और ऑक्सीजन पौधों की जड़ों तक नहीं पहुंचता। इसलिए आवश्यक है कि जब गमला सुखा रहे तभी आप उसमें पानी डालें। आपको मौसम का भी ध्यान रखना चाहिए। अगर मौसम सर्दी का हो तो हर 3 या 4 दिन के बाद उसमें पानी डालें और अगर वही मौसम गर्मी का हो तो उसमें प्रतिदिन दो बार पानी डालना आवश्यक है। गर्मियों के मौसम में आप पौधों में सुबह एवं शाम में पानी डाल सकते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि धूप निकलने के दौरान कभी भी पौधों में पानी ना डाला जाए। अगर आपको कहीं जाना है तो आप पौधों को पानी देने के लिए गमले को भर दें ताकि आपके ना रहने पर उन्हें पानी मिलता रहे। अगर आपने इंदौर प्लांट लगाया है तो उसे अपने कमरे से बाहर निकाले। अगर वही मौसम बरसात का हो तो उसे एक हफ्ते तक पानी देने की कोई आवश्यकता नहीं है बस आप उसे खुले हवा में रखें। अगर आपको अपने घर से 10-15 दिनों के लिए कहीं बाहर जाना है तो आप गमले में मॉस को अच्छी तरह बिछा दें एवं फिर उसमें पानी डाल दें। जिससे आपके पौधे को नमी मिलती रहेगी।
धूप भी है आवश्यक
पौधों के विकास के लिए धूप भी अति आवश्यक है परंतु इन्हें कड़ी धूप नहीं मिलनी चाहिए। अगर आपने इन्डोर प्लांट लगाया है तो उन्हें थोड़ी देर के लिए धूप में अवश्य रखें। इन पौधों को सप्ताह में लगभग 3 दिन धूप 2 घंटे के लिए अवश्य मिलनी चाहिए। हालांकि जब मौसम गर्मी का प्रारंभ हो तो इन्हें ज्यादा धूप नहीं दिखानी चाहिए। आप अपने पौधों के ऊपर नेट भी लगा सकते हैं जिससे उन्हें धूप भी मिलेगी और उनकी सुरक्षा भी होगी।
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मिट्टी की गुड़ाई भी है आवश्यक
पौधों को बेहतर हवा मिले इसके लिए आपको अपने गमले में मिट्टी की खुदाई भी करते रहनी चाहिए। अगर मिट्टी अत्यधिक सख्त है तो आप इसे खुरपी या लकड़ी की मदद से गुड़ाई कर सकते हैं। महीने में लगभग एक बार मिट्टी की गुड़ाई अवश्य ही करनी चाहिए। खुदाई की वजह से इसमें घास नहीं उगेगी एवं आपकी मिट्टी ढीली एवं स्वच्छ रहेगी।
गुड़ाई के लिए मुख्य टूल्स
1.गार्डन ग्लव्ज
2.फावड़ा या खुरपी
3.बाल्टी
- लड़की एवं सुतली ताकि पौधा रहे सीधा
5 कैंची ताकि पौधों की छटाई हो सके।
विभिन्न प्रकार के पौधे
फूल एवं सजावटी पौधें ….. इनमें आपको मनी प्लांट, जैट्रोफा, साइकस पाम, अडिका पाम, बॉटल ब्रश इत्यादि सजावटी पौधे मिलेंगे। जिन्हें कैटेगरी के अनुसार अलग-अलग मौसम में लगाया जाता है।
बारहमासा पौधा.. इस कैटेगरी में बोगनवेलिया, रात की रानी, मोगरा, मोरपंख, हैबिस्क्स, चमेली, मोगरा, फाइकस एवं गेंदा शादी है।
गर्मी के पौधे…. इस कैटेगरी में आपको सूरजमुखी, गेलार्डिया, जिनिया, टिथोरिया एवं कॉसमॉस आदि शामिल है। इनके बीजों की बुवाई फरवरी महीने के लास्ट में होती है वहीं अप्रैल में इनमें फूल दिखने लगते हैं।
मॉनसून के पौधे… इस कैटेगरी में टोरिनिया, एजेरेंटम, बालसम, गामफेरीना, कनेर एवं एमरेन्थस शामिल है। जिन्हें मासूम के दिनों में जून के उपरांत लगाया जाता है वहीं इससे आपको दो माह में फूल दिखने लगेंगे।
सर्दी के पौधे… इस कैटेगरी में गुलाब, डेजी, हॉलीहॉक, गेंदा, कॉर्न फ्लावर, कॉमसॅम, डहेलिया, गुलदावरी आदि शामिल है। इनकी बुवाई अक्टूबर में की जाती है जो दिसंबर एवं जनवरी में खिल उठते हैं।
पानी में उगने वाले पौधें
कुछ ऐसे भी पौधे होते हैं जिनके ग्रोथ के लिए पानी की आवश्यकता होती है और उन्हें मिट्टी में नहीं लगाया जाता। वह सिर्फ पानी में ही ग्रोथ करते हैं। इन पौधों में लिली, लोटस, मनी प्लांट, वॉटर लेट्यूस एवं सिंगोनियम आदि शामिल है। इन्हें आप बोतल में लगा सकते हैं। आप बोतल में नॉर्मल पानी भरकर उनमें इन पौधों को लगाकर शोभा बढ़ा सकते हैं। आप चाहे तो इसमें एक छोटा सा चकोल का टुकड़ा भी डाल सकते हैं। आप गर्मियों के मौसम में इसके पानी को 4 दिनों के अंतराल में बदलते रहें ताकि इससे बदबू ना आए।
मनीप्लांट… अधिकतर लोग अपने घर को सजाने के लिए मनी प्लांट लगाते। इसे आप मिट्टी एवं पानी दोनों जगह ही आसानी से लगा सकते हैं। आप सर्दियों के मौसम में अगर इसे लगाते हैं तो इसका ग्रोथ अच्छी तरीके से होता है क्योंकि इसे अत्यधिक धुप की आवश्यकता नहीं पड़ती है। परंतु आप इसे हफ्ते में एक दिन के लिए धूप में अवश्य रखें। अगर आपने इसे पानी में लगाया है तो 15 दिन के बाद इसके पानी को बदल दें। अगर आप का पौधा ग्रोथ नहीं कर रहा है तो इसके पानी में भी कुछ यूरिया की गोली को डाल सकते हैं।
मच्छर भगाने एवं हवा को साफ करने वाले पौधें
ऐसे बहुत से पौधे होते हैं जो मच्छर भगाने एवं हवा को साफ करने में मदद करते हैं। ऐसे पौधों में लेमन बाम, सिट्रोनेला, गेंदा, तुलसी, रोजमेरी, हार्ससमिन्ट, लैवेंडर आदि शामिल है।
गेंदा…..गेंदा की गंध बहुत ही तीखी होती है जिस कारण यह मच्छरों को पसंद नहीं आती। इससे मच्छरों के साथ-साथ कीड़े मकोड़े भी काफी दूर रहते हैं।
रोजमेरी… इसके पौधे लगभग 5 फुट लंबे होते हैं और यह गर्मी में तेजी से ग्रोथ करते हैं। सर्दियों के मौसम में आप इसके गमले को घर के अंदर रखे तो इससे मच्छर भाग जाएंगे।
लेमन बाम… यह दिखने में पुदीने की तरह ही दिखता है परंतु इससे नींबू के जैसे सुगंध होती है। जिस कारण मच्छर से दूर रहते हैं।
हार्समिंट… इससे कसैली की गंध आती है और यह एक तरह का मिंट है।
लैवेंडर.. इसकेपौधे की सुगंध बहुत ही तेज होती है जिस कारण मच्छर इससे काफी दूर रहते हैं।
फल एवं सब्जियां
शुरुआती दौर में आप सब्जियों के तौर पर धनिया, कड़ी पत्ता, पुदीना, लेमनग्रास एवं अलग प्रकार के साग को आसानी से उगा सकते हैं। इनके ग्रोथ के लिए अधिक धूप की आवश्यकता नहीं होती है। आप इसे लिविंग रूम या फिर खिड़की के पास भी रख कर उगा सकते हैं। आप आसानी से सब्जियों एवं फलों को उगाकर बहुत ही जल्दी गार्डनरिंग के तरीके सीख पाएंगे। आगे आप भिंडी, बिन्स, शिमला मिर्च, टमाटर, गांठ गोभी बैगन आदि सब्जियों को उगा सकते हैं।
फलदार वृक्ष
अगर आपके टेरेस एवं लॉन में खाली जगह है तो आप फलदार वृक्ष के तौर पर अनार, अमरुद एवं अनानास आदि लगा सकते हैं। आपको इसमें ऐसे किस्म के पौधे मिलेंगे जो छोटे होते हैं और प्रचुर मात्रा में फल प्रदान करते।
सर्दियों एवं गर्मियों में लगने वाले सब्जी
आप गर्मियों के मौसम में खीरा, घीया, करेला, ककड़ी आदि सब्जी को उगा सकते हैं। इसके अतिरिक्त आप भिंडी टमाटर बैंगन आदि को भी बहुत ही आसानी से उगा सकते हैं और कल कुछ ही माह में इनका सेवन प्रारंभ कर सकते हैं। वहीं सर्दियों के मौसम में आप फूल गोभी पत्ता, गोभी पालक, मेथी, गाजर, चुकंदर, ब्रोकली, मुली आदि को आसानी से उगा सकते हैं और बहुत ही जल्द इनको अपने सेवन के लिए प्राप्त कर सकते हैं।हलांकि टमाटर की बुआई साल में दो बार की जाती है।
मेडिसनल पौधे
तुलसी एलोवेरा लोंग पुदीना नीम गिलोय आदि ऐसे पौधे हैं जो हमारे सेहत के लिए बहुत ही लाभदायक होते हैं और इनका उपयोग बीमारियों से निजात पाने के लिए किया जाता है।
तुलसी जो कि हम सभी घरों में पाए जाते हैं हालांकि यह सर्दियों के मौसम में मुरझा जाती है। ठंडी अत्यधिक होने लगे तो आप इसे उठाकर अपने घर में अंदर रख दें या फिर आप इसे कपड़े से ढक कर भी रख सकते हैं। सर्दियों के मौसम में अगर धूप निकले तो इसे अवश्य ही बाहर निकाल ले वहीं गर्मियों के मौसम में धूप से बचाना आवश्यक होता है।