Wednesday, December 13, 2023

जलेबी नहीं है भारतीय मिठाई, जानिए कहां से भारत में आई थी यह मिठाई

जलेबी (Jalebi) का नाम सुनते ही हम सभी के मुंह में पानी आने लगता है फिर चाहे वह बच्चा हो या बुजुर्ग। हर आयुवर्ग के लोगों को जलेबी बहुत पसंद होता है। वहीं कई लोगों की इससे जुड़ी यादें भी होती हैं। यह एक ऐसी मिठाई है जिसे भारत के कोने-कोने में बड़े ही चाव से खाया जाता है और यही वजह है कि कई लोग इसे भारत का राष्ट्रीय मिठाई भी कहते हैं। लोगों को जलेबी इसे इतना प्यार है कि उन्हें लगता है इस मिठाई की शुरूआत भारत से ही हुई है जबकी ऐसा नहीं है। जी हां, जलेबी की शुरूआत भारत से नहीं बल्कि किसी और देश से हुई है तो इसी क्रम में चलिए जानते हैं इससे जुड़े रोचक इतिहास के बारें में-

कहां हुई थी जलेबी की खोज?

कई लोगों को इस बात पर विश्वास नहीं होगा कि हर नुक्कड़ या मेले में मिलना वाला जलेबी इंडियन न होकर विदेशी है लेकिन यही सत्य है। जलेबी की खोज पश्चिमी एशिया में हुई थी। इसके अलावा ईरान में जलेबी को जोलबिया के नाम से जाना जाता था। वहीं इसके बारें में कहा जाता है कि इस खासतौर पर गरीबों में वितरित करने के लिए रमजान के समय पर बनवाया जाता था। History and Origin of Jalebi.

13वीं सदी में किताब में की गई थी जिक्र

13 वीं सदी में भी जलेबी (Jalebi) के बारें में जिक्र की गई है। मोहम्मद बिन हसन अल-बगदादी ने 13 वीं शताब्दी में किताब अल-तबीख नामक एक किताब लिखी थी जिसमें प्रसिद्ध व्यंजनों के बारें जिक्र किया गया था। उसी किताब में पहली बार जलेबी अर्थात् जोलबिया के बारें में बात की गई थी। अब आप सोच रहे होंगे कि ये हमारे भारत देश में कैसे आई? दरअसल मध्यकाल में जब तुर्की और फारसी व्यापारी भारत आए तो अपने साथ जलेबी लेकर आए जिसके बाद से ये भारत में भी बनने लगी और लोगों की जुबां पर चढ़ गई।

हालांकि, फारसी भाषा में जलेबी को “जौलबिया” कहा जाता था लेकिन भारत में आने के बाद यहां उसे जलेबी कहा जाने लगा। 15 वीं शताब्दी तक यह मिठाई भारत में इस कदर प्रसिद्ध हुई कि यहां हर त्योहार, शादी और अन्य अवसरों पर बनाई जाने लगी। इतना ही नहीं अनेकों मंदिरों में इसे प्रसाद के रूप में दिया जाने लगा। History and Origin of Jalebi.

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जैन धर्म में है जलेबी का जिक्र

1450 में जैन धर्म में एक किताब लिखी गई थी जिसमें जलेबी के बारें में बताया गया है। उस किताब के मुताबिक, जैन धर्म मे जो अमीर जैन धर्मार्थी थे उनके यहां जलेबी खाई जाती थी। इसके अलावा इसका जिक्र 16 वीं सदी के लेखक रघुनाथ की लिखी गई पुस्तक में भी की गई है जिसका नाम “भोजन कौतुहल” है। इतना ही नहीं इस किताब में जिक्र करने से पहले संस्कृत भाषा में लिखित “गुण्यगुणाबोधिनी” पुस्तक में जलेबी के बारें में बताया गया है। आज भी जलेबी को जिस विधि द्वारा बनाई जाती है वह विधि इसी पुस्तक में लिखी गई है।

भारत समेत अन्य काई देशों में चाव से खाई जाती है जलेबी

आपको जानकर हैरानी होगी की जलेबी को सिर्फ भारतीय ही नहीं बल्कि दक्षिण एशिया के कई देशों के लोग बहुत पसंद से खाते हैं। हालांकि, जगह के अनुसार इसके नाम में भी परिवर्तन नजर आता है साथ में देश और धर्म के अनुसार स्वाद भी अलग रहता है। इसके बावजूद भी बनाने की विधि एक जैसी ही रहती है। बता दें कि, उत्तर पश्चिमी भारत और पाकिस्तान में इसे “जलेबी” के नाम से जाना जाता है जबकी दक्षिण भारत में लोग इसे “जिलेबी” कहते हैं। इसके अलावा इसे बंगाल में “जिल्पी” कहा जाता है।

भारत में मौजूद है जलेबी के कई रंग-रूप

भारत के अलग-अलग राज्यों में जलेबी के कई किस्में प्रचलित हैं जैसे बंगाल में चनार जिल्पी, मध्यप्रदेश में मावा जम्बी, हैदराबाद में खोवा जलेबी और आँध्रप्रदेश में इमरती या झान्गिरि आदि। इनसब के अलावा इन्दौर में जलेबी बनाने वाले मिश्रण में पनीर को कद्दूकस करके डाला जाता और तब उससे पनीर जलेबी बनाई जाती है। History and Origin of Jalebi.

उम्मीद करते हैं जलेबी के बारें में यह रोचक जानकारी आपको अच्छी लगी होगी। ऐसे ही अन्य रोचक जानकारी के लिए The Logically के साथ जुड़े रहें।