हम रोजमर्रा की जिंदगी में अनेकों उपयोगी अविष्कारों को इस्तेमाल में लाते हैं, लेकिन उसपर कभी गौर नहीं करते। आखिर हमारी जरूरत की चीजें किसने बनाईं? इसके साथ अनेक प्रश्न हमारे दिमाग में क्यों नहीं आते?
उदाहरण के तौर पर ट्रैक्टर को ही देख सकते हैं।
सामान्य तौर पर उसमें चार पहिए होते हैं। पीछे के दो पहिए बड़े और आगे के दो पहिए छोटे, लेकिन इसमें इतना फर्क क्यों होता है? क्योंकि अधिकांश गाड़ियों के पहिए सामान्य और एक आकर के होते हैं, फिर ट्रैक्टर में यह फर्क क्यों?
इस लेख द्वारा हम आपको यह जानकारी देंगे कि आखिर ट्रैक्टर के पहियों में इतनी असमानता क्यों होती है?
ट्रैक्टर खींचता है अधिक भार
कई बार लोग सोचते हैं कि ट्रैक्टर का इंजन बेहद मजबूत होता है, लेकिन यह पूरी तरह सच नहीं है। हां, यह जरुर है कि ट्रैक्टर भारी-भरकम चीजों को आसानी से जरूर खींच लेता है। ट्रैक्टर का इंजन कार के इंजन इतना ही शक्तिशाली होता है, लेकिन ट्रैक्टर का भार खींचने के पीछे ‘ट्रैक्शन’ होता है। ट्रैक्टर शब्द भी ‘ट्रैक्शन’ से ही आया है। ट्रैक्शन का अर्थ ‘खींचना’ होता है।
अन्य गाड़ियों की तुलना में ट्रैक्टर में टॉर्क अर्थात पहिए घुमाने या खींचने की क्षमता डेढ़ गुणा अधिक होती है। कार की तुलना में ट्रैक्टर गियर की सहायता से स्पीड कम करके अधिक टॉर्क पैदा करता है। यही वजह है कि ट्रैक्टर भारी लोड को भी आसानी से खींच लेता है।
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आखिर पीछे के पहिए बड़े क्यों होते हैं ?
बाइक या कार में ट्रैक्शन कम होने की वजह से यह कीचड़ में फंस जाते हैं क्योंकि यह स्वयं का भी भार नहीं खींच पाते, लेकिन ट्रैक्टर मिट्टी या अधिक कीचड़ में भी बहुत सरलता से अपने कार्य को अंजाम दे देता है। पीछे के टायर बड़े होने के कारण यह आसानी से निकल भी जाता है। यही कारण है कि ट्रैक्टर के पिछ्ले हिस्से में बड़े टायर का इस्तेमाल होता है, जिससे यह मजबूत पकड़ बनाए रखता है और धंसता नहीं है।
आगे के पहिए छोटे क्यों?
ट्रैक्टर में मौजूद छोटे पहियों से एक सुविधा यह होती है कि वह सांकरी मोड़ पर घूमाने में आसान साबित होती है। इससे आगे देखने में भी दिक्कत नहीं होती है।
इसके अलावा इंजन आगे होने के कारण वजन को बराबर रखने के लिए ट्रैक्टर के पिछ्ले हिस्से में बड़े टायर लगाना आवश्यक होता है। इससे यह भी फायदा होता है कि पीछे के दोनों टायर वजन खींचते वक्त आगे से ट्रैक्टर को उठने नहीं देते हैं।
अपने आसपास की चीजों और मशीनों को देखकर हम उसके पीछे के साइंस को समझ सकते हैं। बस जरूरी इस बात की है कि हम किसी भी चीज को जिज्ञासा की नजर से देखें।