Wednesday, December 13, 2023

लाल चावल की खेती से 3 गुणा कमाई कर रहे हैं किसान, स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है

आज के दौर में ज्यादातर किसान पारंपरिक खेती को घाटे का सौदा मान रहे है और पारंपरिक खेती छोड़ आधुनिक खेती के तरफ अपना रुख कर रहे हैं। वहीं छत्तीसगढ़ के कोरबा में किसान काले चावल (black rice) की खेती करने के बाद लाल चावल (red rice) की खेती के तरफ अपना रुख कर लिए है और इससे अच्छा मुनाफा भी प्राप्त कर रहे हैं।

एक्सपर्ट का दावा, पौष्टिकता से भरपूर है लाल चावल

लाल चावल के बारे में कुछ एक्सपर्ट का दावा है कि इस चावल में व्हाइट और ब्राउन राइस की तुलना में 10 गुना ज्यादा पौष्टिकता पाया जाता है। इसके साथ हीं इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है। बता दें कि, एक्सपर्ट के अनुसार इस चावल में फाइबर, विटामिन बी, फाइबर, जिंक, कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, सैलीनियम और काफी एंटीऑक्सिडेंट होते है।

नहीं किया जाता है रिफाइंड

आपको जानकारी हो कि, लाल चावल को रिफाइंड नहीं किया जाता है, जबकि सफेद चावल को पॉलिशिंग और रिफाइंड जैसे कई प्रोसेस से तैयार किया जाता है। लाल चावल को सिर्फ धान का छिलका हटाने के बाद पकाया जाता है।

बता दें कि, लाल चावल को पकने में सफेद चावल के तुलना में ज्यादा समय लगता है, हालांकि ये सेहत के लिए काफी फायदेमंद होते है। इसलिए डायट में ज्यादातर लोग तथा कई सेलेब्रिटीज भी लाल चावल का हीं प्रयोग करते हैं।

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बाजार में है खूब डिमांड

आज के समय में ज्यादातर किसान व्हाइट तथा ब्राउन चावल की तुलना में लाल चावल की खेती ज्यादा करना पसंद करते हैं क्योंकि बाजार में इसका खूब डिमांड है। बता दें कि, बाजार में यह चावल 150 से 200 रुपये प्रति किलो बिक रहा है।

कई बीमारियों से बचने के लिए है फायदामंद

बता दें कि, इस धान में फाइबर तथा प्रोटीन की मात्रा भरपूर है, इसलिए यह चावल टाइप-2 डायबिटीज मरीजों के लिए काफी फायदेमंद तथा हमारे पाचन तंत्र के लिए काफी लाभदायक है। इसके अलावा इसमें एमिनोब्यूटिरिक नामक तत्व पाया जाता है, जो हमारे शरीर में कैंसर सेल्स को बढ़ने से रोकता है। जिससे कैंसर बीमारी का खतरा कम रहता है।

कहां- कहां हो रही है इसकी खेती?

छत्तीसगढ़ के कोरबा में लाल चावल की खेती की शुरुआत सबसे पहले 5 किसानों ने की थी। इन किसानों के मुनाफे को देखकर आज के समय में कोरबा के करतला ब्लॉक के 3 गांव घिनारा, बोतली और बिंझकोट के 13 किसानों ने 15 हेक्टेयर खेत में इस चावल की खेती शुरू की है। इसके अलावें, बिहार, झारखंड, तमिलनाडु, केरल में भी इसकी अच्छी खेती होती है।