मनुष्य के जीवन में सन्तोष और सुकून होना बेहद जरुरी है। ऐसे कई लोग हैं जो अपनी मासिक सैलरी से संतुष्ट नहीं होते हैं। यदि किसी काम को करने से संतुष्टी नहीं मिलती है तो उस कार्य को करना मुश्किल सा हो जाता है क्योंकि बिना रुचि के किसी कार्य को आप अच्छे ढंग से नहीं कर सकते हैं। आजकल कई लोग अपनी नौकरी से सन्तोष नहीं होने के वजह से उसे छोड़ अलग-अलग कार्य क्षेत्र में अपना भाग्य आजमा रहे हैं। मनुष्य यदि चाहे तो वह अपनी तकदीर बदल सकता है, बस उसे करने के लिए लगन और मेहनत की आवश्यकता है।
कुमार पुरुषोतम की कहनी भी कुछ ऐसी हीं है। उन्होंने अपनी 15 हजार की नौकरी को छोड़कर उर्वरक बनाने का फैसला किया। आज वह अपने परिश्रम और लगन की वजह से प्रति माह लाखों की कमाई कर रहे हैं। आइये जानते हैं उनके और उनके कार्यों के बारे में।
कुमार पुरुषोतम (Kumar Purushottam) बिहार के बिहारशरीफ (Biharsharif) के रहनेवाले हैं। उन्होंने 19 वर्ष पहले इलाहाबाद यूनिवर्सिटी (Allahabad University) से स्नातक की उपाधि हासिल किया है। उसके बाद वह रोजगार की खोज में थे। उन्हें स्वयंसेवी संगठन में उन्हें 15 हजार रुपये तन्ख्वाह वाली नौकरी मिली थी। 15 हजार अधिक रकम नहीं है। ऐसे में सिर्फ इतने हीं पैसे से घर-परिवार का जीवन-यापन चलाना बहुत कठिन था। इसलिए पुरुषोतम आगे की राह की खोज में थे।
उसके बाद पुरुषोत्तम ने उर्वरक बनाने का निर्णय लिया। उन्हें महसूस हुआ कि लागत और आमदनी दोनों के दृष्टिकोण से यह कार्य बेहतर रहेगा। उसके बाद कुमार पुरुषोत्तम ने घरेलू खाद बनाने पर विचार किया। घरेलू खाद बनाने के लिए उन्हें प्रशिक्षण की आवश्यकता थी। उसके बाद उन्हें जी जीसस एन्ड मैरी कॉलेज के प्रोजेक्ट धारा के बारे में जानकारी हासिल हुई। उस प्रोजेक्ट धारा से 45 छत्राएं जुड़ी हुई थीं और वह बेरोजगार महिलाओं को वर्मी कंपोस्ट बनाने की राह पर आत्मनिर्भर बना रही थी। वह महिलाओं को वर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने का कार्य दे रही थीं। उसके बाद पुरुषोत्तम ने वहीं से वर्मी कंपोस्ट बनाने का प्रशिक्षण लिया। प्रशिक्षण लेने के बाद पुरुषोत्तम ने जैसे-तैसे करके 20 लाख रुपए का लोन लिया और रांची में वर्मी कम्पोस्ट बनाना आरंभ किया।
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कुमार पुरुषोत्तम गोबर में सड़े हुए पत्तों को केचुएं के साथ मिलाकर वर्मी कंपोस्ट बना रहे हैं। उनका लक्ष्य है कि वह इस कार्य को 500 टन सलाना तक लेकर जाएं। मदद करना भी बहुत बड़ी बात है। आजकल सब कोई सब किसी की मदद नहीं करता है लेकिन पुरुषोत्तम ने बहुत सारे लोगों की सहायता की है। उन्होनें की लोगों के कारखाने भी लगवा दिए हैं। कुमार पुरुषोत्तम का सालाना टर्नओवर 90 लाख को क्रॉस कर चुका है। एक समय था, जब उन्हें ₹15000 की नौकरी करनी पड़ती थी। वहीं वर्तमान मे उन्हें प्रति माह डेढ़ लाख से पौने 2 लाख तक की आमदनी हो रही है।
वर्मी कम्पोस्ट बनाने के फायदे
वर्मी कंपोस्ट बनाने से पुरुषोत्तम को आमदनी तो हो हीं रही है इसके साथ हीं वह पर्यावरण के लिए भी बहुत लाभदायक है। इससे फायदा यह होता है कि यह जमीन की गुणवत्ता को बढ़ाता है तथा भूमि से पानी का वाष्पीकरण कम होता है। वर्मी कम्पोस्ट भूमिगत जलस्तर को बनाए रखने में भी बहुत मददगार साबित होता है।
पुरूषोत्तम जी नें अपनी मेहनत से आज 15 हजार की नौकरी को छोड़ कर महीने में डेढ़-दो लाख की आमदनी कमा रहे हैं। यह बेहद प्रशंसनीय है। The Logically कुमार पुरुषोतम के वर्मी कम्पोस्ट बनाने के निर्णय को नमन करता है तथा उनके कार्यों की खूब सराहना करता है।