Wednesday, December 13, 2023

दलित महिला द्वारा रेप के झूठे केस में 20 वर्षों तक जेल में रहे, अब मिली आज़ादी लेकिन अब तक परिवार का कोई ज़िंदा नही बचा

यूपी के ललितपुर (Lalitpur) जिले के ग्राम सिलवन (Silwan) निवासी विष्णु तिवारी (Vishnu Tiwari) को हाईकोर्ट ने 20 साल बाद रेप व हरिजन एक्ट के मामले में निर्दाेष साबित किया है। बीस सालों में विष्णु अपने दो बड़े भाइयों व मां-बाप सहित चार सदस्यों को खो चुका है। गुरुवार को जब वह जेल से रिहा होकर गांव पहुंचा तो परिजनों सहित गांव वालों ने उसका स्वागत किया व गले मिलकर खुशी व्यक्त की। इधर विष्णु ने बताया कि, अगर वह कुछ दिन और रिहा नहीं होता तो आत्महत्या कर लेता। क्योंकि जेल में रहते-रहते उसके मन ने जेल की जिन्दगी से छुटकारा पाने के लिए आत्महत्या करने का मन बना लिया था।

‌क्या है पूरा मामला :-

‌मामला वर्ष 2000 का है जब विष्णु तिवारी (Vishnu Tiwari) अपने पापा तथा दो भाईयो के साथ अपने गाँव उत्तर प्रदेश के ललितपुर में रहते थे। वर्ष 2000 के सितंबर महीने में विष्णु के गांव ललितपुर (Lalitpur) से 30 किलोमीटर दूर सिलवन (Silwan) गांव की एक दलित महिला ने ‘विष्णु’ पर आरोप लगाया कि उन्होंने उसका बलात्कार किया है। विष्णु के अनुसार, पशुओं को लेकर थोड़ी बहुत पीड़ित पक्ष से बहस हुई थी, इतनी सी बात को लेकर विपक्षी ने थाने में शिकायत दर्ज की लेकिन मामला झूठा होने के चलते 3 दिन तक पुलिस ने मामला नहीं लिखा। बाद में दबाव के चलते पुलिस ने उस पर रेप व एससी-एसटी एक्ट का मामला लिख लिया और उसे पकड़कर जेल भेज दिया। बाद में विष्णु पर दलित महिला के बलात्कार, आपराधिक धमकी, यौन शोषण आदि को लेकर एससी/एसटी एक्ट के तहत मामला में एक ट्रायल कोर्ट ने विष्णु को दोषी पाया और आजीवन कारावास की सजा सुना दी थी।

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‌ विष्णु तिवारी बताते हैं वर्ष 2003 में जेल में रहने के दौरान पता चला कि उसे रेप के मामले में 10 वर्ष व एससी एसटी एक्ट के मामले में 20 वर्ष की सजा हुई है। उसके पिता ने जमानत के लिए जमीन बेची व पैसा लगाया। जमानत नहीं मिली तो पिता को लकवा मार गया और वर्ष 2013 में उनकी मौत हो गयी और 2014 में उसकी मां की भी मौत हो गयी ओर कुछ वर्षों बाद उसके बड़े भाई ‘रामकिशोर तिवारी’ (RamKishor Tiwari) व ‘दिनेश’ (Dinesh) की भी मौत हो गयी।

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‌12 वर्षों तक नहीं पहुंचा जेल में उससे कोई भी मिलने नहीं आया

‌ विष्णु बताते हैं कि 2005 के बाद उससे मिलने कोई नहीं पहुंचा। वर्ष 2017 में छोटा भाई ‘महादेव’ (Mahadev) मिलने पहुंचा, तब उसे पता चला कि उसके मां-बाप और भाइयों की मौत हो गयी है। वर्ष 2018 में जेल में रहते विधिक सेवा अन्तर्गत आये वकील ने उसकी सुनवाई की और केस हाईकोर्ट में लड़ा, जहां से हाईकोर्ट ने उसे निर्दाेष साबित किया।

 Lalit tiwari


‌जेल से बाहर आने पर विष्णु ने सिस्टम पर उठाया सवाल

‌ 20 वर्ष बाद जब निर्दोष विष्णु हाईकोर्ट से रिहा होकर के अपने गांव ललितपुर पहुंचे तब उन्होंने उस समय के सिस्टम पर सवाल उठाए और कहा कि निचली अदालत के लचर व्यवस्था तथा बिना पुख्ता सबूत के मुझे निर्दोष होते हुए भी 20 वर्षों की सजा दे दी गई। निचली न्यायालय के गलत फैसले से हमें जो नुकसान हुआ, उसकी भरपाई नहीं हो सकती है। हमें इस बात की संतुष्टि भर है कि कम से कम हम निर्दोष साबित हुए है।

‌सरकार से लगाई मदद की गुहार

‌बीस सालों तक जेल में रहकर निर्दाेष साबित होकर घर पहुंचे विष्णु तिवारी सरकार से मदद की गुहार लगाकर कह रहे हैं कि आज उसके पास कुछ नहीं बचा, न रहने के लिए घर और जमीन भी उसकी बिक गयी है। ऐसे में सरकार उसकी मदद करे, उसे रहने के लिए प्रधानमंत्री आवास दे और ऐसा काम दे जिससे वह काम कर सके और उसे रोजगार मिल सके।