हम आज से दो दशक पहले की बात करे तो, सर्दी शुरू होने से पहले हीं हमारे घर और आस-पड़ोस की महिलाओं के हाथों में ऊन के गोले और सलाइयां देखने को मिलती थी। इन ऊनो से वे अपने घर परिवार के सभी बच्चे और बड़ों के लिए स्वेटर बनाती थी। मां के द्वारा बुने उन स्वेटर की डिजाइन बड़ी हीं खूबसूरत होती थी और उन स्वेटर में मां के प्यार की गर्माहट भी छुपी होती थी।
लेकिन समय ने कड़वाहट लिया और अब उन महिलाओं के हाथों से ऊन के गोले और सलाइयां छूटती गई। वैसे तो अब बाजारों में एक से बढ़कर एक रेडिमेंट स्वेटर देखने को मिलती है लेकिन ऊन स्वेटरों में मां की प्यार की गर्माहट नहीं मिल पाती है।
हमारी युवा पीढ़ी रेडीमेंट फैशन को फॉलो करने लगी है, अब लोगों को बाजारों में मिल रहे रेडीमेंट चींजे पसंद आने लगी है और यहीं कारण है कि आज बुनाई, कढ़ाई और क्रोशिया आर्ट विलुप्त होती जा रही है
आज हम मुंबई (Mumbai) की रहने वाली ललिता शंकर (Lalita Shankar) की बात करने वालें हैं, जो आज भी क्रोशिया आर्ट को विलुप्त होने से बचाने की प्रयास कर रही हैं। अब वे एक Entrepreneur, एक होममेकर है और दो बार गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवा चुकी हैं।
महज 10 साल की उम्र से कर रही हैं क्रोशिया
ललिता शंकर (Lalita Shankar) ने महज 10 साल की उम्र से हीं क्रोशिया में हाथ आजमाना शुरू कर दिया था। यह गुण इन्होंने अपनी मां से सीखी थी, जो सरकारी स्कूल में मैथ्स टीचर थीं। इनकी मां एक शिक्षिका होने के साथ हीं साथ कढ़ाई, बुनाई और क्रोशिया आर्ट में भी निपुण थी।
घंटों दीया जलाकर करती थीं क्रोशिया
उन्होंने (Lalita Shankar) 10 की छोटी उम्र से हीं क्रोशिया करना शुरू कर दिया था। वे घंटों दीया जलाकर क्रोशिया किया करती थीं। जिसके कारण उन्हें उनके पैरेंट्स से डांट भी मिलती थी। फिर भी वे बड़े चाव से इस काम को किया करती थी ।
लोगों के द्वारा मजाक बनाए जाने के वजह से क्रोशिया करना किया बंद
ललिता (Lalita Shankar) ने बताया कि, अक्सर उन्हे क्रोशिया करते हुए देख लोग उनका मजाक बनाया करते थे। लोगों का कहना था कि, क्या दादी नानी के तरह बेकार चीजों में अपना समय बर्बाद कर रही हो। लोगों के द्वारा बार-बार टर्चर किए जाने के वजह से उन्होंने क्रोशिया करना बंद कर दिया। फिर जब उनकी शादी हो गई और वे प्रेग्नेंट हुई तो वापस उन्होंने क्रोशिया करना शुरू कर दिया।
बच्चों के लिए बनाया करती थीं ड्रेस, स्वेटर, टॉप और नेकलेस
ललिता (Lalita Shankar) अपने बच्चों के लिए अक्सर ड्रेस, स्वेटर, टॉप और नेकलेस बनाया करती थीं। उनके बच्चे जब उस ड्रेस को पहनकर स्कूल जाया करते थे तो सभी बच्चे उनसे पूछा करते थे कि कहां से लिया यह ड्रेस? सभी स्कूल के शिक्षक भी ड्रेस के बारे में पूछा करते थे। सभी उनके कला को देखकर हैरान थे। बच्चों ने जब इस बात को इन्हे बताया तो इनके काफी खुशी हुई और इन्होंने इस कला को विस्तृत रूप देना शुरू किया।
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अपनी कला को दिया पेशे का रूप
इन्होंने (Lalita Shankar) अपने कला को धीरे धीरे विस्तृत करना शुरू कर दिया और क्रोशिया की मदद से झुमके, कीचेन और कई ढेर सारी फैशन एक्सेसरीज़ बनानी शुरू कर दिया। फिर अपनी इस कला को उन्होंने पेशे का रूप दिया और धीरे-धीरे उनके द्वारा बनाई गई कृतियां बिकने लगीं।
50 साल की उम्र में किया Cool Crochet की शुरुआत
50 साल की उम्र में ललिता (Lalita Shankar) ने Cool Crochet की शुरुआत की, जहां सोशल मीडिया की मदद से लोग ऑनलाइन उनकी कृतियों को खरीद सकते हैं। साल 2015 में वे MICQ मदर इंडिया क्रोकेट क्वींस में शामिल हुईं और दुनिया की सबसे बड़ी क्रोशिया ब्लैंकेट बनाने का हिस्सा बनीं। इसके अलावें उन्हे कई प्रदर्शनियों में उनके क्रोशिया आर्ट के लिए सराहना मिली। ललिता को क्रोकेट और बुनाई के अलावें कढ़ाई, कुंदन ज्वैलरी, सिल्क थ्रेड ज्वैलरी और कुकिंग में खूब दिलचस्पी है।
विश्व रिकॉर्ड का हिस्सा बनने के लिए पति का मिला सपोर्ट
ललिता (Lalita Shankar) बताती हैं कि, वैसे तो उनके पति को क्रोशिया और बुनाई करना पसंद पसंद नहीं है लेकिन विश्व रिकॉर्ड का हिस्सा बनने के लिए उनको पति का खूब सपोर्ट मिला।
पिता के निधन के बाद क्रोशिया किया बंद
ललिता (Lalita Shankar) के पिता का निधन दिसंबर 2015 में दिल का दौरा पड़ने से हो गया, जिसके बाद इन्हें काफी झटका लगा और इन्होंने क्रोशिया करना बंद कर दिया तथा अवसाद में चली गईं। लेकिन इनकी छोटी बेटी गायत्री ने फिर से इनका मनोबल बढ़ाया और वापस इन्होंने क्रोशिया को अपने हाथ में थाम लिया।
दूसरा गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया
ललिता (Lalita Shankar) ने साल 2021 में कुछ कलाकारों के साथ मिलकर दुनिया का सबसे लंबा क्रोकेट स्कार्फ बनाकर दूसरे बार गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज करवाया। इन्होंने टाटा ग्रुप ऑफ कंपनीज के जरिए एक NGO को क्रोशिया कैप्स दान किए और साथ हीं Knitting Knocker बनाया और इसे Saaisha India के जरिए ब्रेस्ट कैंसर के रोगियों को भी दान किया। इतना हीं नहीं इन्होंने कोविड के दौरान क्रोकेट मास्क तक बनाए और लोगों में बांटा।
ललिता ने क्रोशिया आर्ट को देश ही नहीं बल्कि विदेश तक पहुंचाने की ठान ली हैं। इस कला को सिखाने के लिए वे कम शुल्क में ऑनलाइन क्लासेस भी देती हैं।
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