Home Environment

गोबर से बना रहे सोना: गांव के इन लडकों ने गोबर से प्रोडक्ट बनाना शुरू किया, दर्जनों लोगों को रोजगार से जोड़े

कहा जाता है यदि मन में कुछ करने के लिए सच्ची लगन हो तो रास्ते मिल ही जाते है। मेहनत ओर काबिलियत के दम पर सबकुछ हासिल किया जा सकता है। यदि इन्सान चाहे तो अपनी लगन और जज्बे से मिट्टी से भी सोना निकाल सकता है। इसी बात को सही साबित कर दिखाया है पौडी के कुछ युवाओं ने। दरअसल उन लोगों की कोरोनाकाल में रोजगार छीन गई लेकिन उसके बावजूद भी उन्होंने अपना हिम्मत नहीं टूटने दिया और गांव में पड़े गोबर से रोजगार का नया जरिया ढूंढ लिया।

आइये जानते है कि उन्होंने ऐसा क्या किया जिससे कोयला से सोना बनने की बात चरितार्थ हो गई और गोबर से अपनी आर्थिक स्थिति को सही कर रहे हैं।

lamp making dung

विजेंद्र (Vijendra), संदीप (Sandeep), सन्तोष (Santosh) और मनीष (Manish) प्रखंड द्वाराखाल के ग्राम बमोली (Bamoli) के निवासी हैं। इस गांव में लगभग सौ परिवार है तथा इसकी आबादी 12 सौ से अधिक है। विजेंद्र, संदीप, सन्तोष और मनीष ये सभी युवा कोरोना के लॉकडाउन से पहले अलग-अलग जगहों पर नौकरी करते थे। विजेन्द्र रावत हरिद्वार, संदीप हिमाचल प्रदेश, मनीष और संतोष दिल्ली में नौकरी कर के अपना और अपने परिवार का जीवन यापन कर रहे थे। लेकिन कोरोना की वजह से उनकी नौकरी छिन गई। चारो युवकों के समाने 2 वक्त की रोटी की समस्या उत्पन्न हो गई जिसके कारण वे वापस अपने घर लौट आए। इन युवाओं को कृषि संबंधित जनकारी नहीं थी इसलिए उन्होंने खेती में रोजगार नहीं तलाशा। परंतु गांव में रोजगार का जरिया प्रबंध करना उन लोगो के लिए बहुत बड़ी समस्या थी।

यह भी पढ़े :- कामधेनु आयोग ने गाय के गोबर और मिट्टी से 33 करोड़ दीये बनाने का लिया संकल्प: आत्मनिर्भर भारत

वेलोग किसी कार्य को करने हेतु विचाराधीन थे उसी वक्त किरण की एक नई लौ जली। नीलम सिंह नेगी नीलकंठ सतपुली के निवासी ने इन युवाओं के लिए नई उम्मीद लेकर आईं। इन चारो युवकों ने नीलम से ग्राम प्रधान विनीता रावत (Vinita Rawat) के सहयोग से गोबर से दीपक बनाने का प्रशिक्षण लिया। उसके बाद गांव में ही दीपक बनाने का कार्य शुरु कर दिया। विनीता ने बताया कि सौ परिवार वाले इस गांव में हर घर में 2-3 गाय है। जिससे गांव में गोबर की कमी नहीं हैं। उन्होंने बताया कि, नीलम सिंह नेगी ने हीं युवकों को दीपक का ऑर्डर दिया। चारों युवा गोबर के दीए बनाकर उन्हें सप्लाई कर रहें हैं। इसके अलावा बताया कि, अब कोटद्वार से भी दीपक बनाने के ऑर्डर आ रहे हैं। दीया का निर्माण कर रहे युवकों का कहना है कि उन्हें अभी सिर्फ एक सप्ताह का समय हुआ है दीया बनाते हुए और इस एक सप्ताह में ही वे 2-3 हजार दीयों की सप्लाई कर चुके हैं। इसके अलावा 3 हजार दीये आनेवाले एक-दो दिनों में भेज दिया जायेगा।

द्वारीखाल प्रखंड के बमोली गांव में गोबर से दीये बनाने को लेकर काफी उत्साह नजर आ रहा है। दिन भर चारो युवा दीया बनाने का कार्य करते हैं तथा रात के समय अन्य ग्रामीण लोग उनसे दीये बनाने की डाई लेकर अपने-अपने घरों में दीये बनाने का कार्य करते हैं। गांव के प्रधान ने बताया कि तत्काल में दीये के निर्माण के लिए 6 डाई का उपयोग किया जा रहा है। परंतु दीपक बनाने में अन्य ग्रामीणों की रुचि देखकर और अधिक डाई का प्रबंध किया जा रहा है।

The Logically गोबर से दीये बनाने के इस नायाब तरीके के लिए नीलम, विनीता रावत और चारों युवा वीजेन्द्र, संतोष, संदीप, मनीष की खूब प्रशंसा करता है। साथ हीं अपने पाठकों से अपील करता है कि इस दिवाली गोबर से बने दिये का ही इस्तेमाल करें।

2 COMMENTS

Comments are closed.

Exit mobile version