अगर हम आपसे पूछें कि एक पेड़ क्या-क्या कर सकता है तो बेशक ही आपका जवाब होगा एक पेड़ हमें हवा, छाया, फल-सब्जी और ऑक्सीजन देता है। यानि जीवन जीने के लिए जिन मूलभूत चीजों की आवश्यकता है उनमें से अधिकांश हमें केवल पेड़ों से ही प्राप्त होती है।
लेकिन, इसके अलावा कुछ और भी है जो एक पेड़ कर सकता है। वह है मानवजनित हरकतें। 100 प्रतिशत मुमकिन है कि आपने अपनी लाइफ में शायद ही कभी यह कल्पना की होगी कि एक पेड़ को इंसानों की तरह गुदगुदी भी हो सकती है या वह इंसानों की भांति कांप भी सकता है।
इस लेख के माध्यम से हम आपको भारत में ही स्थित ऐसे विचित्र पेड़ों के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी बिल्कुल इंसानों जैसी हरकते हैं। यह अद्भूत पेड़ उत्तराखंड के कालाढ़ूगी जंगल (Kaladhungi Forest in Uttarakhand) में पाये जाते हैं। इस जंगल में ऐसे दो पेड़ स्थित हैं जिन्हे न केवल इंसानों की तरह गुदगुदी होती है बल्कि वे कांपते भी हैं।
उत्तराखंड के कालाढ़ूंगी जंगल में स्थित है हंसने वाले पेड़
उत्तराखंड के कालाढूंगी जंगल में ऐसे दो पेड़ स्थित हैं जिन्हे इंसानों की तरह गुदगुदी होती है। पर्यटकों ने इसका नाम हंसने वाला पेड़(Laughing Tree) भी रखा हुआ है। कालाढूंगी में इन पेडों को ‘थनेला’ (Thanela) नाम से जाना जाता है जबकि, इन पेड़ों को वानस्पतिक रुप से ‘रंडिया डूमेटोरम’ (Randia Dumetorum) नाम दिया गया है। इन पेड़ों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि जैसे ही आप इन पेड़ों को हाथ भी लगाते हैं तो इन्हे गुदगुदी होने लगती है और अगर आप इनके तने वाले भाग को छूते हैं तो इनकी शाखाएं हिलने लगती हैं, इन्ही कारणों से इन्हे ‘हंसने वाला पेड़’ कहा जाता है।
उत्तराखंड के रामनगर के क्यारी जंगल में एक पेड़ कापंता भी है
जहां एक ओर कालाढ़ूंगी जंगल में स्थित यह दो पेड़ गुदगुदी का अहसास करते हैं। वहीं दूसरी ओर रामनगर के क्यारी जंगल(Kyari Forest in Ramnagar) में एक कांपने वाला पेड़ मौजूद है। पिछले 5 सालों से पर्यटकों के लिए आर्कषण का केंद्र बना हुआ है ये पेड़।
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कार्बेट ग्राम विकास समिति ने इन पेड़ों को पर्यटन के लिए घोषित कर दिया है
पेड़ो की इन अजीबोगरीब हरकतों को देखकर व पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र मानते हुए कालाढ़ूंगी की कार्बेट ग्राम विकास समिति (Corbett Village Development Committee) ने इन पेड़ों को पर्यटन से जोड़ दिया है। इतना ही नही, पर्यटकों को घने जंगल में स्थित इन कांपने वाले और गुदगुदी वाले पेड़ दिखाने के लिए बाकायदा समिति के गाइड जाते हैं। कई लोग इन पेड़ों को छूकर लाइव गुदगुदी का आनंद भी लेते हैं।
शोधकर्ताओं के लिए रिसर्च प्वाइंट बन चुके हैं ये पेड़
ये पेड़ न केवल पर्यटकों को लुभाने का काम कर रहे हैं बल्कि एक लंबे अरसे से शोधकर्ताओं के लिए रिसर्च का विषय भी बन चुके हैं। दरअसल, रिसर्चस् उन कारणों का पता लगाने के प्रयास में हैं जिनके कारण इन पेड़ों के तनों में उंगलियां फेरते ही ये हिलने लगते हैं अथवा कांपने लगते हैं। प्रभागीय वनाधिकारी डॉ. पराग मधुकर धकाते का इन पेड़ों के विषय में कहना है कि – “पेड़ों में कंपन व गुदगुदी की वजह उनकी शाखाओं व तनों की नसों का आपस में मिलना है। ऐसी स्थिति में जब आप तने पर स्पर्श करते हैं तो पेड़ की शाखाओं में कंपन पैदा होने लगता है। ‘रुबीएसी प्रजाति’ के ये दुर्लभ पेड़ धरती से तकरीबन 300 से 1300 मीटर की उंचाई पर पाये जाते हैं। इन पेड़ों की मानवजनित हरकतों को देखने के लिए यहां हर साल ढ़ेरों पर्यटक आते हैं”