भारत एक कृषि प्रधान देश है। भारत में अधिकतर लोग कृषि पर निर्भर रहते हैं। कृषि एक ऐसा क्षेत्र है जो हमारे देश में ज़्यादातर लोगों को आत्मनिर्भर बनाता है। कृषि का संबंध सिर्फ खेत में फसल उगाने से ही नहीं बल्कि कृषि का संबंध पशुपालन, मत्स्य पालन, दुग्ध उत्पादन से भी है।
कृषि से आकर्षित होकर एक व्यापारी ने अपना इलेक्ट्रानिक का कारोबार छोड़ आर्गेनिक कृषि की तरफ बढ़ चला और आज उस व्यापारी की लाखों रुपए की आमदनी भी हो रही है। आइए जानतें है वह कौन है और उन्होनें कृषि को कैसे अपनाया।
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लक्ष्मण दास सुखरामानी (Lakshman Daas Sukharaamaani) सतना (Satna) मास्टर् प्लान के रहने वाले हैं। लक्ष्मण दास कारोबारी परिवार से हैं इसलिए उन्होनें पहलें आइस्क्रीम का कारोबार किया। फिर उसके बाद इलेक्ट्रानिक का कारोबार किया और इन दोनों कारोबार में वह सफल भी रहें। सफलता का स्वाद चखने के बाद उनके मन में कुछ नया करने का विचार आया। तभी उन्होनें ‘खेती लाभ का धन्धा’ चुना और खेती करने का फैसला किया। लक्ष्मण दास ने पन्ना जिले के जनवार गांव में सवा दो एकड़ की जमीन खरीदी। उन्होंने खेती की शुरुआत की लेकिन कुछ साल तक कोई खास फायदा नहीं दिखा तो वह सोचें सिर्फ खेती से ज़्यादा फायदा नहीं हो सकता है इसलिए उन्होनें खुद एक एकीकृत कृषि प्रणाली विकसित किया। लक्ष्मण दास ने उत्पादान की क्षमता में बढ़ोतरी और खेती के नये प्रयोग को समझने के लिए वह इजराइल गये। वह मिट्टी का उपयोग किये बिना पशु चारा उत्पादान पद्धति पर काम करना शुरु किये।
लक्ष्मण दास सुखरामानी (Lakshman Daas Sukharaamaani) मध्यप्रदेश राज्य जैविक प्रमाणीकरण संस्था से नेशनल प्रोग्राम फ़ॉर आर्गेनिक प्रॉडक्ट्शन स्टैंडर्ड का प्रमाणपत्र प्राप्त किये। लक्ष्मण दास के घर का कोई भी कूड़ा बाहर नहीं फेंका जाता है। उन्होनें अपने घर के किचेन में वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम और बाल्कनी में वर्मी कम्पोस्ट यंत्र लगाये हैं। इससे उनके घर के पुरे कचरे से खाद बनता है। यह खाद उनके घर के बगीचे में लगे पेड़-पौधें की जड़ों में डाले जाते है और बचे हुए खाद को खेतों में डाला जाता है।
लक्ष्मण दास ने आर्गेनिक खेती की फसल के साथ-साथ उद्धनीकी और पशु म्तस्य पालन का व्यवसाय भी शुरु किया हैं। सभी प्रोडक्ट्शन को आपस में जोड़ कर उतपादन को बढ़ाया और आज 9 से 10 लाख रुपये सालाना की कमाई कर रहे हैं।
The Logically लक्ष्मण दास और इनके जैसे व्यवसायी को नमन करता हैं जो आत्मनिर्भर बनने की शिक्षा देता हैं।