Wednesday, December 13, 2023

बिहार के दो भाई अपनी नौकरी छोड़,किसानों को सीखा रहे हैं लेमनग्रास से चाय बनाने की तकनीक, हो रहा है लाखों में फायदा

आजकल अलग-अलग आइडियाज के साथ स्टार्टअप्स आ रहे हैं ।इन्हीं स्टार्टअप में से एक है एग्री फीडर। बिहार के रहने वाले दो भाइयों द्वारा शुरू किया गया एग्रीफीडर स्टार्टअप किसानों को प्रशिक्षण और तकनीकी ज्ञान प्रदान करता है! बिहार के दो भाइयों रमन कुमार(Raman kumar) और रौनक(Raunak) ने तीन साल पहले एग्रीफीडर(Agrifeeder) की शुरुआत की थी। यह किसानों को पारंपरिक खेती के बजाय खेती के अन्य विकल्पों को अपनाने में मदद करता है और उन्हें इन विकल्पों के बारे में जागरूक करता है।

इसके शुरआत के पीछे की कहानी

रमन बताते हैं कि बिहार में उन्होंने देखा कि आज भी किसान खेती के लिए पारंपरिक तरीके का ही इस्तेमाल करते हैं। इससे उन्हें मुनाफा कम और निवेश ज्यादा लगता है । इन दोनों भाइयों ने सोचा कि क्यों न किसी ऐसे तरीके से किसानों को खेती के लिए प्रेरित किया जाए जिससे उन्हें निवेश कम और मुनाफा ज्यादा हो। इन दोनों भाइयों ने एक तरीका खोजा और किसानों से कहा कि वह अपने खेत की थोड़ी सी जमीन पर मसालों की खेती करें। मसालों की खेती में मेहनत कम लगती है और लागत भी कम लगेगी। मसाले जल्दी बढ़ते भी है इससे किसानों को कम खर्च में ही फायदा होगा। इन मसालों का प्रयोग यह दोनों मसाला मिक्स हर्बल चाय बनाने में करेंगे।

Raman

रमन और रौनक ने किसानों को दिखाने के लिए अपने खेत पर लेमनग्रास उगाया और इससे एक चाय का फार्मूला तैयार किया। इसे भागलपुर जिले के बरौली गांव में लोगों पर इसका प्रशिक्षण भी किया जब यहां पर लोगों की अच्छी प्रतिक्रिया मिली तब इसे आगे बढ़ाने का सोचा। इसमें उनके साथ सात किसान आने के लिए तैयार हुए। उन्होंने अपने खेत के थोड़े से हिस्से में तुलसी और लेमनग्रास उगाया। लेमनग्रास और तुलसी में रखरखाव कम करना पड़ता हैं और न्यूनतम सिंचाई की जरूरत होती है। इसमे कीटनाशक की जरूरत नहीं होती है। फसल तैयार होने के बाद किसान इसे सुखाते हैं और फिर रमन और रौनक उसे 100 रुपये किलो के भाव से खरीदते हैं । एक महीने में कम से कम किसान को इससे 2500 रुपये मिल जाता है।

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इलायची और अदरक के स्वाद में बिकती है मसाला मिक्स हर्बल चाय

इस चाय को बनाने के लिए लेमनग्रास को काली मिर्च, अदरक, मोरिंगा की पत्तियों और दालचीनी के साथ मिलाया जाता है। इसे रमन और रौनक दो स्वाद में बेचते हैं एक अदरक और दूसरी इलायची। बाकी सारे मसाले वहीं रहते हैं। यह 50 ग्राम चाय बाजार में 120 रुपये के भाव से बिकती है। रमन और रौनक बताते हैं कि आय का दो तिहाई हिस्सा किसान को देते हैं। प्रत्येक बिक्री पर लगभग 30 रुपये मुनाफा आता है जिसमें से 20 रुपये किसान को दिए जाते हैं और 10 रुपये ऑपरेशनल लागतो पर खर्च किए जाते हैं।

team members of Raman

किसानों को लगा मसालों की खेती दोनो भी अपने स्वार्थ के लिए करवा रहे हैं

यह मसाला चाय का काम आसान नही था। रमन और रौनक को उसमे शुरू में बहुत सारी परेशानियां का सामना करना पड़ा। जब उन्होंने ग्रामीणों और किसानों को अपने खेत पर मसालों और औषधीय पौधों की खेती करने के लिए कहा तब ग्रामीणों और किसानों को लगा कि रमन और रौनक अपने स्वार्थ के लिए यह कह रहे हैं। इसमें उनका कोई निजी स्वार्थ है और कुछ ग्रामीणों ने तो यहां तक कहा कि इन्हें खेती की कुछ जानकारी नहीं है। यह ऐसे ही तेज़ बन रहे हैं पर जब लोगों ने इसका फायदा देखा तब उन्होंने रमन और रौनक का सहयोग करना शुरू किया।

field of lemon grass

लेमनग्रास चाय के फायदे

रौनक बताते हैं कि लेमन ग्रास त्वचा की बीमारियों में फायदा पहुंचाता है और जो इसमें मोरिंगा की पत्तियों का इस्तेमाल होता है वह रक्तचाप को बैलेंस रखने में मदद करता है। साथ ही दालचीनी और काली मिर्च जोड़ों के दर्द में राहत पहुंचाती है और सर्दी-खासी, बुखार में भी इससे फायदा होता है और यह चाय हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाती हैं।

लॉकडाउन मैं एग्री फीडर स्टार्टअप को ढाई लाख रुपए की कमाई हुई है पिछले 3 महीनों में कंपनी ने 4000 से अधिक चाय के पैकेट बेचे हैं। यह सिलसिला अब भी जारी हैं।

Lemon grass

भविष्य की योजना

रमन और रौनक बताते हैं कि वह सुपरमार्केट के साथ सहयोग करने की कोशिश कर रहे हैं जिससे वह अपने उत्पाद को वहां बेच सकें। रमन यह भी बताते हैं कि जो बिहार के किसान है वह विदेशी सब्जियां जैसे बबीकॉर्न, मशरूम नहीं उगाते हैं जबकि यह सब्ज़िया बाज़ार में काफी महंगी बिकती है। इसलिए वह बताते है कि आगे उनकी योजना मशरूम उगाने, व्यंजन बनाने और किसानों को सब्जियां उगाने के लिए प्रेरित करने की है और इसके साथ ही किसानों को अनाज को स्टोर करने की सुविधा देने की भी है। इसके लिए वह किसानों से कोई शुल्क नहीं लेंगे । रमन बताते है कि वह ऐग्रिप्रेन्योर बनाना चाहते हैं जिसे मेड इन बिहार इस मसाला मिक्स हर्बल चाय को पहचान मिले।