बिहार की भूमि अनेकों विभूतियों से भरी हुई है। क्रांति से लेकर कला के क्षेत्रों तक यहां के लोगों ने अपना अहम योगदान दिया है, फिर भी आज Bihar की पृष्ठभूमि कहीं न कहीं अपेक्षित है। इसका मुख्य कारण है कि शायद हम सही लोगों को आजतक उसका उचित स्थान नही दे पाए। इसी कड़ी में पुर्णिमा देवी (Purnima Devi) का भी नाम जुड़ चुका है जो कला की इतनी उपाषक होने के बावजूद गंगा किनारे (Ganga Ghat, Patna) में 2 वक्त की रोटी के लिए तरस रही हैं।
पूर्णिमा देवी का यह वीडियो देखिए
Patna की Purnima Devi आखिर कौन हैं?
पूर्णिमा देवी पटना के दरभंगा हाउस स्थित काली मंदिर की गेट पर बैठी रहती हैं। इनका उम्र 80 वर्ष का है और आज भी वह एक हारमोनियम लिए गीत गाती हैं और उसी से मिले पैसे से अपना गुजारा करती हैं।
शुरुआत की कहानी
The Logically से हुई बातचीत के दौरान पूर्णिमा देवी ने बताया कि वह दार्जलिंग के महाकाल मंदिर के पुजारी की बेटी हैं। एक बेहद ही सम्पन्न परिवार से आने वाली Purnima Devi के पास खुद का घर था और वह एक खुशहाल ज़िन्दगी व्यतीत कर रही थीं। उनके पति एक डॉक्टर थे लेकिन जमीनी विवाद के कारण उनकी हत्या हो गई। इसके बाद वह Bihar आकर रहने लगीं।
संगीत के क्षेत्र में इन्होंने पारंगत हासिल किया है और राज्य/देश स्तर पर अनेकों प्रस्तुति दे चुकी हैं।
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पूर्णिमा देवी का पारिवारिक दृश्य
पूर्णिमा देवी का फिलहाल एक बेटा है जो मानसिक तौर पर अस्वस्थ है, जिसकी देखभाल वह खुद करती हैं। 80 वर्ष के उम्र में भी उनके उपर उनके बेटे की ज़िम्मेदारी बनी हुई है। बातचीत के दौरान पूर्णिमा देवी ने यह भी बताया कि उनकी बेटी मुम्बई में रहती है और फ़िल्म जगत में काम करती है, लेकिन इनका सुदबुध आजतक किसी ने नही लिया।
गंगा घाट (Ganga Ghat, Patna) पर अपनी जीविका ढूंढने रोज आती हैं
Purnima Devi आज भी हर रोज पटना के गंगा घाट पर आती हैं और गीत गाती हैं। लाचारी के इस उम्र भी आज कोई भी इनका साथ नही देता है, वह परिश्रम कर खुद अपना पेट पालती हैं।
आते जाते लोग इन्हें कुछ रुपये दे देते हैं, जिससे वह अपने बेटे को भी खिलाती हैं और खुद भी भोजन करती हैं।
अगर आप भी इन्हें किसी तरह से मदद करना चाहते हैं तो Patna के गंगा घाट पर इनसे मिल सकते हैं