Wednesday, December 13, 2023

साइकिल की पंचर बनाने से लेकर IAS अफसर बनने तक का प्रेरणादायी सफर: IAS Varun Barnwal

सफलता Success और संघर्ष Struggle एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं. संघर्ष रूपी कोयले के भीतर सफलता रूपी हीरे का निवास होता है. इस बात को साबित किया  IAS अधिकारी वरुण बरनवाल (IAS Varun Barnwal) ने. किस्मत भी हमेशा उन्हीं के आगे झुकती है, जो चुनौतियों से संघर्ष करने की हिम्मत रखता है. यह कहानी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा है जो संसाधनों और सुविधाओं की कमी का हवाला देकर अपने लक्ष्य को अधूरा ही छोड़ देते हैं. वरुण बरनवाल महाराष्ट्र के पालघर जिले के एक छोटे से नगर बोइसार के रहने वाले हैं.

पिता का आकस्मिक निधन (IAS Varun Barnwal life)

वरुण के पिताजी की साइकिल रिपेयर (Cycle repair) की एक छोटी सी दुकान(Shop) थी. उससे वे इतना कमा लेते थे कि वरुण और उनकी बहन की पढ़ाई साथ ही घर का खर्च चल जाता था. कहानी ने दुखद मोड़ तब लिया जब साल 2006 में वरुण की दसवीं की परीक्षा खत्म होने के चार दिन बाद ही उनके पिताजी का निधन हो गया. पहले ही गरीबी थी उस पर अस्पताल के बड़े से बिल ने परिवार की कमर तोड़ दी. वरुण की बहन ट्यूशन पढ़ाती थी. घर की ऐसी हालत जिसमें मां और बहन को अकेले पीसते देख वरुण बर्दास्त नहीं कर पाते हैं और दसवीं के बाद वरुण ने पढ़ाई छोड़कर, दुकान संभालने का निर्णय ले लिया.

Life journey success story of ias varun barnwal
Ias Varun Barnwal

दसवीं में किया टॉप

दुकान संभालने के बाद जब उनका दसवीं का रिजल्ट आता है और वो उसमें टॉप कर जाते हैं. अपने रिजल्ट से उत्साहित वरुण (IAS Varun Barnwal) की पढ़ाई जारी रखने की इच्छा और तीव्र हो गयी. अगली कक्षा में एडमीशन के लिये फॉर्म लेने गये तो पता चला की फीस 10,000 रुपये है. उनके पास इतने पैसे नहीं थे. तभी उनके पिताजी का इलाज करने वाले डॉ. कांपली ने वरुण की मदद करी और फीस के पैसे दे दिये.

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 वो ग्यारहवीं और बारहवीं के सबसे कठिन वर्ष (Life struggle of Ias Varun Barnwal)

वरुण कहते हैं कि उनके जीवन के दो साल जब वे कक्षा ग्यारहवीं और बारहवीं में थे, उनके जीवन के सबसे कठिन सालों में से हैं. इस वक्त उन्हें पैसे की सबसे ज्यादा परेशानी उठानी पड़ी. हालात इतने खराब थे कि 650 रुपये की महीने की स्कूल की फीस भी वरुण नहीं जुटा पाते थे. इस समय उन्होंने ट्यूशन लेना प्रारंभ कर दिया. वे दिन में स्कूल जाते थे, फिर ट्यूशन पढ़ाते थे फिर दुकान का हिसाब-किताब देखते थे. इतने संघर्ष के बाद भी वरुण ने कभी हार नहीं मानी. न जाने कितनी बार उनके शिक्षकों ने उनकी मेहनत और लगन को देखते हुए फीस के पैसे  दिये.

Life journey success story of ias varun barnwal
Ias Varun Barnwal

मेडिकल का सपना छोड़ इंजीनियरिंग करनी पड़ी–

वरुण का मन डॉक्टरी करने का था पर पैसे की कमी के कारण उन्हें इंजीनियरिंग चुननी पड़ी. उनके घरवालों ने जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा जो पुरखों की आखिरी निशानी थी, उसे बेचकर पहले साल की फीस भर दी. हमेशा की तरह वरुण ने एमआईटी कॉलेज पुणे में भी टॉप किया और स्कॉलरशिप के लिये आवेदन कर दिया. पर प्रक्रिया इतनी धीमी थी कि दूसरा साल निकल गया. यहां भी उनके कुछ दोस्तों, जिनकी वे मदद करते थे और शिक्षकों ने मिलकर उनकी फीस भरी.

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UPSC की धुन (Ias Varun Barnwal UPSC Preparation)

इंजीनियरिंग के बाद वरुण को एक एमएनसी (MNC) से जॉब (Job) ऑफर मिला पर तब तक वरुण का मन सिविल सर्विसेज में जाने का बन चुका था. जॉब जॉइन करने में अभी उनके पास 6 महीने का वक्त था लेकिन यहां भी किताब खरीदने के पैसे नहीं थे. पैसे की कमी को पूरा करने के लिए उन्होनें एक कोचिंग क्लास में फैकल्टी (Faculty) के तौर पर ज्वाइन (Join) कर लिया. इससे इनकी तैयारी भी अच्छी होने लगी और कुछ पैसे भी मिलने लगे. इसके अलावा  एक एनजीओ का सहयोग मिला और किताबों की व्यवस्था हो गई. वर्तमान में वरुण गुजरात के हिम्मतनगर में असिस्टेंट कलेक्टर के पद पर कार्यरत हैं. उन्होंने साल 2013 में 32वीं रैंक के साथ यूपीएससी की परीक्षा पास की थी.

वरुण की सफलता की कहानी सुनकर यह पता चलता है कि अगर आप में आसमान छूने की लगन है तो लोग आपके मदद के लिए आएंगे. आज भी दुनिया में भले लोगों की कमी नहीं है.किसी ने क्या खूब कहा है कि

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Ias Varun Barnwal

मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर ,लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया

सहायता उसी की की जा सकती है जो उस सहायता के लायक हो. वरुण (IAS Varun Barnwal) के एकेडमिकस (Academics)  हमेशा से इतने स्ट्रांग थे कि जिसे भी पता चलता था कि वे पैसे की समस्या से अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पा रहे हैं, वह उनकी मदद को आगे आ जाता था. वरुण बहुत गर्व से बताते हैं कि उन्होंने अपनी पढ़ाई पर कभी खुद से पैसे खर्च नहीं किए. कोई न कोई हमेशा उनकी मदद करता रहा. ऐसे लोगों की मदद का सम्मान करते हुये वरुण ने भी हमेशा एकेडमिक्स में बेस्ट परफॉर्म किया.

The Logically, उनके साहस और जज्बे को सलाम करता है और भविष्य में इसी प्रकार से निर्भीक भाव से आगे बढ़ते हुए औरों के लिए प्रेरणा पुंज बने रहें इसकी कामना करता है.