जिस तरह हमारे देश के किसान की वजह से हम खाना खाते हैं ठीक उसी तरह देश की सेना की वजह से हमलोग चैन की नींद सोते हैं। जिस तरह किसान गर्मी, बरसात, ठंडी में अपनी खेती करतें हैं वैसे हीं सेना भी गर्मी,बरसात और ठंड में देश की सुरक्षा करते हैं। आईए जानते हैं किस तरह जवान ठंडी वाली जगहों में भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करतें हैं। ताकि हम घर पर सुरक्षित रह सकें।
माइनस 40-70 डिग्री तापमान पर भी करते हैं डियूटी
किस तरह लद्दाख में ठंडी अपनी चरम पर रहती है इस बात से सभी रूबरू हैं। इतनी ठंडी वाली जगह में भी हमारे जवान अपने कर्तव्यों को पूरा करते हैं। वह पूरे साल लगभग -40 डिग्री सेल्सियस के वातावरण में रहते हैं और फिर भी वह बिना डरे कर्तव्य का पालन करते हैं।
देश और जनता की सुरक्षा
हल्की-फुल्की ठंडी में हमारा शरीर काम नहीं करता तो हम खुद अनुमान लगा सकते हैं कि माइनस 40 डिग्री सेल्सियस में हमारे जवान किस तरह अपने कर्तव्यों को निभाते हैं ताकि हम अपने घर पर चैन की नींद सो सकें। कहना आसान है कि कोई भी यह कार्य कर सकता है लेकिन करना बहुत हीं मुश्किल है।
सबसे कठिन है वहां कार्य करना
हमारे देश के जवानों के लिए लद्दाख जैसी जगहों पर तैनात हैं। सियाचिन को विश्व का मुश्किल वॉरज़ोन एवं सबसे ऊंचा जगह माना गया है। लगभग 21 हजार 700 फीट की हाइट पर सियाचिन ग्लेशियर में कार्य करते भारतीय जवान बहुत सारी विषम परिस्थितियों का सामना करते हैं। यह अपने किसी भी तकलीफ को तकलीफ नहीं समझते और देश की सेवा करते हैं।
पूरे साल है रहता है वहाँ बर्फ
सियाचिन में पूरे वर्ष तक बर्फबारी होती है और वहां रहकर हमारे जवान देश की सुरक्षा करते हैं। वहां इतनी ठंडी बढ़ जाती है कि मानव का रक्त दाब भी कम हो जाता है। इन सब परेशानियों के लिए हमारे जवान बहुत सारी सावधानियों को ध्यान में रखते हुए अपना कार्य करते हैं। इस दौरान कुछ दिनों के लिए जवानों को नहाना भी नहीं पड़ता है क्योंकि वह जानते हैं कि अधिक ठंडी में नहाने से उन्हें कितनी कठिनाई होगी।
आईए कुछ तस्वीरों के माध्यम से जानते हैं किस तरह हमारे जवान देश की सेवा करते हैं।
The Logically देश की सुरक्षा में तैनात उन सभी जवानों को सलाम करता है।