आजकल की महिलाएं घर में बैठकर समय व्यतीत करने के बजाए रोजगार के तरफ ज्यादा ध्यान दे रही हैं और अपनी सुविधानुसार छोटा-मोटा व्यवसाय भी कर रही हैं। ऐसे में वे अच्छा खासा मुनाफा भी कमा रहीं हैं और अन्य कई महिलाओं को रोजगार सभी जोड़ रही हैं। कुछ ऐसा है काम कर रही है हिमाचल प्रदेश (Himanchal Pradesh) सी एक महिला, जो छोटा सा व्यवसाय शुरू करके आज एक फैक्ट्री में तब्दील कर दी और अनेकों महिलाओं को रोजगार भी दे रही हैं।
कौन हैं वह महिला
हिमाचल प्रदेश (Himanchal Pradesh) के भौरा (Bhaura) गांव की रहनेवाली 79 वर्षीय महिला लिनेट अलफ्रे (Linnet Alfrey), जैम बनाने का काम करती हैं। लिनेट की फैक्ट्री (Jams factory) में प्रिजर्वेटिव मुक्त जैम बनता है। उनकी फैक्ट्री का टर्नओवर करीब दो करोड़ रुपए है। लिनेट के फैक्ट्री में सैकड़ों महिलाएं काम भी करती हैं। वह अपने कारोबार की शुरुआत हिमाचल प्रदेश से ही शुरू की, जो आज एक फैक्ट्री के रूप में विस्तृत हो गई। इसका कारण है कि फैक्ट्री में बनाए गए जैम्स काफी स्वादिष्ट होते हैं और अच्छे क्वालिटी के भी होते हैं।
ऐसे शुरू हुआ जैम बनाने का काम
लिनेट की शादी एक कश्मीरी व्यक्ति से हुई, वह अपने पति के साथ अच्छा वैवाहिक जीवन व्यतीत कर रही थी। एक समय वह अपने पति के साथ बिहार आई, फिर वहां से दिल्ली गई उसके बाद वे लोग मुंबई चले गए। 1992 में लिनेट और उनके पति हिमाचल प्रदेश में अपने किसी रिश्तेदार के यहां गए। वो जगह लिनेट अलफ्रे (Linnet Alfrey) को काफी पसंद आई और वहीं से अपने व्यवसाय की शुरुआत करने की योजना बनाई, तथा शुरुआती भी की।
लिनेट अलफ्रे (Linnet Alfrey) हिमाचल प्रदेश में जहां रहती थी वहां कीवी, सेब, पीच और एप्रिकोट की खेती काफी ज्यादा मात्रा में होती थी। वह देखती थी कि कई बार आंधी तूफान और बंदरों के परेशान करने के चलते काफी फल टूट कर गिर जाते थे, और ऐसे ही बर्बाद हो जाते थे। इन्हीं फलों को बचाने के लिए लिनेट ने जैम बनाने की शुरुआत की। उन्हें जैम की रेसिपी उनकी मां ने सिखाई थी।
पहली जैम फैक्ट्री की शुरुआत
शुरुआत के थोड़े समय बाद ही लिनेट द्वारा बनाए गए जैम लोगों में काफी ज्यादा पसंद किया जाने लगा जिससे उन्हें और अधिक मुनाफा होने लगा। 1999 में वह अपनी पहली फैक्ट्री की शुरुआत की। उनका हमेशा से यह प्रयास रहा है कि जैम की शेल्फ लाइफ बढ़ाएं क्योंकि वह जिस गांव में रहती थी, वह ग्रामीण इलाका था। वहां बिजली की काफी समस्या रहती थी। उनके इस कारोबार में अनेकों चुनौतियां आई, जिससे वह कभी हार नहीं मानी। सब का डटकर सामना की और अपना काम जारी रखीं।
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हो रहा करोड़ों का टर्नओवर
लिनेट के फैक्ट्री में 48 वैरायटी के जैम बनते हैं, जिन्हें 75 टन फलों से बनाया जाता है। उनके फैक्ट्री में प्रतिदिन 850 जैम के बॉटल तैयार किए जाते हैं, जिससे उनका सलाना टर्नओवर लगभग दो करोड़ हो जाता है। लिनेट अलफ्रे (Linnet Alfrey) के यहां बनाए गए जैम की खासियत यह है कि वह प्रिजर्वेटिव मुक्त होता है। प्रिजर्वेटिव के तौर पर उसमें सिर्फ नींबू और सेब का रस के साथ शक्कर मिलाया जाता है।
बनता है शुगर फ्री जैम
लिनेट के फैक्ट्री में बनाए जाने वाले उत्पादों में ब्लैकबेरी जैम, स्ट्रॉबेरी प्रिजर्व, कश्मीरी बिछुआ, टमाटर की चटनी आदि शामिल है। ये सारे प्रोडक्ट्स शुगर फ्री होते हैं, इसमें स्ट्रॉबेरी जैम और मार्मलेड भी शामिल है। उनके द्वारा बनाए गए सभी वैराइटीज का स्वाद भी बड़ा अनोखा होता है तभी तो इतने कम समय में उनका यह कारोबार इतना बड़ा बन गया।
जैम विशेषतः बच्चों में काफी ज्यादा पसंद किया जाता है और खास करके हमें बच्चों के सेहत का ख्याल तो रखना ही पड़ता है। ऐसे में लिनेट द्वारा बनाए गए जैम किसी भी तरह से नुकसानदेय नहीं होता है क्योंकि उसमें सभी ऑर्गेनिक चीजें ही मिलाई जाती है।
कभी भी किसी काम को छोटा या बड़ा नहीं समझना चाहिए। अगर हम किसी छोटे व्यवसाय को भी शुरू करके पूरी लगन से काम करें तो वह एक दिन पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो जाएगा। ऐसे ही लिनेट की कहानी से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए और कोई भी शुरुआत करने में कदम पीछे नहीं खींचने चाहिए। हर काम में बाधा उत्पन्न होना तो आम बात है लेकिन उसे पार करके आगे बढ़ता हमारा कर्तव्य है। अगर हम रुकेंगे नहीं तो हमें आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता।