Sunday, December 10, 2023

यह नन्ही सी बच्ची अनाथालय के बच्चों के लिए पेंटिंग बनाकर पैसे जुटा रही है , अभी तक जुटाए 10 हज़ार रुपये

बचपन में सुनी कहानियों में अक्सर परियों और जादूगर के ज़िक्र से मुझे बड़ा ताज्जुब होता था। कहां होते हैं ये परी और जादूगर? कैसे मिनटों में ये सबकी परेशानी दूर कर देते हैं? आख़िर कौन सी कला होती है इनके पास जो ये सबका दिल जीत लेते हैं? मुझे भी मिलना है इनसे। आज पता चला.. परियां कहीं दूर आसमान में नहीं रहती और जादूगर हमेशा लंबी हैट पहने, हाथ में छड़ी लिए नहीं रहते। ये मौजूद होते हैं छोटे बच्चों की मुस्कुराहटों में। छोटे बच्चे जो अपने आस-पास रहने वाले सभी को मुस्कुराते देखना चाहते हैं। आज की हमारी कहानी एक ऐसी ही छोटी बच्ची की है जो अपने हाथ की बनाई पेंटिंग्स बेचकर अनाथालय के बच्चों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाने की कोशिश कर रही है।

यह कहानी है सात साल के श्रुति की। श्रुति अपनी कला का प्रयोग कर पड़ोस में स्थित एक अनाथालय के लिए पैसे जमा कर रही है। वह अपने हाथों से पेंटिंग्स बनाकर उन्हें बेचती है ताकि अनाथालय को आर्थिक मदद कर सके। श्रुति चाहती है, अनाथालय के बच्चे भी उन चीज़ों का इस्तेमाल कर सके जिसका इस्तेमाल वह ख़ुद करती है।

खिलौनों से खेलने की उम्र में बांट रही खिलौने

श्रुति बेंगलुरु के जे पी नगर में स्थित कैपिटल पब्लिक स्कूल के तीसरे ग्रेड में पढ़ती है। अपने पिता के साथ मिलकर एनजीओ रीचआउट इंडिया की एक ख़ास मुहिम पर है। श्रुति अब तक ‘प्रसन्न ज्योति आश्रम’ के 25 बच्चों को किताबें, खिलौने और स्टेशनरी भेंट कर चुकी है।

श्रुति के माता पिता

श्रुति की मां ज्वेलरी डिजाइनर हैं और उन्होंने ही अपनी बेटी को पेंटिंग करना सिखाया है। श्रुति के पिता जयचंद्रन एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं और उन्होंने ही अपनी बेटी को शेयर इज केयर वाली तालीम दी है। सच, छोटे बच्चे गीली मिट्टी के समान होते हैं। हम उन्हें जिस रूप में ढालना चाहे, ढाल सकते हैं।

Photo for representative Purpose

10,000 कर चुकी है जमा पर 50,000 रुपए का है लक्ष्य

अपने माता पिता की मदद से श्रुति मार्च 2020 तक 50 पेंटिंग्स बनाने में सफल हुई। इसके बाद श्रुति के पिता ने रीचआउट इंडिया एनजीओ से संपर्क किया और इस तरह श्रुति अनाथालय के लिए पैसे इकट्ठे करने लगी। वह अब तक 10,000 रुपए इकट्ठे कर चुकी है। पर श्रुति का लक्ष्य 50,000 रुपए जमा करने का है।

जिस उम्र में बच्चे अपना खिलौना दूसरों के साथ शेयर नहीं करना चाहते उस उम्र में यह छोटी सी बच्ची अपनी बनाई पेंटिंग्स के जरिए अनाथालय के बच्चों के खिलौनों, किताबों और कपड़ों के लिए पैसे इकट्ठे कर रही है। The Logically श्रुति के इस मासूमियत और जज्बे को सलाम करता है।

Logically is bringing positive stories of social heroes working for betterment of the society. It aims to create a positive world through positive stories.