Wednesday, December 13, 2023

इस गांव में सरकार ने लाखों खर्च कर के चेक डैम बनवाया, फेल होने पर लोगों ने बोरियां लगाकर उसे टिकाऊ बनाया

झारखंड में कई छोटी छोटी नदियां मौजूद हैं जिनपर फसलों की सिंचाई करने के लिए किसान निर्भर हैं। आज से करीब 20-25 साल पहले खूंटी जिले में कई नए डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स (Development projects Jharkhand) शुरू किए गए। तमाम पेड़ों को काटा गया और प्रोजेक्ट के लिए जमीन आवंटित हुई। लेकिन कहते है प्रकृति किसी के सामने झुकती नहीं। विकास कार्य की चकाचौंध में जलवायु (Climate change) पर पड़ने वाले असर को अनदेखा किया जाने लगा। नतीजन पूरे इलाके में बारिश की कमी होने लगी भू जल स्तर भी नीचे गिरने लगा। नहर और नाले भी सूख गए। सरकार ने लाखों खर्च कर के चेक डैम बनवाया लेकिन मानसून के दौरान वो भी न टिक सका।

Making Dam

गांव वालों से लेकर वेलफेयर सोसाइटी और प्रशासन का योगदान

इस समस्या के मद्देनजर खूंटी जिला प्रशासन (Khunti District Administration), सेवा वेलफेयर सोसायटी (Seva welfare society) और ग्राम सभा के संयुक्त मुहिम को ग्रामीणों के सहयोग से बोरी बांध बनाया गया। इसे बनाने का सिलसिला पांच दिसंबर 2018 को तोरपा प्रखंड के तपकरा क्षेत्र से शुरू हुआ। तपकरा की अंबाटोली में बोरी बांध बनाने के लिए सोसाइटी ने सीमेंट का खाली बोरा उपलब्ध कराया। मुखिया सुदीप गुड़िया के नेतृत्व में ग्रामीणों ने श्रमदान कर पहला बांध बनाया। पानी जमा होने के बाद ग्रामीणों के चेहरे पर खुशी की झलक साफ दिखाई दे रही थी।

यह भी पढ़ें :- 3 वर्ष, 16 गांव और इस IRS अफसर ने बचाया करोड़ों लीटर पानी: जल संरक्षण

इसके बाद 13 दिसंबर को कुदलुम गांव में और पेरका में बोरी बांध बना। बोरी बांध बनाने के दौरान जिले के तत्कालीन उपायुक्त सूरज कुमार ने भी पेरका में ग्रामीणों के साथ श्रमदान किया। झारखंड के खूंटी जिले से शुरू हुआ बोरी बांध का माडल जल संरक्षण के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित हो रहा है।

Making checkdam by villagers

बोरी बांध का लॉजिक समझिए

छोटी नदियों, नालों और नहरों के मुहाने पर बने बोरी बांध लगभग पच्चीस से तीस फीट चौड़े होते हैं। बोरी में रेत भरकर गांव वाले चार से पांच घंटे में एक बांध बना लेते हैं। रेतों से भरी बोरियों के बीच घास से भारी बोरियों को भी लगाया जाता है। इसके पीछे का लॉजिक ये है कि लगातार पानी मिलने से घास बढ़ती रहती है जो मिट्टी को पूरी तरह जकड़ लेती है। इससे बांध को मजबूती मिल जाती है। फिर मानसून में पानी इन्हीं बांधों में रुक जाता है। जिसका बाद में उपयोग किया जाता है।

Made checkdam

किसान को मिला फायदा, अब एक से ज्यादा फसल उगा रहें

जिस इलाके में लोग केवल एक फसल का उत्पादन करते थे आज वहां एक से अधिक फसलों को उगाया जा रहा है। अब किसान धान, गेहूं और सरसों के साथ तरबूज और अन्य सब्जियां भी उगाते हैं। शुरू में लोगों को लगा था कि बोरी बांध से कोई फायदा नहीं होगा लेकिन बाद में बदलाव देखकर उनकी सोच बदली और उन्होंने संस्था का साथ दिया। बोरी बांध के माडल को पूरे देश में सराहा गया और इस माडल के लिए जिला को दो नेशनल अवार्ड भी मिल चुका है।