Monday, December 11, 2023

पिछले 20 वर्षों से अनाथ बच्चों को शिक्षित करने का नेक कार्य कर रही हैं पौलोमी, Forbes-30 के लिए चयनित हुईं

वर्तमान में भारतीय महिलाएं हर क्षेत्र में अपने प्रयासो के चलते वैश्विक स्तर पर अपना और देश का नाम रोशन कर रही हैं। इसी श्रेणी में लखनऊ में सुप्रीम कोर्ट की वकील, लेखक और समाज सेविका पौलोमी पाविनी शुक्ला (Poulomi Pavani Shukla) ने अनाथ बच्चों को शिक्षा देने और इसी क्षेत्र में अन्य कई प्रयासों के ज़रिये फोर्ब्स इंडिया (Forbes India) द्वारा जारी ‘30 अंडर 30, 2021’ लिस्ट (30 under 30, 2021 list) में स्थान पाकर देश का गौरव बढ़ाया है। लगभग एक दशक से पाविनी इस क्षेत्र में समर्पित हैं और उन्होनें बच्चों के लिए कोचिंग और ट्यूशन सहायता को सुलभ बनाने के उद्देश्य से उत्तरप्रदेश के शिक्षा विभाग के साथ अनाथालयों को जोड़ने मे महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

अनाथाश्रम से मिली प्रेरणा

अनाथ बच्चों के अधिकारों व उन्हें शिक्षित करने के क्षेत्र में काम करने की प्रेरणा के संदर्भ में बात करते हुए 28 वर्षीय पाविनी कहती हैं- “2001 में जब मैं नौ साल की थी तो मेरी मां आराधना शुक्ला जो उस समय हरिद्वार में जिला मजिस्ट्रेट हुआ करती थीं अपने बर्थडे पर मुझे एक अनाथाश्रम लेकर गई, जहां ये बच्चे एक एनजीओ के माध्यम से लाये गए थे, करीब से उन गरीब व अनाथ बच्चों की तकलीफें देखकर मुझे अहसास हुआ कि मुझे भी इनके लिए कुछ करना चाहिए और आज इन बच्चो के लिए कि गई मेरी मेहनत रंग लाई है, उसी साल गुजरात में तेज भूकंप आने की वजह से भी कई बच्चे अनाथ हो गए थे”

 Poulomi Pavani Shukla

‘एडॉप्ड एन ऑरफेंज’ अभियान की शुरुआत भी की है पाविनी ने

‘30 अंडर 30, 2021’ फोर्ब्स लिस्ट में अपना नाम आनें से खुश पाविनी बताती हैं – “मैनें अनाथ बच्चों के लिए लखनऊ में ‘एडॉप्ड एन ऑरफेंज’(Adopt an Orphanage) प्रोग्राम की शुरुआत भी की है, जिसके लिए मुझे लोकल बिजनेस हाउसेज् से सपोर्ट मिल रहा है इसके ज़रिये इन बच्चों की पढ़ाई के लिए स्टेशनरी, किताबें और ट्यूशन फीस दी जाती है” पाविनी के इस अभियान का मकसद अनाथ बच्चों की दुर्दशा को उजागर करते हुए उन्हें शिक्षित करना है।

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अनाथ बच्चों की दुर्दशा को लेकर समाज को जागरुक कर रही हैं पौलौमी

ANI न्यूज़ मीडिया से हुई बातचीत में पाविनी कहती हैं – “मैं फोर्ब्स इंडिया 30 में 30, 2021 के तहत अपना नाम आने से बहुत खुश हूं और बेहद सम्मानित महसूस कर रही हूं, लेकिन मेरे लिए इससे अधिक मायने यह रखता है कि अब मैं इस सम्मान के ज़रिये अनाथ बच्चों की दुर्दशा से ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को अवगत करा सकूं, क्योंकि ऐसे बच्चों के पास अपनी स्थिति को समझानें के लिए कोई आवाज नही है इसलिए मेरा अनुरोध है कि ज़्यादा से ज़्यादा लोग इस अभियान से जुड़े और अनाथ बच्चों की आवाज को मजबूत करें”

अनाथ बच्चों की स्थिति में सुधार करने हेतु लगाई सुप्रीम कोर्ट में याचिका

ANI को पाविनी बताती हैं- “हमारे देश में लगभग 2 करोड़ अनाथ बच्चे हैं, जिनमें से 1 लाख से भी कम अनाथालयों में रह रहे है, इन हालातों में गहराई से सुधार लाने की ज़रुरत है जिसके लिए मैनें सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। इसके अलावा मैनें कई सासंदों, मुख्यमंत्रियों और राजनीतिक नेताओं से भी इस संबंध में मुलाकात की है”

Advocate Poulomi Pavani Shukla

SC में लगाई याचिका के बाद केंद्रीय बजट हुआ दोगुना

पाविनी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में लगाई उनकी याचिका के बाद अनाथ बच्चों की उन्नति के संदर्भ में किये गए उनके प्रयासों के लिए केंद्रीय बजट आबंटन दोगुना हो गया है। उत्तराखंड ने महाराष्ट्र और गोवा के बाद अनाथ बच्चों को 5% आरक्षण दिया है और दिल्ली ने उन्हें शिक्षा के अधिकार के तहत मान्यता दी है।

जनगणना में अनाथ बच्चों का नाम भी शामिल करवाना चाहती हैं पावनी

अनाथ बच्चों को उनके अधिकार दिलाने के अपने प्रयासों के बारे में बात करते हुए पाविनी कहती हैं – “मैं चाहती हूं कि इन बच्चों को जनगणना के दायरे में लाया जाये। राज्य व केंद्र सरकारों को मिलकर शिक्षा के अधिकार के तहत इन बच्चों के लिए उचित योजनाएं, छात्रवृत्ति और उनकी मान्यता सुनिश्चित करनी चाहिए ताकि वे बेहतर जीवन जी सकें”

‘वीकेस्ट ऑन अर्थ-ऑरफेंस’ पुस्तक भी लिखी है पाविनी ने

India Today की एक रिपोर्ट के मुताबिक- भारत में अनाथ बच्चों की दुर्दशा को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट वकील पाविनी ने 2015 में अपने भाई के साथ मिलकर ‘वीकेस्ट ऑन अर्थ-ऑरफेंस ऑफ इंडिया’ (Weakest on Earth Orphans of India) नामक पुस्तक भी लिखी है, जिसका उल्लेख सांसद राघव लखनपाल ने इस विषय पर चर्चा के दौरान किया है।

Advocate Poulomi Pavani Shukla

शहर के सभी अनाथालयों में लगवाये स्मार्ट टीवी

लॉकडाउन के दौरान पाविनी ने लखनऊ शहर के सभी अनाथालयों में स्मार्ट टीवी भी लगवाये ताकि वहां रहने वाले बच्चो को ऑनलाइन पढ़ाई की सुविधा मिल सके।

क्या है फोर्ब्स पत्रिका

फोर्ब्स पत्रिका (Forbes Magazine) हर साल ऐसे 30 लोगों की लिस्ट जारी करती है जिनकी आयु 30 वर्ष की से कम हो और जो अपने क्षेत्र में कोई महत्वपूर्ण काम कर चुके हों। पाविनी का नाम अनाथ बच्चों की शिक्षा के लिए किये गए कार्यों की वजह से इस लिस्ट में शामिल किया गया है। The Logically भी पाविनी को उनकी इस सफलता के लिए बधाई देता है।