Tuesday, December 12, 2023

कोरोना से मरे लोगों को अपने ही नहीं लगा रहे हाथ, ऐसे में लावारिश लाशों का दाह संस्कार कर रही आगरा की बेटी

कोरोना वायरस (Covid-19) के कहर से आज सभी व्यक्ति परेशान हैं। वही बहुत से कोरोना योद्धा लोगों की मदद कर रियल हीरो बन‌ रहे हैं। उन्हीं कोरोना हीरोज में से एक हैं, लखनऊ की रहने वाली वर्षा वर्मा (Varsha Verma). वह लावारिस लाशों का दाह संस्कार कर रही हैं।

लावारिश लाशों का कर रही हैं दाह संस्कार

ऐसा हमारे शास्त्रों में माना गया है कि अंतिम संस्कार में औरतें शामिल नहीं होती हैं और ना ही वह किसी श्मशान में जाकर दाह संस्कार करती हैं, लेकिन वर्षा वर्मा (Varsha Verma) सभी लावारिस लाशों का दाह संस्कार कर रही हैं और इसके लिए वह निःशुल्क वाहन भी चलवा रही हैं।

Lucknow girl Varsha Verma is doing last ritual of patients died of Covid-19

चलाती हैं संस्था

वर्षा वर्मा (Varma Verma) एक संस्था चलाती हैं, जिसका नाम “एक कोशिश ऐसी भी” (Ek Kosish Aisi Bhi) है। उन्होंने जानकारी दिया कि कोरोना-वायरस के डर से व्यक्ति अपनों के लाशों को नहीं ले जा रहे हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि वह भी संक्रमित ना हो जाएं। ऐसे बहुत से व्यक्ति भी हैं, जिन्हें वाहन नहीं मिल रहा है, जिससे वह अपनों का दाह संस्कार करें इसलिए हम लोग वाहन चलवा रहे हैं, ताकि लोगों की थोड़ी मदद की जाए।

Lucknow girl Varsha Verma is doing last ritual of patients died of Covid-19

किराए की गाड़ी से करती हैं लोगों की मदद

वह निःशुल्क शव वाहन वह चलवा रही हैं, वह उनका खुद का नहीं है बल्कि उन्होंने उसे किराए पर लेकर उसकी सीट को एंबुलेंस जैसा बनाया है, और उसमें शवों को रखकर शमशान में जाकर उनका दाह संस्कार करती हैं। उन्होंने अपनी गाड़ी पर “निःशुल्क शव वाहन” लिखवाया है, ताकि लोगों को इसके विषय में पता लग सके। इतना ही नहीं उन्होंने अपना नंबर भी इस गाड़ी पर नोट करवाया है ताकि लोग उनसे मदद ले सकें।

Lucknow girl Varsha Verma is doing last ritual of patients died of Covid-19

बिना PPE कीट के भी करती हैं मदद

उन्होंने जानकारी दिया कि हमारा यह वाहन ईंधन से चलता है, जिसकी लागत अधिक है। जिस कारण मुझे कभी-कभी बिना पीपीई कीट के शवों का दाह संस्कार करना पड़ता है। जहां लोग पीपीई कीट को पहनने के बावजूद भी कोरोना से संक्रमित मरे हुए शवों को नहीं छूते हैं, वहां वर्षा उनका अंतिम संस्कार करने में लगी हैं। कभी-कभी तो उनके इस मदद का लोग गलत फायदा भी उठाते हैं। जैसे कि एक बार उन्हें कॉल आया कि कोरोना से संक्रमित महिला की मृत्यू हो गई और उनका कोई नहीं है। जब वर्षा वर्मा (Varsha Verma) वहां गई तो पाया कि उनके परिजन कार में बैठे, हैं लेकिन लाश छुया तक नहीं, तब उन्होंने उनका दाह संस्कार किया।

बिना सरकारी सहयोग के कर रही हैं मदद

उन्होंने बताया कि कभी उनके अधिक वजन वाले शव को भी अकेले उठाकर रखना पड़ता है और गाड़ी से निकालकर उसका दाह संस्कार करना पड़ता है। अभी तक उन्हें इस कार्य के लिए सरकार से कोई मदद नहीं मिली है।