आमतौर पर एक प्रतिमा की सराहना सभी करते हैं लेकिन उसके पीछे के कलाकार को कोई नहीं जानता। दिलचस्प बात यह है कि वह नगण्य कलाकार अपनी पूरी मेहनत और लगन से चीजों को अलंकृत कर आपके आंखों के सामने प्रस्तुत करता है। आज हम किसी प्रतिमा के बारे में तो बात नहीं करने जा रहे हैं, लेकिन आपको ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने शांतिपूर्वक देश को कई सारे उपलब्धियां भेंट की। हम बात कर रहे हैं बिहार के- श्री हृदय नारायण झा के बारे में।
कौन हैं हृदय नारायण झा-
वैसे इनके बारे में विस्तार से बात की जाए तो शब्द भी कम पड़ जाएंगे। यह बिहार के प्रसिद्ध मैथिली के जानकार, एक उत्तम योगा गुरु, एक प्रसिद्ध रेडियो आर्टिस्ट, एक बेहतरीन लेखक और भी बहुत कुछ।
हृदय का जन्म-
इनका जन्म और 26 दिसंबर 1960 को मधुबनी के घोघरडीहा गांव में हुआ था। घर की बात करें तो यह कृषि आधारित परिवार से संपर्क रखते हैं। ये 7 भाई बहन थे और घर की हालत बहुत अच्छी नहीं थी। पिताजी खेती तो करते थे लेकिन घर चलाना काफी मुश्किल था। एक पिछड़े वर्ग से होने के कारण इन्हें कई बार प्रताड़ना को झेलना पड़ा।
लेकिन इसी प्रताड़ना ने इस पत्थर को घिसकर हीरा बना दिया। इन्होंने अपनी मेहनत और लगन से पत्रकारिता से लेकर योग तक अपनी एक अलग छवि बनाई।
पिता से मिली उत्तम शिक्षा-
The logically से उन्होंने बताया कि, उनके पिता के पास बड़े स्कूलों में भेजने के लिए पैसे तो नहीं थे, लेकिन उन्होंने सामाजिक शिक्षा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हृदय नारायण जी बताते हैं कि, उनके पिता कहा करते थे कि अगर आपके पास पैसे नहीं है तो उससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला लेकिन, अगर आपके पास एक स्वस्थ शरीर है तो आप दुनिया के हर जंग को जीत सकते हैं।
खुद ब खुद अवसर मिलते चले गए-
यह बचपन से ही पढ़ने- लिखने के काफी शौकीन रहे हैं। जैसे- जैसे आगे बढ़ें, वैसे वैसे लोगों ने सहयोग भी किया और इन्हें अवसर भी मिला। आपको बता दें कि यह खेल में डिस्ट्रिक्ट चैंपियन भी रह चुके हैं।
19 वर्ष की आयु में हो गई शादी-
हृदय नारायण जी ने The Logically को बताया कि उनकी शादी 1979 में एक काफी बड़े घराने में हो गई। कमाल की बात यह है कि यह उनके लिए फर्स्ट लव जैसा एक अवसर था। जब उनकी शादी हुई तब उन्हें इस बात को समझना पड़ा कि अब उनके साथ कोई और जुड़ गया है और उसकी मांगों को और, उसके सुख-सुविधाओं की रक्षा करना अब इन्हीं के हाथों में है।
कामयाबी के चरण-
उन्होंने 1990 में आकाशवाणी में अपनी प्रस्तुति रखी। मुख्यता इन्हें मैथिली लोकगीत के लिए काफी पसंद किया गया। इन्होंने कई देश भक्ति, वह भी मैथिली में गाने लिखें। आगे चलकर 1994 में इन्हें हिंदुस्तान कॉलम राइटर का पद भी मिला। इन्होंने कई संत कथाओं को अपने शब्दों से पिरोया। और आगे की बात करें तो 1997 में इन्होंने आज समाचार पत्र के संपादक के रूप में कार्य करना शुरू किया। इस तरह अगर देखा जाए तो इन्होंने हर एक कोने में अपनी छवि को बनाए रखा और खुद को बेहतरीन साबित करते चलें।
योग कहां से आया-
आपको बता दें कि हृदय नारायण झा योगा के लिए काफी मशहूर हैं। इन्हें बड़े- बड़े अफसरों के यहां से भी आमंत्रित किया जाता है कि, यह वहां जाकर उन्हें व्यक्तिगत ट्रेनिंग दे। योगा में अगर इनके गुरु की बात की जाए तो वे थे- पंडित त्रुशुलधारी परमहंस। इन्होंने योग के बारे में काफी गहरी शिक्षा उनसे प्राप्त की। सबसे बड़ी बात यह है कि इन्होंने योग को कैसे अपने जीवन में उतारा जाए, इसे भी सीखा।
8 सालों का सफर-
1997 से 2005 तक जो हमने आपको हृदय नारायण झा के उत्तम कार्यों को बताया उनमें एक सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि यह पूर्ण रूप से धर्मनिरपेक्ष रहें। समाचार पत्र को लिखने के लिए इन्होंने पूरी ईमानदारी से कार्य किए।
हर एक धर्म के धर्म स्थल पर गए-
हृदय नारायण झा एक साहित्यिक पुरुष हैं। जब यह सांस्कृतिक संवादाता के तौर पर काम करते थे और समाचार पत्रों में विभिन्न धर्मों को उभरते थे, तब इसके लिए वह मंदिर में भी जाते थे, वहां की आरती और वहां के उपदेशों को सुनकर अगले दिन समाचार पत्रों में उसे छापते थे। ठीक उसी प्रकार मस्जिद में भी गए, जैन मंदिरों में भी गए हैं, गिरजा घरों में गए हैं बौद्ध स्थलों पर गए, इस प्रकार उन्होंने कड़ी मेहनत से अपना नाम बढ़ाया।
मैथिली लोकगीत का दस्तावेज तैयार किया-
सामान्यत: हम विरासत के बारे में बात तो करते हैं, लेकिन इसे संजोया कैसे जाए, इस बारे में कभी नहीं सोचते हैं। मैथिली के बारे में शुरू से बहुत सारे लोग बात करते आ रहे हैं लेकिन, यह पहले इंसान हैं जिन्होंने इसका क्रमानुसार दस्तावेज तैयार किया। इन्होंने विज्ञान प्रदर्शनी में भी भागीदारी ली और अपना योगदान दिया।
सभी उम्र के लिए विभाजित किया योग को-
The Logically से हृदय नारायण झा ने बातचीत करते हुए बताया कि, इन्होंने योग को विभिन्न आयु में बांटा। जैसे बच्चों के लिए कौन सी योग जरूरी है, महिलाओं के लिए कौन से योग जरूरी है, और वृद्धावस्था में आपको कौन से योग करने चाहिए, इन सभी का उन्होंने क्रमानुसार विभाजन किया। इनके कई पुस्तक भी आपको बाहर देखने को मिल जाएंगे।
कई कृष्ण भजन लिखे और लोकप्रिय शारदा सिन्हा के लिए भी गाने लिखें-
हमें यह बताते हुए बहुत गर्व महसूस हो रहा है कि श्री हृदय नारायण झा ने हमें बहुत से कृष्ण भजन दिए हैं। हम वीडियोस तो देखते हैं लेकिन उसके पीछे के कलाकार और लेखक को ढूंढना भूल जाते हैं। शारदा सिन्हा को दुनिया का शायद ही कोई ऐसा इंसान होगा जो नहीं जानता होगा। उनका एक छठ का गाना जोकि बहुत प्रसिद्ध हुआ लोकप्रिय हुआ जिसका नाम था – पहिले पहिले हम कइनी, छठी मैया, उसके रचनाकार यही हैं।
कई पुरस्कारों से हुए हैं सम्मानित-
श्री हृदय नारायण झा The Logically से बताते हैं कि उन्हें कई सारे पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है, जिनमें से अगर मुख्यत: बात की जाए तो उन्हें ‘बिहार राष्ट्रभाषा परिभाषा’ की तरफ से “लोक भाषा सम्मान” भी दिया गया है। इसके साथ कई जगहों पर इन्हें, इनकी कला के लिए सम्मानित किया गया है।
योग सीखने के लिए करते हैं लोगों को प्रोत्साहित-
श्री हृदय नारायण झा का कहना है कि योग हमारे जीवन में बहुत मायने रखता है। यदि योग को हम अपने दिनचर्या में शामिल कर ले तो हम एक पूर्ण व्यक्ति के रूप में परिवर्तित हो जाते हैं।
अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए वह बताते हैं कि जब वह 12 वर्ष के थे तब वह बहुत तेज बीमार पड़े थे। ठीक होने के पश्चात उनके पिता ने उन्हें कुछ आसन बताया और कहा कि यदि तुम स्वस्थ रहोगे तो तुम पूरी दुनिया को जीत सकते हो। बस यही बात उनके मन में घर कर गई तब से वह आज तक बिल्कुल स्वस्थ हैं और प्रतिदिन योगा करते भी हैं और दूसरों को सिखाते हैं।
उन्होंने पंडित त्रिशूलधारी परमहंस से “यम नियम” सीखे। उन्होंने ही इन्हें ट्रेनिंग दी और इनकी दिनचर्या को सही रूप से व्यवस्थित किया। आज भी इस उम्र में यह सुबह 4:30 बजे उठ जाते हैं और अपने काम में लग जाते हैं।
आप भी यदि श्री हृदय नारायण झा से कोई सुझाव देना चाहते हैं तो आप मेल कर सकते हैं – hridaysaroj26@gmail.com
या सम्पर्क करने के लिए कॉल करें:- +919334834684
The Logically इनके इस पूरे जीवन यात्रा को नमन करता है और उम्मीद करता है कि आप भी योग को अपने जीवन में उतारेंगे और खुद को स्वस्थ रखेंगे। श्री हृदय नारायण जी को लॉजिकली की तरफ से बहुत-बहुत बधाई।