वैज्ञानिक अंतरिक्ष से जुड़ी सभी चीजों का शोध पूरी बारीकी से कर रहे हैं। अंतरिक्ष में काफी ऐसे रहस्य छिपे हुए हैं जिसे वैज्ञानिक शोध करके उन रहस्यों के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं। शुक्रवार रात 22 अप्रैल से अंतरिक्ष से कुछ अलग ही नजारा देखने को मिलेगा और यह नजारा 29 अप्रैल तक रोज रात को देखने को मिलेगा। यह नजारा आसमान से पिंड की बारिश या फिर तारों को टूटते हुए देखा जाएगा। यह गिरते हुए उल्का पिंड को भारत के कुछ शहरों से भी देखा जाएगा।
अंतरिक्ष से सालाना लिरिड उल्का पिंड की बारिश यानी आसमान से टूटते हुए तारे को देखा जाएगा। यह नजारा शुक्रवार रात 22 अप्रैल से 29 अप्रैल तक रोज देखा जाएगा। इस नजारे को भारत के कुछ शहरों से भी दिखेगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस सालाना लिरिड उल्का पिंड की बारिश को चांद की रोशनी के कारण यह नजारा देखने में थोड़ी मुश्किल हो सकती है। परंतु खगोलविंदों का कहना है कि चांद की रोशनी की वजह से स्कूल का पिंड का नजारा अगर ना दिखे तो इसे सुबह में देखा जा सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस वर्ष इस सालाना लिरिड उल्का पिंड को देखने में मुश्किल आ सकती है। क्योंकि चांद की रोशनी इस उल्का पिंड को देखने में 20 से 25 फीसदी तक कम कर देगा। विशेषज्ञ बताते हैं कि हर घंटे काम से काम 10-15 उल्का पिंड की बारिश होगी। एमपी बिड़ला तारामंडल के वैज्ञानिक अधिकारी शिल्पी गुप्ता ने जानकारी देते हुए कहा कि यह उल्का पिंड भारत के दिल्ली, कोलकाता तथा कुछ अन्य शहरों में देखी जाएगी। यह उल्का पिंड का बौछार रात में लगभग 8:31pm बजे भारत के आसमानों में सबसे ज्यादा दिखाई देगी। और इस समय यह उल्का पिंड अपने चरम पर होगी। यह सालाना लिरिड उल्का पिंड नासा (NASA) के अनुसार लगभग पिछले 2700 वर्षों से देखा जा रहा है।
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— NASA STI Program (@NASA_STI) April 22, 2022
Learn more about the Lyrids: https://t.co/kChvndmSPW pic.twitter.com/U1nHgNbyOF
आसमान में जो सितारे देखे जाते हैं उनका नाम नक्षत्रों के नाम पर रखा गया है। और यह उल्का पिंड धूमकेतु थैचर के द्वारा छोड़े जाने वाले मालवीय क्षेत्र का एक हिस्सा है जो आज वर्तमान में सूर्य से दूर सौरमंडल माध्यम से चल रहा है। और आने वाले 45 साल में या अपना ट्रेजेक्टरी को उलट देगा। और इसे एक बार सॉर की परिक्रमा करने में 415 वर्ष लग जाते हैं। जो वर्तमान में पृथ्वी से 1,60,00,00,000 किलोमीटर दूरी पर इस समय अपनी यात्रा कर रही है। जब धूमकेतु छोटे-छोटे टुकड़ों को पीछे छोड़ते हुए आगे बढ़ते चले जाते हैं। और पृथ्वी की स्थिति के आधार पर यह मालवे क्षेत्र में पहुंचता है तब उल्का वर्षा बनने के लिए वातावरण में कई सारे टुकडे जल जाते हैं, जो मालवे के क्षेत्र बन जाते हैं। इस सालाना लिरीड उल्का पिंड को देखने के लिए विशेषज्ञों तथा पूरे देश में काफी उत्साह देखा जा रहा है। क्योंकि 3 महीने से कोई भी उल्का पिंड की बारिश देखने को नहीं मिला है। जिसकी वजह से विशेषज्ञों में इसे देखने के लिए काफी उत्साह है।
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जब आसमान में टूटे हुए तारों की बारिश होगी। तब उस समय का नजारा ही कुछ अलग होगा और यह नजारा 22 अप्रैल से रोज रात 29 अप्रैल तक देखा जाएगा। इस सालाना लिरिड उल्का पिंड के गिरने के बारे में सुनकर पूरे देश भर में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। इस नजारा को देखने के लिए लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है।