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पेशे से बस कंडक्टर योगनाथन पिछले 30 वर्षों से खुद के पैसे से पौधा लगाते हैं, अभी तक लगाए 3 लाख से भी अधिक पौधे

जान कर खुशी होती हैं जब किसी ऐसे इंसान के बारे में पता चलता हैं जिसे पेड़-पौधों से इतना प्रेम है कि उसका नाम ही द ट्री मैन पड़ गया हो। जी हां , तमिलनाडु के एम योगनाथन( M Yoganathan) को आज पूरा देश द ट्री मैन के नाम से जनता हैं। माध्यम वर्गीय परिवार से तालुक रखने वाले तमिलनाडु के नागपट्टिनम के पास मदुलादुरई निवासी मारीमुथु योगनाथन(Marimuthu yoganathan) को बचपन से ही पेड़-पौधों से प्यार था।

आठवी कक्षा से पौधे लगा रहे हैं

एम योगनाथन बताते हैं कि वह आठवी कक्षा से ही पौधे लगा रहे हैं। इनकी पढ़ाई बारहवीं के बाद तो बन हो गई पर पर्यावरण से प्रेम कम नही हुआ। जब यह नीलगिरी ज़िले में सेल्समेन की नौकरी करते थे तब वहाँ नीलगिरी की प्राकृतिक सुंदरता से बहुत प्रभावित थे। वहाँ उन्होंने कोटागिरी में लकड़ी माफिया के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था।

tree man

अपने वेतन से पौधे लगाते हैं

एम योगनाथन तमिलनाडु राज्य सड़क परिवहन निगम(TNSTC) के बस नंबर 7 जो कि कोयम्बत्तूर के मरुधमालाई से गाँधीपुरम को जाती है इसमें कंडक्टर की नौकरी करते हैं। अपनी वेतन का 40 प्रतिशत हिस्सा यह पौधे लगाने में खर्च करते हैं। अपनी कमाई से अब तक 32 ज़िलों में 3 लाख से ज़्यादा पेड़ लगा चुके हैं।

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छुट्टी का दिन पेड़ लगाने में इस्तेमाल करते हैं

यह बताते हैं कि सोमवार को इनकी छुट्टी होती है जसका इस्तेमाल यह पेड़-पौधे लगाने और उसकी देखभाल में करते हैं। इसके अलावा यह बच्चो को पर्यवरण के प्रति जागरूक भी करते हैं। अबतक 3700 से ज़्यादा स्कूलों में बच्चो को यह पेड़ो का महत्व बता चुके हैं। इनकी एक खासियत यह भी हैं कि जब कोई बच्चा कोई पौधा लगाता है तब उस पौधे का नाम उस बच्चे के नाम पर रख जाता है । बदले में वह बच्चा उस पौधे की देखभाल करता हैं। एम योगनाथन उस बच्चे का पता भी लिख लेते है ताकि समय-समय पर पौधे की जानकारी ले सके।

पर्यावरण प्रेम के कारण कई केस चल रहे हैं

एम योगनाथन एक किराये के घर मे रहते है। जब भी कोई पौधा लगाते है मकान मालिक इन्हें घर खाली करने को बोल देता हैं। इस के अलावे वैन विभाग ने इनपर कई मामले दर्ज कर रखे हैं जो कि सरकारी रोड के किनारे पौधे लगाने से लेकर पेड़ को ना काटने देने के ज़िद तक पर हैं।

अपने काम के लिए पुरस्कृत हो चुके हैं

योगनाथन को अपने काम के लिए 14 पुरस्कार भी मिल चुके हैं। जिन्हें पर्यावरण योद्धा का पुरस्कार भी मिला हैं।
CBSE के कक्षा 5 के G.k की किताब में इन्हें ग्रीन योद्धा के नाम से पढ़ाया जाता हैं।

सच मे मारीमुथु योगनाथन का यह प्रकृति प्रेम अनोखा हैं। हमे पर्यावरण संरक्षण करने का तरीका ऐसे ही व्यक्तियों से सीखना चाहिए।

मृणालिनी बिहार के छपरा की रहने वाली हैं। अपने पढाई के साथ-साथ मृणालिनी समाजिक मुद्दों से सरोकार रखती हैं और उनके बारे में अनेकों माध्यम से अपने विचार रखने की कोशिश करती हैं। अपने लेखनी के माध्यम से यह युवा लेखिका, समाजिक परिवेश में सकारात्मक भाव लाने की कोशिश करती हैं।

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