Saturday, December 9, 2023

लन्दन से लेक्चरर की नौकरी छोड़ आयी बिहार, रेशम के खेती से बेहतर आय के साथ ही लोगों को दे रही हैं रोजगार: रेशम गर्ल

एक बात अक्सर देखी जा सकती है कि लोग उन्हें बेवकूफ कहते हैं जो अच्छी तरह पढ़ाई कर खेती की शुरुआत करते हैं। हमारे देश की महिलाएं भी खेती की तरफ अग्रसर हैं और वह भी खेती कर अच्छा-खासा मुनाफा कमा रही हैं। आज हम आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताएंगे जो लंदन में लेक्चरर की नौकरी कर रही थीं। लेकिन वह उसे छोड़ अपने गांव आईं और यहां आकर उन्होंने रेशम की खेती शुरू की। अब सभी उन्हें “रेशमी गर्ल” के नाम से जानते हैं। आइए जानतें हैं रेशमी गर्ल मधुलिका चौधरी जी के बारे में…

मधुलिका चौधरी (Madhulika Chaudhary) बिहार (Bihar) के कटिहार (Katihar) के एक गांव से ताल्लुक रखती हैं। यह हमारे बापूजी के एक मिशन “चलो गांव की ओर से” प्रभावित हुईं। वह लंदन में लेक्चरर की नौकरी कर अच्छा-खासा पैसा कमा रही थीं। लेकिन उन्होंने उस नौकरी को छोड़ दिया और गांव आईं। वहां आकर रेशम की खेती का श्रीगणेश किया और अब लोग उन्हें मधुलिका कम और रेशमी गर्ल के नाम से ज्यादा पहचानते हैं। उन्हें किसी परिचय की जरूरत नहीं है।

resham plant

दिलाया बुनकरों को पहचान

वह यहां के बुनकरों को उनकी पहचान दिलाने का छोटा सा प्रयास कर रही हैं। उनकी ख्वाहिश है कि उन्हें उनका हक मिले। वह हमारे प्रधानमंत्री से इस क्षेत्र में दिए गए ध्यान से बहुत खुश हैं। उन्होंने बताया कि जिस तरह से हमारे देश के प्रधानमंत्री ने रेशम का उत्पादन अधिक हो इसलिए ध्यान दिया है उससे मुझे अधिक मनोबल मिला है।

दूसरे शहर से लाईं कीड़ा

रेशम की खेती के लिए वह रेशम का कीड़ा बेंगलुरु से लाईं थी। अगर हम उनके खेतों में जाएं और उसका निरीक्षण करें तो हम उसे रेशम की खेती नहीं बल्कि सोने की खेती कहेंगे। वह अपनी खेती बड़े पैमाने पर कर रही हैं। उन्हें अपने कीड़े को बेचने के लिए मार्केट में जाने की आवश्यकता नहीं पड़ती बल्कि वहां खरीदने के लिए खरीददार खुद उनके पास चले जाते हैं। वह लगभग 1 किलो कीड़े का दाम हजार रुपये लेती हैं।

पारंपरिक खेती से अधिक लाभदायक है

मधुलिका ने यह जानकारी दिया कि वह जहां खेती कर रही हैं उनका गांव रेशम की खेती के अनुकूल है। अगर वहां के किसान अपनी पारंपरिक खेती को छोड़ इस रेशम की खेती को अपनाएं तो वह भी अधिक से अधिक लाभ कमा सकते हैं और अपने लिए बहुत कुछ कर सकते हैं।

देखें रेशम उद्योग का वीडियो

पिता को दिया सफलता का श्रेय

इनके पिता का नाम नवल किशोर चौधरी है। मधुलिका अपनी खेती से प्राप्त हुए सफलता का श्रेय अपने पिता को बताती हैं। साथ हीं वह अपने चाचा को भी अपनी मददगार मांगती हैं। उनके पति ने भी उनका हर कदम पर साथ दिया जिस कारण वह सफलता की सीढ़ी पर चढ़ रही हैं।

सभी हैं प्रेरित

मधु देवी ने यह जानकारी दिया कि जो कार्य मधुलिका ने किया है वह सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है। आज हर महिला उनकी तरह बनकर आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं।

विदेश में भी रहने के बावजूद अपने गांव आकर जिस तरह मधुलिका ने रेशमी गर्ल की उपाधि ली है वह प्रशंसनीय है। उनके कार्यों और अन्य महिलाओं के लिए बने प्रेरणा के लिए The Logically मधुलिका जी को सलाम करता है।