महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यह मध्यप्रदेश के उज्जैन में स्थित है। यह बारह ज्योतिर्लिंग में से तीसरा ज्योतिर्लिंग है। यहां भगवान शिव की आराधना की जाती है। स्वयंभू और दक्षिणमुखी होने के कारण महाकालेश्वर महादेव की महत्ता बेहद पुण्य देने वाला है ! यहाँ के भगवान शिव जी के दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है !
महाकालेश्वर मन्दिर में देश- विदेश से श्रद्धालु आते हैं। यहां हर साल भगवान शिव जी को दर्शन करने के लिए काफी भीड़ लगी रहती है। और श्रवण मास में ये भीड़ दुगुनी हो जाती है। उज्जैन के महाकालेश्वर नगरी में हरसिद्धि, कालभैरव, विक्रांत भैरव आदि भगवान स्थित हैं। महाकालेश्वर मंदिर में और भी कई देवी- देवताओं का मंदिर है। महाकालेश्वर मंदिर में एक कुंड भी है। इस कुंड में स्नान कर लेने से सारे पाप धुल जाते हैं। महाकालेश्वर मंदिर तीन खंडों में बटा हुआ है। सबसे ऊपर के खंड में भगवान नागचंद्रेश्वर हैं। बीच के खंड में ओंकारेश्वर हैं। और सबसे नीचे के खंड में महाकालेश्वर स्वयं हैं। महाकालेश्वर के गर्भगृह में माता पार्वती, गणेश एवं कार्तिकेय के भी दर्शन होते हैं।
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महाकालेश्वर मंदिर में हर सुबह भगवान शिव को भस्म से आरती की जाती है। यह भस्म कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बेर की लकड़ियों को जलाकर तैयार किया जाता है। इसी भस्म से भगवान शिव यानी महाकाल का श्रृंगार किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जब महाकाल की आरती भस्म से की जाती है तब वहां उपस्थित महिलाएं घूंघट कर लेती है। महाकाल के भस्म आरती को महिलाएं नहीं देख सकती। आरती के समय यहां के पुजारी सिर्फ एक वस्त्र धोती पहन कर ही आरती कर सकते हैं महाकाल के इस भस्म का बहुत बड़ा महत्व दिया गया है। यह भस्म भगवान शिव का प्रमुख प्रसाद माना जाता है। ऐसी मान्यता है भगवान शिव के ऊपर चढ़े हुए भस्म का प्रसाद ग्रहण करने से सारे रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग शिव भक्तों के लिए बेहद अहम तीर्थ स्थल है ! यहाँ आकर भक्तों में आस्था का संचार होता है ! यह लोगों के लिए महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल भी है !