आज के कथित आधुनिक समाज में माता-पिता के प्रति संतान का जो दृष्टिकोण हो गया है वो बात किसी से नही छिपी है। बोझ समझे जानें वाले बुज़ुर्ग न केवल समाज से बल्कि अपनी ही संतान से उपेक्षा के पात्र बनकर रह गये हैं। वृद्ध माता-पिता पर अत्याचार या उनका अपमान करने से पहले क्या कभी औलाद के दिमाग में यह ख़्याल आता है कि ये बुज़र्ग उनके लिए बतौर अनुभवों के खज़ाने के रुप में लाभदायक साबित हो सकते हैं और आपकी पिछली पीढ़ी ही आपकी आने वाली पीढ़ी के लिए एक मार्ग-दर्शक के रुप में काम कर सकती है।
इन सभी बातों के चलते महाराष्ट्र की लातूर जिला परिषद (District Council of Maharashtra) ने ऐसे कर्मचारियों (employees) जो अपने वृद्ध माता-पिता की अवहेलना कर उनकी देखभाल नही करते, उनके खिलाफ बड़ा फैसला लेते हुए सख्त कदम उठाया है। दरअसल, परिषद ने ऐसे कर्मचारियों के वेतन में से हर माह 30 फीसदी की कटौती करते हुए उस पैसे को उनके माता-पिता के अकाउंट में जमा करने का सकारात्मक व प्रशंसनीय कदम उठाया है साथ ही ऐसे कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की बात करते हुए समाज के सामने एक उदाहरण पेश किया है।
7 कर्मियों पर शुरु हो चुकी है कार्रवाई
लातूर जिला परिषद ने अपने बूढ़े मां-बाप की अवहेलना और उनकी देखभाल न करने के चलते 7 कर्मचारियों के मासिक वेतन से 30 प्रतिशत की कटौती करना शुरु कर दिया है। बता दें कि इन सभी कर्मियों के साथ ऐसा सख्त कदम हर महीने लिया जाएगा।
परिषद द्वारा पेरेंटस् के बैंक अकाउंटस् में ट्रांसफर किया जाएगा पैसा
PTI ( Press Trust of India ) को मामले की जानकारी देते हुए 13 फरवरी को परिषद के अध्यक्ष राहुल बोंद्रे (Rahul Bondre) ने कहा कि – “हमें 12 कर्मियों के खिलाफ अपने माता-पिता की उपेक्षा करने की शिकायत मिली थी जिनमें से 6 कर्मी टीचर्स हैं। हालातों के मद्देनज़र इन सभी कर्मचारियों के वेतन से 30 प्रतिशत की कटौती करते हुए ये पैसा उनके माता-पिता के बैंक अकाउंटस् में ट्रांसफर किया जा रहा है, हर महीने 30 प्रतिशत की कटौती जारी रहेगी”
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पारस्परिक रुप से निकाला गया कुछ मामलों का हल
बोंद्रे ने PTI को यह भी बताया कि नोटिस भेजे जाने के बाद कुछ मामलों को कर्मचारियों और उनके माता-पिता के बीच पारस्परिक रुप से भी हल कर लिया गया है।
नंवबर 2020 में परिषद महासभा में प्रस्ताव पारित किया गया था
परिषद अध्यक्ष राहुल बोंद्रे के मुताबिक – “दोषी कर्मियों के मासिक वेतन से कटौती दिसंबर 2020 से ही शुरु हो चुकी है, पिछले साल नवंबर में लातूर जिला परिषद की महासभा ने अपने माता-पिता की देखभाल न करने वाले कर्मचारियों के वेतन से 30 फीसदी की कटौती करने का प्रस्ताव पारित किया था”
HC द्वारा समय-समय पर लिये गये कई कड़े फैसले
बज़ुर्ग माता-पिता के प्रति दुर्व्यवहार को देखते हुए हाई कोर्ट द्वारा समय-समय पर कई सख्त कदम उठाये जा चुके हैं। उदाहरण के लिए, 2017 में दिल्ली हाई कोर्ट ने एक फैसला सुनाया जिसके मुताबिक जिन बुज़र्गों की संतान उनके साथ गलत व्यवहार करती है वो किसी भी तरह की अपनी प्रापर्टी से ऐसे बच्चों को कभी भी बेदखल कर सकते हैं। इसी प्रकार 2007 में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण के लिए ‘मेंटिनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पैरेंट्स एंड सीनियर सिटीज़न एक्ट-2007’ के ज़रिये माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक का परित्याग करने की स्थिति में 3 महीने की कैद व 5 हज़ार रुपये ज़ुर्माने संबंधी प्रावधान किया गया था।
देश के कई राज्यों में ‘मेंटिनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पैरेंट्स एंड सीनियर सिटीज़न एक्ट-2007’ लागू है
यूं तो देश के कई राज्यों में ‘मेंटिनेंस एंड वेलफेयर ऑफ पैरेंट्स एंड सीनियर सिटीज़न एक्ट-2007’ लागू है। बावजूद इसके संतान द्वारा अभिभावकों के साथ दुर्व्यवहार, उपेक्षा यहां तक कि मार-पीट के किस्से रोज़ सामने आते रहते हैं। ऐसे में महाराष्ट्र जिला परिषद द्वारा कर्मचारियों के वेतन में से 30 फीसदी की कटौती वाला यह कदम समाज के लिए प्रेरणा व सबक साबित हो रहा है।