मौजूदा समय में ऐसा लग रहा है जैसे पूरे देश में आधुनिक खेती की लहर दौड़ रही है। अशिकांश संख्या में लोग आधुनिक खेती करके आत्मनिर्भर बन रहे हैं और साथ ही लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं। वर्तमान में जहां एक तरफ युवा पढ़-लिखकर अच्छी सैलरी की नौकरी हासिल करना चाहते हैं वहीं दूसरी तरफ अधिकांश युवा अपनी अच्छी-खासी सैलरी वाली नौकरी छोड़ आधुनिक खेती की तरफ रुख कर रहे हैं और अच्छी आमदनी भी कमा रहे हैं।
आम की खेती से कमा रहे सालाना 50 लाख रुपये
कुछ ऐसी ही कहानी है काकासाहब सावंत (Kakasahab Sawant) की, जो एक समय में ऑटो मोबाइल कम्पनी में कार्यरत थे लेकीन अब वे प्लांट नर्सरी (Plant Nursery) के साथ के कम्पनी का भी संचालन करते हैं, जिससे उन्हें सालाना 50 लाख रुपए की आमदनी होती है। एक वक्त था जब उन्होंने इस काम को शुरु किया था तब लोग उनका मजाक बनाते थे लेकिन आज उनकी सफलता देख उनकी मिसाल देते हैं।
काकासाहब (Kakasahab) एक ऐसे क्षेत्र से आते हैं, जहां आम का अच्छा उत्पादन नहीं होता था। ऐसे में वहां के लोगों का यह मानना था कि फलों के राजा आम की बेहतर पैदावार (Mango Farming) कोंकण में ही हो सकता है, लेकिन सावंत जी की मेहनत और लगन ने सभी की इस सोच को बदल कर रख दिया। Maharashtra farmer Kakasahab Sawant earns Rs 50 lakh annually by cultivating 22 varieties of mango.
नौकरी छोड़ खेती करने का किया फैसला
टेक्नीकल इन्स्टीट्यूट में फैकल्टी मेम्बर की नौकरी करने वाले काकासाहब सावंत का जब ट्रांसफर हुआ तो उन्होंने नौकरी न करके गांव लौटने का फैसला किया। गांव लौटने के बाद उन्होंने खेती में करियर आजमाने का फैसला किया और इसके लिए उन्होंने दो शिक्षक भाइयों के साथ मिलकर सूखे की चपेट में आए महाराष्ट्र के सांगली जिले के जाट तालुका के अंतराल गाँव में लगभग 20 एकड़ भूमि खरीदी। इस स्थान की दूरी शहर से 15 किमी दूर है और यहां 280 परिवार रहते थे।
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साल 2010 में लगाया आम का बगीचा
सावंत ने देखा कि वहां के किसान अंगूर और अनार के साथ-साथ गेंहू-दाल, बाजरा, ज्वार आदि की खेती करते हैं। लेकिन उन्होंने साल 2010 में इनसब फसलों से अलग आम का बगीचा लगाया जिसके 5 साल व्यतीत होने पर उन्हें व्यवसाय के मौके दिखाई देने लगे। उस गांव में पानी की काफी दिक्कते देखने को मिलती थी लेकिन उसी दौरान सरकारी सहायता से तालाब तथा अन्य प्रोग्राम के तहत क्षेत्र में हो रही पानी की समस्याएं हमेशा के लिए खत्म हो गई।
25 लोगों को दिया है रोजगार
गाँव में पानी की समस्या खत्म होने के बाद काकासाहब सावंत मे जमीन को दो अलग-अलग हिस्सों में बांट दी। उन दो हिस्सों में से एक हिस्से में आम की और जमीन के दूसरे हिस्से में अन्य फसलों की खेती करने लगे जिनमे चीकू, सेव, अनार, अमरूद जैसे फल शामिल हैं। वर्तमान में उनके खेतों से फसल की उत्पादन का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि सिर्फ एक एकड़ भूमि से ही 2 टन आम का उत्पादन होता है। इतना ही वे अपने इस कार्यों से लगभग 25 लोगों को रोजगार देकर आत्मनिर्भर भी बनाया है।
बगीचे में मौजूद है 22 अलग-अलग वेरायटी के आम
43 वर्षीय काकासाहब (Kakasahab Sawant) नर्सरी समेत अन्य पैक बनाने के लिए सरकार से कई सब्सिडी का लाभ प्राप्त कर चुके हैं। (Mango Farming) बता दें कि, उनके बगीचे में 22 अलग-अलग वेरायटी के आम के किस्में मौजूद हैं। इतना ही नहीं वे अपनी नर्सरी से प्रतिवर्ष लगभग 2 लाख आम के पौधों की बिक्री करते हैं जिसमें अलग-अलग वेरायटी के आम के पौधें (Mango Plant) मौजूद हैं।
लोगों को लगता था कि खेती घाटे का सौदा है लेकिन मौजूदा दौर में खेती कमाई का बेहतर जरिया बन चुका है। आजकल थोड़ी से मेहनत और देखभाल करके बेहतर उत्पादन के साथ-साथ अच्छी कमाई भी की जा सकती है।