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पारंपरिक फसलों को छोड़कर शुरू किए फूल और सब्जियों की जैविक खेती, अब हर साल कमा रहे 35 लाख रुपए: आधुनिक खेती

हमारा देश कृषि प्रधान देश है। यहां किसान जी तोड़ मेहनत कर खेतों में फसल का उत्पादन करते हैं, लेकिन एक बात थोड़ी अलग है कि अधिकतर किसान अभी भी ट्रेडिशनल खेती ही करते हैं, जिस कारण उनके आय में ज़्यादा बढ़ोतरी नहीं होती। अगर हमारे किसान नकदी फसलों की खेती करें, तो वह जरूर सफल होंगे और उनकी आय में भी बढ़ोतरी होगी।

आज के हमारे इस लेख में आपको एक किसान के विषय में जानकारी मिलेगी, जो ट्रेडिशनल खेती किया करते थे लेकिन जब उन्हें इससे फायदा नहीं हुआ, तब उन्होंने इसे छोड़कर सब्जियों एवं फूल की खेती प्रारम्भ की। (Ogranic Farming)

Maharashtra farmer Tukaram is earning 35 lakhs per year from Organic Farming

पारम्परिक खेती छोड़कर अपनायी जैविक खेती

महाराष्ट्र (Maharastra) से ताल्लुक रखने वाले तुकाराम (Tukaram) पहले ट्रेडिशनल पद्धति द्वारा खेती किया करते थे परंतु उन्हें अपने खेतों से मेहनत के अनुसार आमदनी नहीं हो पा रही थी। उन्होंने बताया कि 10 एकड़ जमीन में मजदूरों से खेती करवाया करते थे लेकिन उन्हें मजदूरी देने के लिए हमारे घर से पैसे अधिक लग जाते थे। (Organic Farming)

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कमाते हैं हर साल 35 लाख रुपए

उसके बाद उन्होंने निश्चय किया कि क्यों ना हम एक ऐसी खेती करें, जिसमें मजदूरों की कोई आवश्यकता ना पड़े और कम लागत में खेती से अधिक लाभ कमाया जा सके। तब उन्होंने मात्र 2 एकड़ जमीन में जैविक सब्जियों एवं फूलों को उगाया। जब उन्हें अपनी इस खेती से सफलता हासिल होने लगी, तब उन्होंने धीरे-धीरे इसे बढ़ाना प्रारंभ कर दिया और आज वह लगभग 12 एकड़ जमीन में जैविक खेती कर रहे हैं। उन्होंने यह जानकारी दिया कि वह अपने खेत से लगभग 35 लाख रुपए हर साल प्राप्त होती है। (Organic Farming)

दी है 200 किसानों को ट्रेनिंग

वर्ष 2009 में पारंपरिक खेती को छोड़ने के उपरांत तुकाराम ने जिस पद्धति को अपनाया है, उसका प्रशिक्षण अब तक वह 200 किसानों को दे चुके हैं। उनसे प्रशिक्षण प्राप्त कर किसान खेती कर अधिक लाभ कमा रहे हैं। उन्होंने यह जानकारी दिया कि उनके आसपास के किसान भी उनकी खेती को देखने आते हैं और प्रशिक्षण लेने के उपरांत इस खेती को प्रारंभ करते हैं। (Organic Farming)

उनके पास प्रशिक्षण के लिए मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, कर्नाटक एवं गुजरात के किसान आते हैं। यह सीखने के बाद अपने गांव जाकर इसी खेती को प्रारम्भ करते हैं।

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