Wednesday, December 13, 2023

वृक्षारोपण के शौक ने छुड़ाई नशे की लत, ‘महावीर प्रसाद’ ने अपने गांव में ही लगाए अनेकों पेड़ और बना दी हनुमान वाटिका

आजकल हर दूसरा व्यक्ति नशे का शिकार हो चुका है। यह एक ऐसी बुरी लत है, जो इंसान की पूरी जिंदगी तबाह कर देती है। सभ्य परिवार का व्यक्ति भी नशे के कारण चोरी तक करने को तैयार हो जाता है। बड़े बुजुर्गों ने कहा है, “एक बार जिस इंसान को नशे की आदत लग गई, वह लाख कोशिशों के बाद भी इससे छुटकारा नहीं पा सकता है” परंतु इस बात को गलत साबित कर दिखाया राजस्थान के रहने वाले एक साधारण व्यक्ति ने। आइए जानते हैं इस ख़ास व्यक्ति की कहानी।

महावीर प्रसाद पांचाल (Mahaveer Prasad Panchal) राजस्थान में स्थित सहण गांव के रहने वाले हैं। उन्हें गुटखा आदि खाने की लत बहुत समय पहले से ही लग गई थी, जब वे किराना दुकान चलाया करते थे। वही एक आदमी ने उन्हें वृक्षारोपण की सलाह दी।

Mahavir Prasad Panchal is planting trees in Hanuman Vatika

पौधे लगाने का बचपन से था शौक

महावीर प्रसाद (Mahaveer Prasad) बताते हैं कि उन्हें बचपन से ही पौधे लगाने का शौक रहा है। उनका कहना है कि बचपन में जब वह खेलते थे, तब वह एक घर बनाते थे, जिसमें वह तरह-तरह के पेड़-पौधे की डालियों को तोड़कर अपने सुंदर घर को सजाते थे। उनको पेड़-पौधे लगाने का इतना शौक था कि जब भी वह बस से बूंदी या कोटा जाते थे, वह खिड़की के पास बैठकर पर्वतमाला को देखा करते थे। बरसात के मौसम में जब भी उन्हें आम, जामुन, इमली आदि के बीज मिलते थे, तो वे उन्हें कहीं भी लगा देते थे। वह बताते हैं कि बचपन में उनके लगाए हुए पेड़ कभी बड़े नहीं हुए क्योंकि वह उसे हर बार गलत जगह पर लगाते थे।

महावीर प्रसाद ने बताया कि बचपन के सपने घर की जिम्मेदारियों और पढ़ाई-लिखाई की वजह से कब खत्म हो गए पता ही नहीं चला। उन्होंने जब अपनी पढ़ाई पूरी कर ली, तब उन्होंने गांव में ही किराने की दुकान खोली। साल 2010 में उन्होंने पास के कस्बे देई में एक ऑटो पार्ट्स की दुकान शूरू किए। उन्होंने बताया कि 20 जून 2013 में एक दुकान पर बैठकर पुरानी बातों को याद करने लगे।

Mahavir Prasad Panchal is planting trees in Hanuman Vatika

शौक पूरे करने के लिए दोस्त ने दी गुटखा छोड़ने की सलाह

महावीर प्रसाद दुकान पर बैठे-बैठे यही सोच रहे थे कि जिंदगी की आधी उम्र बीत चुकी है और गुजरते समय के साथ-साथ पेड़-पौधे लगाने का शौक भी मात्र एक शौक बनकर ही रह गया। वह यही सोच रहे थे कि उनके एक मित्र पीतांबर शर्मा (Pitambar Sharma) दुकान पर पहुंचे। महावीर प्रसाद ने बातों ही बातों में अपने दोस्त से बताया कि उन्हें पेड़-पौधे लगाने का बचपन से शौक था। यह सुनकर पीताम्बर ने गांव में ही मौजूद बजरंग बली की मंदिर की बेकार पड़ी 100 बीघा जमीन पर पौधे लगाने के लिए बताया।

महावीर ने इसके बारे में सोचा परन्तु अच्छी तरह से पौधरोपण के लिए उनके पास इतने पैसे नहीं थे। अगले ही दिन उनकी मुलाकात उनके एक और मित्र से हुई, जिनका नाम है लादू लाल सेन (Ladu Lal Sen) है। वह दुर्व्यसन मुक्ति मंच के नाम से एक एनजीओ (NGO) चलाते थे। जब वह दुकान पर आए उस वक्त उनकी मुंह में काफी ज्यादा गुटका थे और वह वैसे ही उनसे बात करने लगे, तभी उन्होंने महावीर को एक सलाह देते हुए कहा कि जितने पैसो का तुम गुटखा खाते हो उतने का काजू , बादाम खाओ या उसे घर खर्च में उपयोग करो। आखिर यह खाने से क्या फायदा है?

Mahavir Prasad Panchal is planting trees in Hanuman Vatika

दृढ़ संकल्प के साथ शुरू किया ‘पौधारोपण’

महावीर ने अपने मित्र के जाने के बाद इस पर विचार किया और सोचा कि यह बात बिल्कुल सही है, आखिर गुटखा खाने से हमें क्या मिलता है? उन्होंने सोचा जितना पैसा हम गुटखा खाने पर खर्च कर देते हैं, उन्हीं पैसों को जमाकर पौधरोपण का कार्य शुरू किया जाए। उनके मन में यह बात बैठ गई और उन्होंने दृढ़ संकल्प लिया कि वह अपना सपना साकार करके ही रहेंगे। अगले ही दिन वे बजरंग बली के मंदिर पहुंचे। वहां की जमीन पूरी तरह से अंग्रेजी बबुल की झाड़ियों से ढकी हुई थी, उसे उन्होंने कुदाल की मदद से
साफ किया। लगातार सफाई करने से उनके हाथों में छाले पर गए थे, फिर भी उन्होंने काम करना नहीं छोड़ा। वहां की सफाई करने के बाद गढ़े की भी खुदाई की। प्रत्येक सुबह वह लगभग 2 से 3 घंटे तक कार्य करते थे।

यह भी पढ़ें :- चार एकड़ में फैली बंजर पहाड़ी को बना दिया हरा-भरा, अद्भूत पर्यावरण प्रेम को देखते हुए सरकार ने किया सम्मानित: प्रकृति से प्रेम

जगह को हनुमान वाटिका का नाम दिया

महावीर प्रसाद ने बताया कि जिस जगह पर वो पौधारोपण करना चाहते थे, उस जगह का नाम उन्होंने ‘हनुमान वाटिका (Hanuman Vatika) रखा। उसके बाद सरकारी नर्सरी से पौधे लाकर उसे लगाना शुरू किया। उन्होंने बताया कि पौधे लगाने के बाद वे बड़े होने लगे, मगर यह सब इतना भी आसान नहीं था। जब उन्होंने इस कार्य को शुरू किया तब उन्हें बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। वह कहते हैं कि उन्हें इस काम को करने का अनुभव ही नहीं था। पहली बार जब उन्होंने पौधे लगाएं, तब गड्ढे ज्यादा गहरे हो जाने के कारण ज्यादातर पौधे पानी से गल गए, परंतु उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और दोबारा उन गड्ढों में पौधे लगाए। उन्होंने बताया कि नील गाय और बकरियों से भी उन्हें काफी परेशानी होती थी, पर जब एक जानवर हार नहीं मान सकते, तो फिर वह क्यों पीछे हटते? – Hanuman Vatika Mahavir Prasad Panchal

Mahavir Prasad Panchal is planting trees in Hanuman Vatika

बेटे के जन्मदिवस पर लगाए 51 पौधें

वर्ष 2016 ने 29 फरवरी को उनके छोटे बेटे अर्जुन का जन्मदिन था। अपने बेटे के जन्मदिन पर वह एक अच्छी शुरुआत करना चाहते थे। उन्होंने सोचा हम बच्चों को जन्मदिन पर महंगे से महंगे तोहफे देते हैं। महंगे गिफ्ट देना कोई बड़ी बात नहीं है, बल्कि इससे हम कहीं ना कहीं अपने बच्चे को गलत पाठ ही पढ़ा रहे होते हैं। बहुत महंगे गिफ्ट देने से क्या साबित होता है कोई आपसे ज्यादा प्यार करता है? ऐसा नहीं है प्यार और महंगे तोहफे का कोई संबंध नहीं होता।

महावीर प्रसाद कहते हैं कि वे अपने बेटे को ऐसी शिक्षा देना चाहते थे, जो उन्हें जीवनभर के लिए एक सीख दे। इस बार उन्होंने अपने बेटे के जन्मदिवस पर पौधे लगाकर उसे पर्यावरण के साथ जोड़ना चाहते थे। उन्होंने ग्रामीणों के साथ ही साथ इतिहासकार डॉ. एस.एल. नागौरी, मेरे मार्गदर्शक विट्ठल सनाढ्य और लादू लाल सेन के समक्ष अपने बेटे के जन्मदिवस पर 51 पौधे लगाए। इस कार्य से गांव के बाहर भी उनकी चर्चाएं होने लगी।

Mahavir Prasad Panchal is planting trees in Hanuman Vatika

यह भी पढ़ें :- भारत का वह महान व्यक्तित्व जिसने अकेले पूरा जंगल लगा दिया, आज इन्हें पूरा भारत ‘फॉरेस्ट मैन’ के नाम से जानता है

जब वाटिका में लग गई आग

महावीर प्रसाद के अनुसार सब कुछ सही चल रहा था कि भगवान को कुछ और ही मंजूर था। उन्होंने बताया कि 1 मार्च 2016 को हनुमान वाटिका में आग लग गई। आग लगने के कारण 11 हज़ार केवी की बिजली की तार टूटना था। उस आग में लगभग 200 पौधे जलकर राख हो गए। महावीर प्रसाद से यह सहन नहीं हुआ और वह इतना रोए, जितना कि वह अपने मां की मृत्यु पर भी नही रोए थे। उन्होंने बताया कि उनके दोस्तों ने उन्हें दिलासा दिया। अगर वह एक ही दिन में बाड़ नहीं बनाते तो बचे हुए पौधे को भी जानवर खा जाते। उनको ऐसे हालत में देख उनके बच्चों ने बताया कि क्यों न हम एयरटेल के डिश को हटाकर फ्री वाला डिश लगवा ले और उससे जितने पैसे बचेंगे, उससे पौधे की सुरक्षा के लिए तार की जली खरीदी जाएगी। यह सुनकर उनका मन भर आया। जो होना था वह तो हो ही गया, फिर हिम्मत जुटा कर उन्होंने बचे हुए पौधों की सुरक्षा की और पौधे लगाने का कार्य भी शुरू रहा।

महावीर प्रसाद ने बताया कि इस कार्य में उनके पत्नी मंजू देवी, बेटे चर्मेश, अर्जुन और बेटियां निशा, अंबिका ने भी पूरा साथ दिया। इसके साथ ही उनके फेसबुक दोस्तों ने भी पूरी मदद की। वैसे उन्होंने हनुमान वाटिका में किसी की भी मदद नहीं ली थी, इस कारण उन्होंने वाटिका के सामने चार-पांच बीघा जमीन चुनी और उसे उन्होंने अपने फेसबुक वाटिका का नाम दिया। राजस्थान के अलावा कई और दोस्तों ने उन्हें ऑनलाइन कुछ पैसे भेजे और कहा कि उनके नाम का भी एक पौधा लगाएं। इतना ही नहीं पिछले कई वर्षों से सीडबॉल बनाकर सहण देई मार्ग पर (10km) डाल रहे हैं। इस तरह के कार्य से अब तक लगभग 200 से 250 तक नीम के पौधे लग चुके हैं।

Mahavir Prasad Panchal is planting trees in Hanuman Vatika
  • Hanuman Vatika Mahavir Prasad Panchal

महावीर प्रसाद का कहना है कि वे कोई बड़े आदमी नहीं हैं और न कोई संस्थान हैं। उनका केवल एक ही सपना है की उनका गांव पेड़-पौधों से हराभरा रहे। वह अपना बाकि जीवन प्रकृति मां के लिए जीना चाहते हैं। उनकी सोच है कि वह अपने गांव में समीपस्थ कस्बा देई तक सड़क के किनारे पेड़ लगाकर एक ग्रीन बेल्ट तैयार करें। – Hanuman Vatika Mahavir Prasad Panchal

लोगों से लगवाते हैं फेसबुक वाटिका में पौधें

महावीर प्रसाद ने बताया कि वह गांव के लोगों को पौधे लगाने के लिए प्रेरित करते रहते हैं। अगर गांव में किसी की शादी की सालगिरह हो, जन्मदिन हो, पूर्वजों की स्मृति हो या नौकरी लगने की खुशी हो सभी से वह फेसबुक वाटिका में पौधे लगवाते हैं। – Hanuman Vatika Mahavir Prasad Panchal

फल खाने के लिए कई तरह के पक्षी आते हैं

महावीर प्रसाद की लगाई हुई ‘हनुमान वाटिका’ में फल लगने शुरू हो गए हैं। उन्होंने बताया कि वह इन फलों को पक्षियों के लिए भी छोड़ देते हैं। यहां फल खाने के लिए अनेक प्रकार के पक्षी आते हैं। जैसे- मोर, तोते, कोयल, तीतर, आदि जैसे रंग-बिरंगे पक्षी यहां अपना घर भी बना लिया है।इतना ही नहीं यहां अब खरगोश भी आने लगे हैं। हनुमान वाटिका पक्षियों की प्रजनन स्थली बन चुका हैं। फिल्म कलाकार प्रदीप काबरा और जिला वन संरक्षण सतीश कुमार जैन ने भी इस वाटिका में अपने हाथों से पौधे लगा चुके हैं। – Hanuman Vatika Mahavir Prasad Panchal

Mahavir Prasad Panchal is planting trees in Hanuman Vatika

जिला कलक्टर द्वारा हो चुके हैं सम्मानित

महावीर प्रसाद को ग्राम पंचायत, उपखंड अधिकारी, जिला कलक्टर के द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है। इतना ही नहीं इससे पहले भी उन्हें रणथंभौर टाइगर रिजर्व के द्वारा सम्मानित किया गया था और उन्हें जिला वृक्षवर्धक पुरस्कार से भी नवाजा गया है। – Hanuman Vatika Mahavir Prasad Panchal

महावीर प्रसाद उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा हैं, जो किसी भी प्रकार के नशे से पीड़ित हैं। उन्होंने यह साबित कर दिखाया कि कोई भी व्यक्ति जिसे नशे की लत लग चुकी है, वह अगर चाहे तो इससे छुटकारा पा सकता है और एक अच्छा जीवन जी सकता है। Mahavir Prasad Panchal is planting trees in Hanuman Vatika

महावीर प्रसाद के इस नेक कार्य में आप भी अगर कुछ योगदान देना चाहते हैं, तो नीचे दिए गए पते पर संपर्क कर सकते हैं।
आप इस नम्बर
9680103086, 9414963450 पर उन्हें कॉल भी कर सकते हैं।

महावीर पांचाल
पांचाल ऑटो पार्ट्स
बून्दी रोड देई, तहसील नैनवां,
जिला- बून्दी, राजस्थान