आज सब्जियों के उत्पादन या शीघ्र उत्पादन हेतु उसमें कई तरह के रसायनिक खाद और कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है। फलस्वरूप उपजने वाली सब्जियां कितनी नुकसानदेह है यह जानते हुए भी लोग उसे खरीद रहे हैं। ऐसे में उनके पास खुद के अलावा कोई विकल्प नहीं है। आज बात एक ऐसे शख्स महेंद्र साचन की जिन्होंने अपने प्रयास से सिद्ध कर दिया कि इंसान अगर चाह ले तो खुद हीं हर कार्य कर सकता है और दूसरों पर निर्भरता खत्म की जा सकती है। महेंद्र बाजार की सब्जियों को बिल्कुल भी पसंद नहीं करते हैं इसलिए उन्होंने सब्जियों के उत्पादन हेतु नायाब तरीका अपनाया है। आईए जानते हैं उनके द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में…
महेन्द्र साचन उत्तरप्रदेश राज्य के लखनऊ के मुंशी पुलिया इलाके के रहने वाले हैं। उन्हें बाजार में मिलने वाली सब्जियां तनिक भी पसन्द नहीं आती हैं। उनका कहना है कि बाजार में उपलब्ध सब्जियां एक तो महँगी होती हैं दूसरी वह केमिकल खाद और कीटनाशक दवाओं के प्रयोग से उपजने के कारण स्वादहीन और स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से नुकसानदेह होती है। इंसान के लिए यह महत्वपूर्ण है कि ऐसा भोजन करें जिससे स्वास्थ्य ठीक रहे। आजकल सब्जियों को जल्द तैयार करने के लिए रसायनिक खाद और दवाओं का तेजी से प्रयोग हो रहा वह इंसान के स्वास्थ्य पर सीधा असर करता है। इसलिए केमिकल युक्त सब्जियों से मुक्ति पाने हेतु महेन्द्र ने प्रयास करना शुरू कर दिया।
घर की छत पर शुरू की सब्जियों की खेती
बाजार में मिलने वाली केमिकल युक्त सब्जियों की जगह खुद के द्वारा उपजाकर सब्जियों का सेवन करना उनकी प्राथमिकता थी। उनके पास सब्जियों के उत्पादन हेतु जमीन नहीं थी। काफी चिंतन-मनन करने के बाद उन्हें एक आईडिया आया कि क्यूं ना वे अपने घर की छत पर हीं सब्जियों की खेती करूँ। यह विचार धरातल पर उतारने लायक था इसलिए उन्होंने अपने छत को किचन गार्डन का स्वरूप दे दिया और सब्जियों के कुछ पौधे लगाए। उससे प्राप्त सब्जियों को खाकर वे उत्साहित हो गए और पूरे छत को सब्जियों की खेती हेतु उसके अनुरूप बना दिया।
कम खर्च में हीं तैयार कर दी खेती लायक छत
यूं तो छत को खेती लायक बनाने में बहुत खर्च आता लेकिन महेंद्र ने अपनी सूझबूझ से अल्प व्यय में हीं छत को सब्जियों की खेती लायक बना दिया। लगभग 600 स्क्वायर फीट वाले अपने छत पर उन्होंने सबसे पहले एक पतली सी चारकोल की लेयर लगाई ताकि छत से पानी का रिसाव ना हो। चारकोल की लेयर पर लगभग 4 इंच ऊपजाऊ मिट्टी बिछा दिया। और इस तरह महेन्द्र ने बहुत हीं कम खर्च में अपनी छत को खेती अनुरूप बना दिया। उपजाऊ मिट्टी में अब वे सब्जियां उत्पादन करने लगे। अपने अनुभव के आधार पर छत को किचन गार्डन बनाने के लिए उन्होंने कुछ टिप्स भी दिए। महेंद्र बताते हैं कि किचेन गार्डन बनाने के लिए ऐसी जगह होनी चाहिए जहाँ पर्याप्त सूर्य की रौशनी जाए। कंकड़-पत्थर रहित मिट्टी डाला जाए। सिंचाई हेतु पानी की उचित व्यवस्था हो और पानी के निकास की भी व्यवस्था हो। मौसम के हिसाब से फलों और सब्जियों का चयन भी आवश्यक हो जाता है। समय-समय पर सिंचाई, कुङाई, खर-पतवार हटाना और कटाई आवश्यक होता है जिससे फसल को बढ़ने में दिक्कत ना हो।
अॉरगेनिक पद्धति से खेती
महेन्द्र जो अपनी छत पर सब्जियों का उत्पादन करते हैं वह ऑर्गेनिक होती है। उनका मानना है कि रसायनिक खाद और कीटनाशक उत्पादों को स्वादहीन बना देता है और साथ हीं साथ स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालता है। वे घर में हो रहे वेस्ट पदार्थों से खाद बनाकर खेती करते हैं। वे बहुत हीं संजीदगी से खेती करते हैं और फसलों का खूब ध्यान भी रखते हैं।
छत पर खेती करना कई मायनों में लाभकारी
महेन्द्र साचन कहते हैं कि छत पर खेती करना कई मायनों में विशेष होता है। जमीन की समस्या कुछ हद तक हल की जा सकती है। छत पर खेती करने से नीचे के मंजिल में ठंडापन रहता है जिससे कुछ हद तक गर्मी से निजात भी मिलती है। आस-पास शुद्ध हवा का भी संचार होता है। यहाँ उपजने वाली सब्जियां बेहद हीं लाभकारी होती हैं। इससे घर में हुए सब्जी की जरूरत को पूरा किया जा सकता है। महेन्द्र जी ने खेती के क्षेत्र में अपनी अथक मेहनत और सूझबूझ से बेहतरीन सफलता हासिल की है। पिछले 12 वर्षों से उन्होंने बाजार से सब्जियां नहीं खरीदी हैं। करीब 20 तरह की सब्जियां उगाकर वे ना सिर्फ खुद की जरूरत पूरी करते हैं बल्कि आस-पड़ोस के लोगों में भी बाँटते हैं। इतना करने के बाद भी वे छत पर खेती कर लगभग 2500 रूपये बचा रहे हैं।
महेन्द्र साचन ने अपनी सूझबूझ से अपने छत को हीं खेत बनाकर उस पर जिस तरह से सब्जियों का बेहतरीन उत्पादन कर रहे हैं वह अन्य लोगों के लिए भी प्ररेणा हैं। The Logically महेन्द्र जी के प्रयासों की खूब सराहना करता है।