Home Social Heroes

अपनी मां की याद में महिलाओं को बांटते हैं सैनिटरी नैपकिन, सड़क दुर्घटना में हुई थी मां की मौत

साल 2018 में अक्षय कुमार की Padman फिल्म रिलीज होने से पहले भी भारत में कई Padman चुप-चाप काम कर रहे हैं। यह काम कर रहे लोगों का उदेश्य महिलाओं को पीरियड्स, मेन्स्ट्रुअल हाइजीन के बारे में जागरूक करना है। राजस्थान (Rajasthan) के नागौर ज़िले के रहने वाले महेन्द्र राठौड़ (Mahendra Rathod) रीयल लाइफ़ में पैडमैन हैं। – Mahendra Rathod from Rajasthan is giving free sanitary napkins to women

Mahendra Rathod from Rajasthan is giving free sanitary napkins to women

मां को याद करते हुए महिलाओं को देते हैं मुफ़्त सैनिटरी नैपकीन

23 वर्षीय महेन्द्र की मां एक सामाजिक कार्यकर्ता थीं, लेकिन तीन साल पहले एक सड़क दुर्घटना में उनकी मौत हो गई। अपनी मां को याद करते हुए महेन्द्र महिलाओं की स्वच्छता के लिए अपने ज़िले में मुफ़्त सैनिटरी नैपकीन बांटते है। महेन्द्र राठौड़ (Mahendra Rathod) कज़ाखस्तान स्थित Karaganda Medical University के फ़ाइनल इयर के छात्र हैं।

पैडमैन के नाम से हैं मशहूर

लॉकडाउन की वजह से महेन्द्र पिछले 18 महीनों से अपने घर से ही ऑनलाइन क्लास कर रहे हैं। इस दौरान महेन्द्र अपने गांव में मेन्स्ट्रअल हाइजीन पर काम कर रहे हैं, जिससे वह पैडमैन’ के नाम से मशहूर हो गए हैं। वे हर रोज़ साइकिल से सैनिटरी नैपकीन बांटने जाते हैं।- Mahendra Rathod from Rajasthan is giving free sanitary napkins to women

यह भी पढ़ें :- एक भिखारी से मिली प्रेरणा ने ज़िन्दगी बदल दी, आज नागपुर के जमशेद सिंह स्कूटर पर घूमकर लोगों को देते हैं लंगर सेवा

महेन्द्र की मां महिलाओं की करती थी काउन्सिलिंग

महेन्द्र महिलाओं को मेन्स्ट्रुअल हाइजिन की आवश्यकता के बारे में भी समझाते हैं। वे बताते हैं कि मेरे पिता मेडिकल स्टोर चलाते हैं और मेरी मां महिलाओं के स्वास्थ्य का ध्यान रखती थीं। इसके अलवा वे महिलाओं का काउन्सिलिंग भी करती थीं इसलिए महेन्द्र उनकी मौत के बाद महिलाओं की सुरक्षा के लिए इस दिशा में काम करने लगे।

महिलाओं से बात-चीत करने में हुई दिक्कत

महेन्द्र फंड के रूप में पैसे नहीं मांगना चाहते थे इसलिए उन्होंने स्पॉनसर्स से सैनिटरी पैड मांगा। महेन्द्र को सबसे अधिक दिक्कत गांव की महिलाओं से बात-चीत करने में हुई। महिलाएं उनसे बात करने में बहुत असहज महसूस करती थीं। शुरुआत में महिलाओं को लगा कि वह पेड़ के बारे में बात करेंगे, जब महिलाओं को पता चला कि वो पैड के बारे में बात करने वाले हैं, तो वे घर लौट गईं।

अबतक 15000 मुफ़्त सैनिटरी नैपकीन बांट चुके हैं

महेन्द्र स्कूल की छात्राओं के जरिए स्थानीय महिलाओं तक पहुंचे। वे पैड को काले पैकेट में पैक करके महिलाओं को देते थे। अबतक महेन्द्र 15000 मुफ़्त सैनिटरी नैपकीन महिलाओ में बांट चुके हैं। महेन्द्र जैसे ओर भी कई लोग है, जो इस दिशा में काम कर रहे हैं। – Mahendra Rathod from Rajasthan is giving free sanitary napkins to women

बिहार के ग्रामीण परिवेश से निकलकर शहर की भागदौड़ के साथ तालमेल बनाने के साथ ही प्रियंका सकारात्मक पत्रकारिता में अपनी हाथ आजमा रही हैं। ह्यूमन स्टोरीज़, पर्यावरण, शिक्षा जैसे अनेकों मुद्दों पर लेख के माध्यम से प्रियंका अपने विचार प्रकट करती हैं !

Exit mobile version