सलमान खान अभिनीत फिल्म ‘जय हो’ का डायलॉग – अगर आपको ऐसा लगता है कि हमलोगों ने आप पर कोई एहसान किया है तो THANK YOU मत कहिए… 3 लोगों की मदद कीजिए आप… और उन तीनों से कहना कि वो तीन और की मदद करें… और ऐसे ही मदद की चेन लाखों से अरबों करोड़ों में बढ़ती जाएगी… हम सभी ने सुना है या फिल्म में देखा है। अगर आपको पता चले.. असल ज़िंदगी में भी कोई मदद के इस चेन को आगे बढ़ाते हुए सिर्फ़ तीन लोगों की नहीं बल्कि हर रोज़ 9000 लोगों की मदद करता है तो उसे क्या कहेंगे आप… जी आज की हमारी कहानी एक ऐसे ही शक्स की है जिनका नाम मल्लेश्वर राव है। 26 वर्षीय मल्लेश्वर हैदराबाद के निवासी हैं।
बाल मजदूरी कर परिवार की मदद करते थे
निज़ामाबाद में जन्मे मल्लेश्वर राव के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। जीवन की शुरुआती दौर के बारे में बताते हुए मल्लेश्वर कहते हैं कि मुझे एहसास हो गया था कि मुझे अपने लिए और अपने परिवार के लिए कुछ करना है। तब परिवार की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए बाल मजदूरी किया करता था। मैंने अपने शुरुआती वर्षों को हैदराबाद और उसके आसपास के क्षेत्रों में एक निर्माण श्रमिक के रूप में बिताया है।
‘डोन्ट वेस्ट फूड’ नामक संगठन चलाते हैं मल्लेश्वर जो प्रतिदिन हज़ारों व्यक्तियों को खाना खिलाता है
पांच साल की उम्र में बाल मजदूरी करने वाले मल्लेश्वर 20 साल बाद, ‘डोन्ट वेस्ट फूड’ नामक एक संगठन चलाते हैं। जो प्रतिदिन हजारों व्यक्तियों को खाना खिलाता है। ‘डोन्ट वेस्ट फूड’ नामक यह नेटवर्क होटल और पार्टियों से अतिरिक्त भोजन एकत्र करता है और हैदराबाद में लगभग 500-2000 व्यक्तियों को खाना खिलाता है। अब इस समूह की शखाएं नई दिल्ली, रोहतक और देहरादून में भी है और कुल मिलाकर इस संगठन के द्वारा रोज़ाना 9,000-10,000 लोगों की मदद की जाती है।
कैसे हुई शुरुआत ‘डोन्ट वेस्ट फूड’ नामक इस संगठन की
स्कूल छोड़ने के बाद मल्लेश्वर ने एक आश्रम में नौकरी की। कुछ समय के लिए आश्रम में काम करने के बाद इन्होंने एक खानपान व्यवसाय में नौकरी शुरू की। वहीं इन्होंने रोज़ाना बर्बाद होती भोजन की मात्रा देखी। फिर जब हैदराबाद गए। वहां इनके पास इतने पैसे नहीं होते थें कि खाना खरीद सकें। मल्लेश्वर बताते हैं, “यही सब यादें मेरे दिमाग में ताजा थी जिसने दूसरों की मदद करने की इच्छा को जन्म दिया। फिर 2012 में एक संगठन शुरू किया जिसका नाम रखा गया- डोन्ट वेस्ट फूड।” कुछ दोस्तों के साथ एक बड़ा सा बैग लेकर शहर में भोजन इकट्ठा करते थे और गरीबों में बांटा करते थें। एक छोटे से आंदोलन के रूप में शुरू किया गया यह कार्य अब गति पकड़ चुका है। राव बताते हैं, अब विभिन्न स्वयंसेवकों की मदद से हम और सभी शहरों के दैनिक लाभार्थियों की संख्या मिलाकर लगभग दस हज़ार हो गई है।
26 से अधिक पुरस्कारों के प्राप्तकर्ता
मल्लेश्वर राव की कहानी बहुत ही प्रेरणादायक है। उन्हें अपने इस काम के लिए इंडियन यूथ आइकन अवार्ड 2018, राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार 2019, जैसे 26 से अधिक पुरस्कार मिल चुके हैं।
मदद की चेन तोड़ना नहीं चाहता
पांच साल की उम्र में मलेश्वर राव को सड़क किनारे स्टालों में बाल मजदूरी करते एक समाज सुधारक ने देखा। उन्होंने मल्लेश्वर को सड़क से उठाकर शिक्षा प्रदान की। मैलेश्वर राव कहते हैं, “यह मेरी कहानी का एक ऐसा भाग था जिसने मेरी पूरी ज़िंदगी बदल दी। मैं मदद की इस चेन को तोड़ना नहीं चाहता। किसी ने एक बार मुझ पर मेहरबानी कर मेरी ज़िंदगी संवारी थी। आज वही मैं इस समाज को वापस दे रहा हूं।”
शहर से भोजन एकत्र कर दैनिक आधार पर लगभग हज़ारों गरीबों को खाना खिलाने और मदद की चेन को आगे बढ़ाने के लिए The Logically मल्लेश्वर राव का धन्यवाद करता है।