आम को फलों का राजा कहा जाता है जिसके लिए लोगों को साल भर का वक्त देना पड़ता है। तब जाकर उन्हें अपना पसंदीदा आम खाने को मिलता है। परंतु सदाबहार नाम के आम की प्रजाति पूरे साल फल लगते है। ऐसे में क्या आप ये नहीं जानना चाहेंगे कि इसको विकसित किसने किया। वह किसान हैं 53 वर्षीय श्रीकिशन सुमन जिन्होंने इसको विकसित किया।
स्थिति सही ना होने के कारण शुरू की खेती
उन्होंने अपनी शिक्षा संपन्न करने के बाद खेती का चयन किया। उनके घर की स्थिति बेहतर नहीं थी इसीलिए उन्होंने 11वीं तक शिक्षा हासिल की। उन्होंने पहले यहां पारंपरिक फसलों को लगाया और फिर फूलों तथा आम की बुआई की। आमदनी बेहतर हो इसके लिए उन्होंने फूलों में गुलाब को लगाया। आम में उन्होंने देशी किस्म की बुआई की।
लगा 15 वर्ष साल का वक़्त
इस पौधे में साल भर मंजर आया करते थे उन्होंने इसी से पांच कललों का निर्माण किया और फिर सदाबहार को विकसित करने लगे। सदाबहार को अच्छी तरह विकसित करने में उन्हें लगभग 15 साल का वक्त लगा। यह एक बौनी किस्म का पौधा है जिस कारण किसी बेहद आसानी से अपने गार्डन में लगा सकते हैं। अगर हम इसके स्वाद की बात करें तो यह लंगड़ा किस्मों के आम की तरह ही होता है। आप चाहे तो इसे गमले या ग्रो बैग में लगा सकते हैं। इस किस्म के पौधे में आपको जनवरी-फरवरी, जून-जुलाई तथा सितंबर-अक्टूबर माह में उत्पादन मिल जाएगा यानि आप साल में तीन बार फल प्राप्त कर सकते हैं।
मिला 8 हज़ार ऑर्डर
आंकड़ों के मुताबिक उन्हें इस किस्म को विकसित करने के बाद लगभग 4 माह में ही 8000 से अधिक आर्डर मिले। जो आंध्र प्रदेश बिहार गोवा केरल छत्तीसगढ़ हिमाचल प्रदेश गुजरात हरियाणा उड़ीसा पंजाब तमिलनाडु त्रिपुरा हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड दिल्ली चंडीगढ़ उत्तराखंड त्रिपुरा कर्नाटक गोवा बिहार आदि का नाम शामिल रहा। सदाबहार का यह किस्म आपको राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन में भी मिलेगा।
मिला है मान्यता
उन्होंने यह पौधा राजस्थान तथा मध्य प्रदेश के कृषि विज्ञान केंद्रों में भी लगाया है। इसके अतिरिक्त वह स्वयं राजस्थान गुजरात मध्यप्रदेश आदि शहरों में इसकी कलमों का सप्लाई कर चुके हैं। अपने इस किस्म को विकसित करने के लिए उन्हें नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन से मान्यता भी मिली है। इसके अतिरिक्त उन्हें इसके लिए बहुत जगहों से सुविधा भी मिली है।
मिला है सम्मान
इस किस्म की फील्ड टेस्टिंग भी हुई है। अब आगे इसके लिए पंजीकरण की प्रक्रिया प्रारंभ है। सदाबहार किस्म के पौधे को विकसित करने हेतु उन्हें एनआईए का नौवा राष्ट्रीय तृणमूल नवप्रवर्तन तथा विशिष्ट पारंपरिक ज्ञान पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा उन्हें खेती तथा गार्डनरिंग के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन के लिए अच्छा तवज्जो भी प्राप्त है।