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दिव्यांग शिक्षक के हौसले को सलाम, कोरोनकाल में घर-घर जाकर बच्चों को पढा रहे हैं ।

शिक्षक हमारे जीवन में अहम भूमिका निभाते हैं। शिक्षक ही हमारे जीवन को उज्जवल भविष्य देते हैं। प्राचीन भारतीय सभ्यता के अनुसार शिक्षक (गुरु) को भगवान का दर्जा दिया गया है। संस्कृत में भी श्लोक है- गुरुर ब्रह्मा गुरुर विष्णु , गुरुर देवो महेश्वरः , गुरुर साक्षात परम ब्रह्म , तस्मै श्री गुरुवे नमः। एक शिक्षक ही अपने विद्यार्थी को सत्य के मार्ग पर चलना सिखाता है। आज की यह कहानी एक विकलांग शिक्षक की है जो इस कोविड-19 के समय में भी अपने बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए उनके घरों में जाकर उनकी पढ़ाई को जारी रखे हुए हैं।

मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के एक असमान्य शिक्षक ने अपने विद्यार्थियों को पठनपाठन कार्यों से जोड़े रखने के लिए उनके घरों में जा कर उन्हें शिक्षा प्रदान कर रहें हैं। कोरोना संक्रमण काल में स्कूल बंद हो जाने के कारण उनके बच्चों को शिक्षा से वंचित ना रहना पड़े इसीलिए यह इस कार्य में लगे हुए हैं।

रामेश्वर नगरिया

मध्यप्रदेश सरकार (MadhyaPradesh Goverment) ने पढ़ने के लिए एक योजना का निर्माण 7 जुलाई को किया है। इस योजना का नाम “अपना घर अपना विद्यालय” रखा गया है। इस योजना के अनुसार बच्चे अपने घर पर रहकर पढ़ाई के नियमों का पालन करते हुए पढ़ाई कर सकते हैं। रामेश्वर नगरिया नहीं चाहते हैं कि उनके बच्चे पढ़ाई से वंचित रहे। इसीलिए वह प्रत्येक दिन अपने विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए उनके घर जाते हैं।

बच्चों के पास ऑनलाइन क्लास की नहीं है व्यवस्था

इस विकट परिस्थिति में भी मंदसौर (Mandsaur) के एक विकलांग शिक्षक रामेश्वर प्रत्येक दिन अपने विद्यार्थियों को बिना किसी लालच और खोंट के शिक्षा प्रदान कर रहें हैं। उनके विद्यार्थियों के पास ऑनलाइन क्लास की सुविधा नहीं है। इसीलिए यह विद्यार्थी भी अपने शिक्षक का बेसब्री से पढ़ने के लिए इंतजार करते हैं। शिक्षक जब बच्चों के पास जाते हैं तो उन्हें जिस स्थान पर सीट मिलता है बैठने के लिए वहां बैठ वह अपनी पढ़ाई शुरू कर देते हैं।

7 जुलाई से हैं कार्यरत

एक रिपोर्ट के अनुसार रामेश्वर ने बताया कि वह 7 जुलाई से अपने विद्यार्थियों को शिक्षा देने के लिए कार्यरत है। वह प्रतिदिन सुबह 10:00 से 1:00 बजे तक अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए घर से निकल जाते हैं। वह विभिन्न क्षेत्रों में जा कर बच्चों को शिक्षा देते हैं। वह प्रतिदिन बच्चों को उनके होमवर्क पूरा कराने के बाद अगले दिन का कार्य दे कर चले जाते हैं।

एक शिक्षक समान्य व्यक्ति ना होने के बावजूद भी बिना किसी लालच के अपने विद्यार्थियों को ईमानदारी के साथ इस कोरोना काल में भी पढ़ाने के लिए तत्पर है, यह कार्य वंदनीय है। एक ईमानदार शिक्षक होने के साथ और अपने बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए The Logically इनको नमन करता है।

Khushboo loves to read and write on different issues. She hails from rural Bihar and interacting with different girls on their basic problems. In pursuit of learning stories of mankind , she talks to different people and bring their stories to mainstream.

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