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देहरादून: आम का एक ऐसा पेड़, जिसपर लगेंगे 45 किस्मों के आम

हम सभी ने कई प्रकार के पेड़-पौधे के बारे में देखा है, जाना है और सुना है। अभी तक हम सभी सिर्फ यही देखते आए हैं कि एक फलदार पेड़ पर केवल एक ही किस्म का फल लगता है। उदाहरण के लिये कटहल के पेड़ पर कटहल का फल, अमरूद के पेड़ पर अमरूद, आम के पेड़ पर आम ऐसे ही कई तरह के फलों के पेड़ हैं जिसपर सिर्फ एक ही प्रजाति का फल उगता है। आज हम आपको एक ऐसे आम के पेड़ के बारे में बताने जा रहे हैं जिसपर एक साथ 45 किस्मों के आम के फल लगते हैं।

शायद आप इस बात पर भरोसा नहीं करेंगे लेकिन यह सत्य है। देहरादून के सर्किट हाउस स्थित उद्यान विभाग के राजकीय उद्यान और उससे सटे मुख्यमंत्री आवास में आम और लीची के सौ वर्ष पुराने पेड़ों को जीर्णोद्धार कर फिर से नया बनाया गया है। इसके साथ ही आम के पेड़ पर नया प्रयोग करने का भी विचार किया गया, जिससे इसके जीर्णोद्धार के बाद पेड़ों पर फुटने वाले कल्लों पर आम की भिन्न-भिन्न प्रकार के किस्मों की ग्राफ्टिंग की गई है।

mango tree

राजकीय उद्यान के प्रभारी दीपक पुरोहित ने बताया कि लखनऊ के साथ अन्य जगहों पर भी ऐसे प्रयोग सफल हो चुके हैं। इसी सफल प्रयोग को ध्यान में रखते हुए यहां भी सौ वर्ष पुराने पेड़ों पर ऐसा प्रयोग करने का निश्चय किया गया। इसके तहत राजकीय उद्यान और मुख्यमंत्री आवास में पेड़ों का चुनाव किया गया। मुख्यमंत्री आवास में एक पेड़ पर 42 किस्मों की ग्राफ्टिंग की गई तथा राजकीय उद्यान में एक पेड़ पर आम की 45 प्रजातियों का ग्राफ्टिंग किया गया है। इनमें अरुणिमा, अरुनिका, सूर्या, अम्लिका, लालिमा, मल्लिका, निलय, आमृपाली जैसी किस्में लगाई गई हैं। इनकी बढोतरी भी अच्छी तरह से हो रही है। आने वाले समय में उन पेड़ों पर तरह-तरह किस्म के आम के फल उगने लगेंगे। आपको बता दें कि इस सफल प्रयोग से प्रभावित होकर उद्यान महकमे ने एक आम के पेड़ पर 200 किस्मो की ग्राफ्टिंग करने का फैसला किया है।

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दीपक पुरोहित ने बताया कि वैसे पेड़ काफी तेजी से बढ रहे हैं जिसपर ग्राफ्टिंग की गई है। आने वाले 3 वर्षों में यह फल भी देने लगेंगे। अर्थात 3 वर्ष बाद तरह-तरह किस्मों के आम के फल आने लगेंगे। इसके अलावा दीपक ने कहा कि राजकीय उद्यान और मुख्यमंत्री आवास परिसर में आने वाले अगले एक वर्ष में एक-एक पेड़ पर आम की 200 से अधिक प्रजातियां लगाई जाएंगी।

राजकीय उद्यान और मुख्यमंत्री आवास परिसर स्थित गार्डेन में मौनपालन पर भी काफी ध्यान रहेगा। इससे फायदा यह होगा कि शहद के रूप मे आमदनी के साथ-साथ फलों का उत्पादन भी बढ़ेगा। इसका कारण यह है कि परागण में मधुमक्खियाँ एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।

यह बेहद हर्ष की बात है कि हमारा देश अब इस पेड़ पर तरह-तरह किस्मों के फल का उत्पादन कर सकने में भी आगे बढ रहा है।

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