Wednesday, December 13, 2023

महज 8वी पास इस युवक ने अनेकों झीलों और तालाबों को पुनर्जीवित कर दिया, इलाके के जल संकट को दूर कर बने प्रेरणा

जल ही जीवन है, इसके बिना जीवन की कल्पना करना भी व्यर्थ है। इसकी एक-एक बूंद बेहद कीमती है। आनेवाले समय में विश्व के सामने पेयजल का संकट गहराता जा रहा है, ऐसे में इस संकट से बचाव हेतु जल संरक्षण (Water Conservation) बहुत ही जरुरी है। हालांकि, हमारे समाज में ऐसे भी लोग मौजूद हैं जिन्होंने जल के महत्व को समझते हुए उसके संरक्षण हेतु अपनी भागीदारी निभा रहें हैं और दूसरें के लिए भी प्रेरणा की मिसाल पेश कर रहे हैं।

उन्हीं कुछ लोगों में से एक नाम है मणिकंदन जी (Manikandan R) का, जिन्होंने प्रकृति प्रेम और मानव जीवन के लिए जल की उपयोगिता को समझते हुए जल संरक्षण (Water Conservation) में अपनी भूमिका निभा रहे हैं। तो आइए जानते हैं मणिकंदन और जल को बचाने हेतु किए गए प्रयासों के बारे में विस्तार से-

20 वर्षों से कर रहे तालाबों और नदियों का जीर्णोद्धार

मणिकंदन आर (Manikandan R) तमिलनाडू के कोयंबटूर (Coimbatore) शहर के रहने वाले हैं। आज की स्थिति में सम्पूर्ण भारत जल संकट की स्थिति से गुजर रहा है जो एक गम्भीर समस्या बनती जा रही है। इस परिस्थिति का संज्ञान लेते हुए मनिकन्दन बीते 20 वर्षों से सूखे तालाबों, बावड़ी, नदियों और झीलों आदि को फिर से नया जीवनदान दे रहे हैं। भारत में ऐसी कई जगहें हैं जहां गर्मी के दिनों में पानी का स्तर नीचे चला जाता है या फिर पानी सूख जाता है, जिससे अनेकों लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यही हाल मनिकन्दन के इलाके में भी हुआ और कुछ वर्ष पूर्व उनके क्षेत्र के सभी कुओं के पानी का स्तर सुखते गया और परिणामस्वरुप पानी की किल्लत बढ़ गई।

एक कारण ने बदल दिया जिंदगी का ऊद्देश्य

एक इंटरव्यू के दौरान मणिकंदन ने बताया कि, उस दौरान अधिकांश ग्रामीण लोग कुओं के जल पर निर्भर थे, क्योंकि सभी लोग आज के समय मे भी आर्थिक रूप से उतने मजबूत नही हैं कि निजी खर्च से बोरिंग या बोरवेल खुदवा पाएं। ऐसे में जब पानी सूखने लगा तो गांव के लोगों की मुश्किलें बढ़ने लगीं। सभी दूर-दूर से पानी लाने और गर्मियों के सीजन में ऐसे ही अनेकों प्रकार की समस्याएं ग्रामीण लोगों के लिए एक कठिन चुनौती बनते जा रहा था। इस समस्या से परेशान तो हर ग्रामीण था लेकिन इसके पीछे की वजह के बारें में किसी को जानकारी नहीं थी। किसी ने सही कहा है, जल जीवन का आधार है, यदि जल की कमी होने लगे तो मानव जीवन तबाही की ओर जा सकता है।

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शुरु किया जलस्त्रोतों को बचाने का काम

जब कुएं सूखने लगे और गांव के लोग इस समस्या से जूझ रहे थे, उस दौरान मणिकंदन (Manikandan R) महज 17 वर्ष के थे, इतनी कम उम्र के बाद भी उनकी समझ अन्य लोगों के मुकाबले काफी बेहतर थी। इस आपदा से छुटकारा पाने के लिए उन्होंने इस समस्या के जड़ तक पहुंचने की कोशिश करनी शुरु कर दी। बहुत अधिक जांच-पड़ताल करने के बाद यह पता चला कि पास की एक नहर और उससे लगभग 2 से 4 किमी दूर बने दो डैम का पानी सूख चुका था। साथ में यह भी जानकारी मिली कि चेक डैम टूटने के वजह से इस बार वर्षा का पानी इकट्ठा नही हो पाया था, जिसके वजह से गर्मियों में नहर और कुएँ सूख गए। इन सभी समस्याओं पर जोर देने के बाद मणिकंदन ने वर्ष 2000 में इस परेशानी का हल ढूंढ निकाला और उसी के साथ अन्य जल के स्त्रोतों जैसे तालाब, बावड़ी, कुआं, झरना और नदी आदि को बचाने की नेक पहल शुरु कर दिया।

Manikandan r revives many water bodies in Coimbatore
Water body revival in process

नहीं हैं अधिक पढ़े-लिखें

आपको जानकर हैरानी होगी कि पर्यावरण के प्रति संजीदगी और मानव कल्याण के लिए जीने वाले मणिकंदन महज आठवीं तक की पढ़ाई किए हैं। लेकिन अक्सर देखा जाता है कि पढ़े लिखे लोग भी पर्यावरण के प्रति कम संजीदा होते हैं और उन्हें प्रकृति से कोई लेना-देना नही होता है। कम शिक्षित होने का अर्थ यह नहीं है कि वे पढ़ने में अच्छे नहीं थे या फिर पढ़ाई में उनका मन नहीं लगता था। दरअसल, घर की आर्थिक स्थिति सही न होने के वजह से उन्हें अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। इतना कम पढ़ा-लिखा होने के बावजूद भी वे अपनी सोच से इस पर्यावरण को बचाने और जन कल्याण के लिए हमेशा तत्पर हैं, जो बेहद प्रशंसनीय है।

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कई प्रकार के सामाजिक कल्याण में लिप्त हैं मणिकंदन और उनकी संस्था

मणिकंदन (Manikandan R) ने आठवीं तक की शिक्षा पूरी करने के बाद एक वर्कशॉप में ट्रेनि के रूप में काम किया। उसी दौरान गांव में जल समस्या का समाधान करने के बाद में उन्होंने सोचा कि, क्यों न इस काम को आगे बढ़ाया जाए। बाद में उन्हें अधिकारियों की भी सहायता मिलने लगी और बहुत सारे लोगों की परेशानियों का हल निकलता गया।

जैसे-जैसे समाजिक कार्यों में उनकी दिलचस्पी बढ़ती गई, वे पौधें लगाना, पुराने जल के स्त्रोतों की मरम्मत, तथा नए जल स्त्रोतों का निर्माण आदि नेक कार्य करने लगे, मानों जैसे यह करना उनका एक लक्ष्य बन गया था। मणिकंदन ने इस कार्य के लिए एक संस्था का निर्माण किया। हालांकि, जिस प्रकार किसी भी नेक कार्य को इन्सान अकेले ही शुरु करता है, उसी प्रकार आरंभ में इस काम में मणिकंदन भी अकेले थे। लेकिन जैसे-जैसे समय बदलते गया उनके इस मिशन से लोग जुड़ते चले गए।

Manikandan r revives many water bodies in Coimbatore

अन्य कई प्रकार के गतिविधियों में सक्रियता से करते हैं कार्य

एक इंटरव्यू के दौरान 39 वर्षीय मणिकंदन ने बताया कि, वह पिछले 20 से अधिक वर्षों से जनकल्याण के उत्थान में लगे हैं। उसके कुछ समय बाद उन्होंने समुदायों से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने की दिशा में आगे बढ़ें और धीरे-धीरे कई प्रकार के सामाजिक कार्य करने लगे।

बता दें कि, वर्तमान में मणिकंदन का समूह दिव्यांगों और वरिष्ठ नागरिकों की मदद करने का काम करता तथा साथ ही अन्य कई गतिविधियों (जनसंख्या गणना, सांस्कृतिक कार्यक्रम, मतदाता सूची, रक्तदान शिविर आदि) में इनका संगठन बहुत ही सक्रियता से कार्य कर रहा है।

जल योद्धा पुरस्कार से हो चुके हैं सम्मानित

वर्तमान में उनके “कोवई कुलंगल पाधुकप्पू अमैप्पू” (कोयंबटूर तालाब संरक्षण संगठन) नामक NGO में विद्यार्थियों और प्रोफेशनल्स समेत 100 लोग बहुत ही सक्रियता के साथ तालाबों, नदियों, नहरों, झीलों और चेक डैम आदि की साफ-सफाई में सम्मिलित हैं। उनके NGO का मुख्य ऊद्देश्य कोयंबटूर और उसके आसपास स्थित जलस्त्रोतों को पुन: जीवित करना है। अपने इस नेक कार्यों के लिए मणिकंदन कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं। वहीं उन्हें जल शक्ति मंत्रालय द्वारा “जल योद्धा पुरस्कार” से भी सम्मानित किया गया है।

मणिकंदन आर (Manikandan R) के प्रयासों से आज कई जलस्त्रोतों की रौनक लौट आई है और लोगों की समस्याएं भी कम हो रही है। यदि अन्य लोग भी मणिकंदन की तरह ही पर्यावरण सरंक्षण (Environment Protection) के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझे तो आनेवाले समय में मानव जीवन पर गहराता जल संकट समाप्त हो जाएगा।

The Logically, मणिकंदन आर को उनके कार्यों के लिए उनकी प्रशंशा करता है।