कोरोना महामारी के दौरान अनेकों लोगों की नौकरी चली गई जिसके विदेश में कार्यरत लोग अपने देश और देश में नौकरी करनेवाले लोग अपने-अपने गांव वापस लौट आए। हालांकि, नौकरी छूटने के बाद बहुत सारे लोगों ने अपने-अपने हुनर की पहचान कर खुद का बिजनेस शुरु किया है आज अच्छी-खासी कमाई कर रहे हैं। कुछ ऐसी ही कहानी है मनीषा की, जो कोरोना में विदेश की नौकरी छोड़ वापस अपने देश लौट आईं और यहां ही मिट्टी का घर बना रही हैं।
विदेश की नौकरी छोड़ बना रही हैं मिट्टी के घर
मनीषा ठाकुर (Manisha Thakur), हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के धर्मशाला की रहनेवाली हैं। कोरोना से पहले वह दुबई (Dubai) में कॉर्पोरेट कम्पनी में नौकरी करती थीं जहां उन्हें अच्छी-खासी सैलरी मिलती थी। लेकिन महामारी फैलने के दौरान वह आपस अपने देश भारत लौट आईं। यहां लौटने के बाद मनीषा मिट्टी के घरों (Mud Houses) का निर्माण कर रही हैं जो सीमेंट के घरों की तुलना में अधिक टिकाऊ हैं।
कैसे आया मिट्टी के घर बनाने का विचार?
30 वर्षीय मनीषा कहती हैं कि, विदेश से भारत वापस लौटने के बाद उन्होंने देखा कि उनके घर के बगल में एक गौशाले का निर्माण किया जा रहा था जहां वे भी काम में हाथ बटा रहीं थीं। उसी दौरान उनके मन में विचार आया कि क्यों न मिट्टी से ईंट बनाकर घरों का निर्माण किया जाए। इसी विचार से मिट्टी के ईंटों से घर बनाने के सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने इसपर शोध करना शुरु कर दिया।
हालांकि, मिट्टी के ईंट का इस्तेमाल करके घर बनाने के लिए प्रशिक्षण की जरुरत थी। ऐसे में उन्होंने जानकारी इकट्ठी शुरु की कि भारत में कहां-कहां इसके लिए ट्रेनिंग दिया जाता है और कहां पर ऐसे घरों का निर्माण हो रहा है। काफी जांच-पड़ताल करने के बाद उन्हें पता चला कि तमिलनाडु में इस कार्य के लिए प्रशिक्षण दिया जाता है। उसके बाद वह तमिलनाडु जाकर ट्रेनिंग पूरी की और उस दौरान उन्होंने एक वर्ष तक मिट्टी के कई घरों का निर्माण किया।
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गांववालों को दिया मिट्टी से दीमक प्रूफ ईंट बनाने की शिक्षा
तमिलनाडु से ट्रेनिंग लेने के बाद वह वापस अपने घर लौट आईं और यहां आने के बाद उन्होंने सबसे पहले खुद के लिए मिट्टी के ईंटों से घर का निर्माण किया। उसके बाद अब वह थीम बेस्ड अलग-अलग घरों का निर्माण कर रही हैं। वह बताती हैं कि, उन्होंने गांवो में शुरु से ही कच्ची मिट्टी का घर बनते देखा था लेकिन उन घरों में दीमक लगने की शिकायत काफी देखने को मिलती थी। ऐसे में मनीषा ने इस बारें में गांववालों को जागरुक करने के लिए मिट्टी से दीमक प्रूफ ईंट बनाने की शिक्षा दी।
वॉल आर्ट के जरिए दर्शा रही हैं भारतीय संस्कृति और सभ्यता
प्रशिक्षण के बाद मनीषा (Manisha Thakur) ने गांव में फ्री में दीमक प्रूफ मिट्टी के ईंटों से कई घरों और गौशालाओं का निर्माण किया। उसके बाद उन्होंने मिट्टी से घर बनाने के क्षेत्र में प्रोफेशनल तौर पर काम करने का फैसला किया और इस काम में संजय सोनी और नीति थपा ने उनकी काफी सहायता की। वर्तमान में वह अपनी टीम के साथ अलग-अलग जगहों पर मिट्टी के घर बना रही हैं। इतना ही नहीं वे मिट्टी से बनाए घरों पर वॉल आर्ट के जरिए भारतीय संस्कृति और सभ्यता को भी दर्शा रही हैं।
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कैसे तैयार करती हैं मिट्टी से दीमक प्रूफ ईंटे?
मिट्टी से ईंट बनाने के बारें में मनीषा बताती हैं कि इसे बनाने के लिए गुड़, गौमूत्र, गोबर, हरड़ और नीम के पानी समेत भूसा और चूना का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा इसे बनाने के लिए सबसे पहले जहां मिट्टी के घर का निर्माण करना होता है वहां गड्डा खोदा जाता है और तब ईंट बनाया जाता है। उसके बाद जब मिट्टी की ईंटे तैयार हो जाती हैं तब घर का निर्माण कार्य शुरु किया जाता है। हालांकि, इनसबसे पहले मिट्टी में पानी और डस्ट की जांच की जाती है।
सामान्य घरों की तुलना में मिट्टी का घर होता है अधिक टिकाऊ
मनीषा ने बताया कि, कंक्रीट और ईंट से बने घरों की तुलना में मिट्टी के घर अधिक टिकाऊ और मजबूत होते हैं। इतना ही नहीं रेत और सीमेंट से बनने वाले घरों की अपेक्षा मिट्टी के घर 30 फीसदी कम खर्च में बनकर तैयार हो जाता है। इसके आलावा मिट्टी के घर का तापमान बाहरी दुनिया से 8 डिग्री कम होता है तथा साथ ही यह इको-फ्रेंडली (Eco-Friendly Mud House) भी होता है। वह कहती हैं कि मिट्टी की ईंटों से बने घरों में दीमक की समस्या नहीं होती है और इन घरों का निर्माण वैज्ञानिक तरीके से किया जाता है।