गुजरात का एक ऐसा किसान जिसकी कहानी आज हम सभी के बीच काफी लोकप्रिय बन चुकी है, मनसुख दुधात्रा द्वारा किए गए शरीफे की खेती को आज कौन नही जानता है।
कौन हैं मनसुख दुधात्रा ( Who is Mansukh Dudhatra)
ये कोई पहली बार नहीं है जब गुजरात के किसानों की उपलब्धियों की चर्चा हो रही है. वीरपुर गुजरात के मनसुख दुधात्रा ने सफलता के नए कीर्तिमान को स्थापित किया है. इन्होंने तकरीबन 5 साल पहले सीताफल जिसे शरीफा भी कहा जाता है की खेती को शुरू किया था. तब उन्होंने इस खेती के लिए तकरीबन 10 हजार रुपए का निवेश किया था, और आज उन्हें उसी खेती से 10 लाख रुपए के मुनाफे की प्राप्ति हो रही है. आइए जानते हैं कैसे –
आमदनी थी कम,आमदनी बढ़ाने के लिए उठाया ये कदम
जब उन्होंने इस सीताफल की खेती की शुरुआत की तब वो केवल देसी सीताफल ही उगाया करते थे. देसी सीताफल की खेती में उत्पादन और आमदनी दोनो ही कम थी. इस स्थिति को देखते हुए मनसुख जी ने कुछ नए उपायों को अपनाया और अब उन्होंने सीताफल की हाइब्रिड किस्म की खेती को करने की ठानी. इसके लिए उन्हें शुरुआती लागत 10 हजार रुपए की आई. इस हाइब्रिड तकनीक के कारण अचानक से उत्पादन की मात्रा में बढ़ोतरी आ गई. अब 1 किलो से भी ज्यादा के वजन के सीताफल का उत्पादन होने लगा.
कैसा है मनसुख जी का बागान ( How is Orchard Site)
इस हाइब्रिड सीताफल की खेती की वजह से अब 10 लाख से ज्यादा का मुनाफा होना शुरू हो गया. आपको बता दें कि फिलहाल मनसुख 10 बीघा जमीन में बागवानी करते हैं और उसमें शरीफा की खेती ज्यादा की जा रही है. अपनी आगे की योजना के बारे में बात करते हुए बताते हैं कि वे इसे और बढ़ाने जा रहे हैं. और तो और वो यहीं नहीं रुकते उनका कहना है कि उनके पास शरीफा की देसी और हाइब्रिड सहित कई तरह की वैरायटी मौजूद हैं. इन वैरायटी में 900 हाइब्रिड किस्म के पेड़ हैं और काफी देशी किस्म वाले भी हैं.
गुणवत्ता और बिक्री (Quality and Sale)
अब बात करते हैं जरा उनकी बागवानी के बारे में. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि उनके बागान से प्रत्येक दिन 35 से 40 किलोग्राम शरीफा निकलता है. इस शरीफे को वो बाजार में लगभग 40 रुपए से लेकर 120 रुपए तक प्रति किलो बेच रहे हैं. शरीफे के भंडारण की स्थिति को लेकर उन्होंने कहा कि देशी शरीफा 2 से 3 दिन तक चलता है. जबकि हाइब्रिड का किस्म 10 से 15 दिनों तक पूर्ण रूप से सुरक्षित रहता है. सर्दियों में तो फल वैसे भी कम ही खराब होते हैं.
मनसुख जी बेटे भी लगे हैं इसी काम में (Family is involve in this Business)
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अब मनसुख जी के दोनो बेटों ने भी इस काम को संभाल लिया है. उनके दोनो बेटे पढ़े -लिखे हैं. उनके दोनों बेटों ने नौकरी न कर इसी काम को अपना लिया है. उनके दोनो बेटों ने मिलकर एक नर्सरी को भी तैयार कर लिया है. चूंकि उनके दोनो बेटे पढ़े -लिखे हैं इसलिए उन दोनों ने इसकी मार्केटिंग पर भी काफी काम किया जिसका परिणाम इसकी बिक्री पर दिखाई देता है.
हाइब्रिड शरीफे की विशेषता (Characteristics of Hybrid Custard Apple)
मनसुख दुधात्रा के बेटे केतन के अनुसार, शरीफा की कई किस्में उनके खेत में पैदा होती हैं. उन किस्मों में 1-1 किलो वाले बड़े आकार वाले शरीफा हैं. आपको बता दें कि उसमें देसी शरीफा के मुकाबले कम बीज होते हैं. ऐसे 1 किलो हाइब्रिड शरीफा में 15-20 बीज होते हैं, जबकि देसी शरीफा में 35 से 40 बीज होते हैं. खाने में वो काफी स्वाद भी लगते हैं…इसलिए उसकी मांग भी ज्यादा है. केतन ने भी इस बात को बताया इन सारे उपायों से ही अब हमारी सालाना आमदनी 10 लाख रुपए का गया है. इस मुनाफे में मार्केटिंग स्ट्रेटजी का बहुत बड़ा योगदान है. अब इनके शरीफे की मांग न केवल भारत में अपितु दुबई में भी बहुत है.
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