गर्मियों के मौसम में सभी ठंडी-ठंडी चीजों का सेवन करना चाहते हैं, विशेषतः ठंडे पानी जब तक न पियें गले की प्यास नहीं बुझती है। ऐसे में लोग फ्रिज के पानी का सेवन करते हैं जो ठंडा तो होता है लेकिन हमारे स्वास्थ्य के लिए नुक्सानदायक होता है। इसके अलावा यदि देखा जाएं तो NFHS 5 के आंकड़ों के अनुसार सिर्फ 37% लोगों के पास ही फ्रिज है। इस आंकड़े को देखते हुए एक शख्स ने ऐसे फ्रिज (Mitticool Refrigerator) का निर्माण किया है जो सस्ती और इकोफ्रेंडली होने के साथ-साथ उसमें फल और सब्जियों को भी कई दिनों तक ताजा रखता है।
कौन है वह शख्स?
हम बात कर रहे हैं मनसुखभाई प्रजापति (Mansukhbhai Prajapati) की, जो गुजरात के रहने वाले हैं और कुम्हार जाति से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने बिजली के बगैर चलने वाला फ्रिज का आविष्कार किया है जो पर्यावरण के अनुकूल है और फल, दुध, सब्जियों को कई दिनों तक फ्रेश रखता है। इसके अलावा वे पारम्परिक तरीके छोड़ नई तकनिक से मिट्टी के बर्तन बनाते हैं।
मनसुखभाई 10 विं कक्षा तक की पढ़ाई की है लेकिन मैट्रिक की परीक्षा में असफल रहे हैं। कुम्हार समुदाय से आने के कारण उनका परिवार आरम्भ से ही मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करता था। एक कुम्हार का जीवन कैसा होता है यह किसी से छिपा नहीं है। वह बताते हैं कि मिट्टी के बर्तन बनाने के लिए उनकी माँ सुबह उठकर मिट्टी लाती थी जिससे उनके पिता और बाकी परिवार मिलकर बर्तन बनाते थे। हालांकि, जिस तरह की मेहनत थी वैसी आमदनी नहीं हो पाती थी, जिससे घर की स्थिति भी अच्छी नहीं थी।
10 वीं कक्षा में हुए फेल
हर माता-पिता की ख्वाइश होती है कि उसका बेटा-बेटी पढ़-लिखकर समाज में उसका मान-सम्मान बढ़ाएँ और एक बेहतर जीवन यापन करे। मनसुख के पैरंट्स भी यही चाहते थे लेकिन मनसुख उनकी भरोसे पर कायम नहीं उतर सके। वे 10 कक्षा की परिक्षा में असफल रहे, परिणामस्वरुप उन्होंने पढ़ाई जारी न रखने का निर्णय लिया।
घर की स्थिति अच्छी नहीं थी और मनसुख आगे की पढ़ाई ना करने का फैसला कर चुके थे। ऐसे में सिर्फ 15 वर्ष की उम्र में ही उनके पिता द्वारा खोली गई चाय की दुकान पर वे काम करने लगे। वह बताते हैं कि, एक बार उनके यहां खपरैल बनाने वाली कम्पनी के मालिक चाय पीने आया। अब कौन जानता था कि यह उनके जीवन का टर्निंग प्वाइंट था। खपरैल बनानेवाली फैक्ट्री के मालिक ने उन्हें अपने यहां काम करने का प्रस्ताव दिया।
कैसे आया खुद का बिजनेस शुरु करने का विचार
हालांकि, उस कंपनी में काम करने के उन्हें सिर्फ 300 रुपये दिया जाता था। ऐसे में उनके मन में खुद का बिजनेस शुरु करने का ख्याल आया जिसे शुरु करने के लिए वे एक सेठ से 50 हजार की बड़ी रकम उधार के रूप में मांग किया। घर की गरीबी हालत को देखते हुए उनके परिवारवाले इस बात से सहमत नहीं थे, इतनी बड़ी रकम को चुका पाने का ख्याल उन्हें सता रहा था। लेकिन मनसुखभाई ने खुद का बिजनेस शुरु करने का फैसला कर लिया, जिसके परिणामस्वरुप परिवारवालों की परेशानी देखने के बाद भी उन्होंने 30 हजार रुपये उधार लिया और व्यवसाय शुरु किया।
उन्होंने इस व्यवसाय की शुरुआत में प्रदूषण को कम करने के लिए सबसे पहले तवे का निर्माण किया। उसके बाद उन्होंने 2,200 स्क्वायर फीट भूमि पर अपना व्यवसाय सेटअप किया। मनसुखभाई ने 2 सालों की कठीन मेहनत के बाद सफलता हाथ लगी और उन्होंने मिट्टी का वाटर प्युरिफायर (Water Purifier) का आविष्कार किया। धीरे-धीरे उनका बिजनेस अभी रफ्तार पकड़ ही रहा था कि वर्ष 2001 में गुजरात में एक भूकंप आया जिसमें उन्हें काफी क्षति हुई। उस घटना के बाद ही उनके मन में बिना बिजली से चलने वाले मिट्टी के फ्रिज का आविष्कार करने का विचार किया।
मनसुखभाई में विचार किया कि क्यों ना मिट्टी से ऐसे बर्तन बनाया जाए, जिसे चलाने के बिजली की जरुरत न पड़ें और जिसमें फल और सब्जियां ताजी रह सके। साथ ही वे यह भी चाहते थे कि वैसी आबादी भी इसे खरीद सकें जिनके पास अधिक पैसे नहीं है। इसी सोच के साथ में आगे बढ़े और 2 वर्षों के लंबे समय के बाद उन्होंने मिट्टी के फ्रिज (Mitticool Fridge) बनाने में सफलता हासिल की।
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फ्रिज की विशेषता
जैसा कि आप जानते हैं, फ्रिज का काम उसमें रखें सामानों की ताजा रखना है। मनसुखभाई द्वारा बनाए गए मिट्टी का फ्रिज भी बिल्कुल वैसा ही है जैसे बाकी फ्रिज हैं। इसमे अंतर सिर्फ इतना है कि बाजार में मिलने वाले फ्रिज की किमत काफी अधिक है जिसे हर कोई खरीदने में सक्षम नहीं है और जो स्वास्थ्य के लिए नुक्सानदायक है। लेकिन मिट्टी के फ्रिज की कीमत काफी सस्ती है और इसमें भी आप 5 दिनों तक दवाई, फल और सब्जियां आदि को रख सकते हैं। Mansukhbhai Prajapati Made Clay Fridge that runs without Electricity.
शुरु की खुद की कंपनी
बिना बिजली से चलने वाले फ्रिज का निर्माण करने के बाद मनसुखभाई का मनोबल बढा और परिणामस्वरुप उन्होंने खुद की कंपनी स्थापित करने का फैसला किया। किसी बिजनेस को शुरू करने के लिए मोटी रकम की जरूरत होती है। उन्हें भी बड़ी पूंजी की जरुरत थी, जिसके लिए उन्होंने ₹700000 का लोन लिया और वर्ष 2002 में “मिट्टीकूल” (MittiCool) नाम से खुद की कंपनी स्थापित की।
कई महिलाओं को दिया रोजगार
वर्तमान में मनसुखभाई प्रजापति रसोई घर में इस्तेमाल होने वाले लगभग सभी समानो को मिट्टी से बना रहे हैं। अभी तक उन्होंने मिट्टी से 250 से अधिक सामानों का आविष्कार कर चुके हैं। इसके अलावा उन्होंने कई महिलाओं को भी रोजगार से जोड़कर उन्हें अपने पैरों पर खड़ा किया है। देश समेत विदेशों में भी मिट्टी के फ्रिज की काफी डिमांड है। बता दें कि, उनके द्वारा बनाए गए छोटे आकार के फ्रिज की कीमत 3 हजार रुपये है।
जीते कई सारे अवार्ड्स
अपने अनोखे काम के लिए मनसुखभाई कई सारे सम्मान से सम्मानीत हो चुके हैं। उन्होंने कई सारे “नेशनल अवार्ड्स” (National Awards) अपने नाम किया है साथ ही वे “पेरिस अवार्ड्स” (Paris Awards) से भी पुरस्कृत हो चुके हैं। अब वे वैसे लोगों को इस काम का प्रशिक्षण दे रहें हैं जो इस काम में रुचि रखते हैं। बता दें कि, उन्होंने अपना आविष्कार इतना तक ही नहीं बल्कि आगे भी जारी रखा है और अब गाय के गोबर से लकड़ी बनाने की ओर तैयारी कर रहे हैं।
गुजरात के “गौरव” से सम्मानित होने वाले मनसुख भाई की लाइफ और आविष्कार के बारें में अमेरिका की कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी और CBSE की 11 वीं कक्षा में चैप्टर पढ़ाया जाता है।