Tuesday, December 12, 2023

गरीब किसानों की मदद के लिए छोड़ दिये वकालत, बीज उगाने के साथ ही खोले उत्तरप्रदेश का पहला बीज गोदाम: Sudhir Agrawal

किसान का जीवन त्याग और मेहनत का जीवन है। दिन–रात मेहनत करने के बावजूद किसानों की हालत वर्तमान में बहुत खराब है। हमारे देश में किसान कहीं सूखे तो कहीं बाढ़ की समस्या से परेशान चल रहे हैं। पानी–बिजली की समस्या तथा कर्ज में डूबे मजबूर किसान आत्महत्या करने को मजबूर है लेकिन इस बदतर परिस्थिति के बाद भी कुछ होनहार किसानों का मोह भंग नहीं हुआ। वो आज भी देश के लिए दिनों–रात मेहनत करते आ रहे है। ऐसे ही एक किसान है जिन्होंने अपने साथ बाकी किसानों के लिए भी कुछ अच्छा करना शुरू किया है। आज हम बात करने जा रहे हैं सुधीर अग्रवाल (Sudhir Agrawal) की,जिन्होंने अग्रणी बीज उत्पादन में अपना एक अलग ही स्थान बना रखा है।

Farmer Sudhir Agrawal



‌कौन है सुधीर अग्रवाल (Sudhir Agrawal) :-

‌ उत्तरप्रदेश (Uttar pradesh) के मथुरा जिले के भूरेका गाँव के रहने वाले सुधीर अग्रवाल दर्शनशास्त्र में M.A तथा वकालत की डिग्री हासिल किए हैं। उन्हें देश भर में अग्रणी बीज उत्पादक किसान के रूप में जाना जाता है। उत्तर प्रदेश का पहला ग्रामीण बीज उत्पादक गोदाम के प्रबंधन में सुधीर जी का काफी योगदान है।

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‌कैसे की शुरुआत :–

‌बीज उत्पादन के पहले सुधीर अग्रवाल ने दिल्ली तथा कानपुर के कृषि अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों से परामर्श लिया। सुधीर ने 2001 में जबलपुर के कृषि वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में बीज उत्पादन शुरू किया। पहले साल 40 हेक्टेयर में बीज उत्पादन किया। सुधीर ने वकालत की डिग्री के बाद खुद पहल करके चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कानपुर से खेती की नवीनतम तकनीकों का प्रशिक्षण लिया। पंतनगर से संकर धान बीज उत्पादन (पंत संकर धान-1) की विधि पर प्रशिक्षण भी प्राप्त किया।

Farmer Sudhir Agrawal



‌किसानों के लिए सुधीर अग्रवाल का अहम योगदान:–

‌सुधीर ने वैज्ञानिकों की बताई तकनीकी अपनाया तथा उन्होंने भरपूर फसल की उपज की। शुरुआत में सुधीर अग्रवाल के तकनीकी पे किसानों को भरोसा नहीं था और उन्होंने इस से जुड़ने से मना किया, 10 सालों तक सुधीर जी ने अपना कारोबार नहीं छोड़ा तथा उसके बाद उनके साथ अभी 800 किसान जुड़े हुए हैं। अनुभवों के साथ ही कृषि वैज्ञानिकों एवं नाबार्ड के सहयोग से एक मामूली किसान से उठकर आज वह राष्ट्रीय स्तर के प्रगतिशील किसान के रूप में मशहूर हो चुके हैं। उनके खेत के उपजे फसल प्रदर्शनी के रूप में जाने जाते थे। उनकी सफलता को देखकर आसपास के गांव के किसान भी बीज उत्पादन में रुचि दिखाने लगे।

Farmer Sudhir Agrawal



‌आसपास के इलाकों के लगभग 450 किसानों ने बीज उत्पादन में सुधीर अग्रवाल का सहयोग किया:-

‌आसपास के बहुत सारे किसानों ने सुधीर को इस नेक काम में मदद किया तथा अब सुधीर पुराने आय के अलावा ₹15000 प्रति हेक्टेयर अतिरिक्त आय कमाई कर रहे है। वे कहते हैं, “शुरूआती दौर में 2001 के आसपास जब मैंने और मेरे कुछ साथियों ने ‛बीज गाँव’ के रूप में आधार-बीज का काम शुरू किया तो हमें विश्वास नहीं था कि हम इतनी जल्दी सफल हो जाएंगे। जब हमने बीज तैयार किए, उस समय खरीफ, रबी और ज्यातर फसलों के बीज किसानों को आसानी से और सस्ती दरों पर उपलब्ध नहीं होते थे।

‌सुधीर अग्रवाल ने गेहूं, सरसों, मटर, चना, मूंग, अरहर, धान, बाजरा, ग्लेडियोलस, बरसीम, जई आदि के आधार-बीज तैयार करने में कामयाबी हासिल की है। उन्होंने गेहूं और धान के कुछ ऐसे नई तकनीक के बीज का उत्पादन किया है जो पहले से बाजार में उपलब्ध नहीं था। सुधीर चौधरी के कामयाबी के बाद उनके द्वारा गठित प्रबंध सहायता समूहों की तर्ज पर पड़ोसी गांवों में भी किसान क्लब बन रहे हैं। क्लबों द्वारा किसानों की समस्या निस्तारण हेतु त्वरित कार्यवाही भी की जाने लगी है। जागरूकता बढ़ने के साथ ही मथुरा में देश का पहला ग्रामीण बीज गोदाम भी बना है। बीज उत्पादन के साथ-साथ सुधीर अग्रवाल के देसी विदेशी गाय, भैंस तथा बकरी भेड़ और उसके साथ ही साथ फूलों के भी कारोबार में लगे हुए हैं।

Farmer Sudhir Agrawal

सुधीर ने ग्लेडियोलस और रजनीगंधा के फूलों की खेती भी शुरू की, लेकिन उन्हें फूलों को बेचने के लिए दिल्ली तक जाना पड़ता है। वह मानते हैं कि अभी भी हमारे किसान भाई औषधीय खेती के लिए पूरी तरह तैयार नहीं हुए हैं, फिर भी गाँव में सवा दर्जन किसान फूलों की खेती कर रहे हैं। वे 2001 से लगातार खेतो में प्रत्येक वर्ष 400 कविंटल केंचुवा खाद का भी उत्पादन करते है। बीज उत्पादन के क्षेत्र में उन्नत कार्य करने के लिए उन्हें अब तक कई सम्मान मिल चुके हैं। नरेन्द्र-359 का अधिक उत्पादन करने पर जिले के अग्रणी किसान का सम्मान भी उन्हें मिला। 1989 से 1995 तक ग्राम प्रधान रहे सुधीर जी ने अपने कार्यकाल के दौरान ज्यादातर ध्यान कृषि क्षेत्र में ही दिया। गन्ना विकास विभाग के तरफ से भी वे उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित हो चुके है। इसके साथ ही साथ वे 2003-4 में भी ग्रामीण भारत में उद्यमिता विकास के लिए तथा 2005 में तकनीकी हस्तांतरण के सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार से सम्मानित हो चुके है।‌ खेती तथा बीज से जुड़ी समस्याओं तथा उनसे बात करने के लिए उनसे 09675371805 पर सम्पर्क किया जा सकता है।