आज के भागदौड़ में इंसान इतने व्यस्त हो चुके हैं कि अपने आसपास रहने वाले जीव-जन्तुओ के बारे में उनका ख्याल शून्य होते जा रहा है। बीते वर्षों में अनगिनत रिपोर्ट मे यह दिखाया जा चुका है कि इंसान की लापरवाही से अनेकों जीव जन्तु और पक्षियों की प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर है। हमारे दिनचर्चा से लेकर खुद के आरामदायक जीवन के लिए उठाए गए अनेकों कदम वन्य प्राणियों को विभिन्न तरह से क्षति पहुंचा रहे हैं। लेकिन इन सब के बीच कुछ ऐसे भी लोग हैं जो पक्षियों की विलुप्त होती प्रजाति को बचाने के लिए प्रयासरत हैं, जिसमें क्लब-60 के सदस्यों का योगदान सराहनीय है।
वर्तमान में गौरैया की विलुप्त होती प्रजाति से हम सभी अवगत हैं। बचपन मे हमारे घरों के घरौंदे में रहने वाली गौरैया अब कहीं दिखाई नही देती। यह परिस्थिति हम सबके लिए चिंतनीय बन चुकी है, लेकिन इस समस्या का निदान कहीं दिखाई नही देता है। इस गंभीर समस्या से निजात पाने के लिए मेरठ के क्लब-60 के सदस्यों द्वारा एक प्रयास किया जा रहा है जो सराहनीय और वंदनीय है।
क्लब-60 के सदस्य ( हरि विश्नोई व महेश रस्तोगी) ने अपने पैसे से लगभग 1000 घोंसले बनवाए थे जिन्हें अलग-अलग स्थानों पर लगाये जा चुके हैं, जिसका मुख्य मकसद गौरैया को रहने के लिए उचित स्थान देना है। The Logically से बात करते समय हरि विश्नोई ने बताया कि हम पुनः 1000 घोंसलों की व्यवस्था कर रहे हैं जिन्हें फिर से लगाया जाएगा!
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कैसे हो रहा है यह कार्य
क्लब 60 के सदस्य इन घोंसलों को बच्चों में वितरित कर रहे हैं ताकि इन्हें अलग-अलग स्थानों पर लगाया जा सके और साथ ही बच्चों में जानवरों और पक्षियों के प्रति संवेदनशीलता का विकास किया जा सके।
क्लब-60
क्लब-60 मेरठ के कुछ लोगों का समूह है उनका उम्र 60 से भी अधिक या उसके करीब है। क्लब-60 के सदस्य हमेशा सामाजिक कार्यों में अपना योगदान देते रहते हैं और समाज को बेहतर बनाने के लिए पुरजोर कोशिश करते हैं, यह समूह शिक्षा,पर्यावरण संरक्षण और जागरूकता सम्बंधित अनेकों कार्य करता है जो सराहनीय है।
The Logically, क्लब-60 के प्रयास को नमन करता है और साथ ही अपने पाठकों से अपील करता है कि वह वन्य प्राणियों के प्रति यथासंभव संवेदनशीलता दिखाएं।