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साईकिल से घूम-घूम कर लगाए करोड़ों पेड़, मिल चुका है पद्मश्री सम्मान।

सम्पूर्ण प्राणिजगत के लिए वृक्षों के महत्व को इस बात से भली-भाँति समझा जा सकता है कि हमें जीने के लिए सबसे बड़ी जरूरत ऑक्सीजन युक्त हवा इन्हीं पेड़ों से मिलती है ! ऐसे में वृक्षों का पर्याप्त मात्रा में होना बहुत जरूरी है !

एक ऐसे ही महान पर्यावरणविद् दरिपल्ली रमैय्या हैं जिन्होंने अपने पर्यावरण के कार्य को ना सिर्फ शिखरत्व प्रदान किया बल्कि उसके माध्यम से कई लोगों में प्रेरणा का संचार भी किया ! आईए जानते हैं तेलंगाना के दरिपल्ली रमैय्या जी के बारे में..

बचपन में ही हो गया था पेड़ों से लगाव।

दरिपल्ली रमैय्या तेलंगाना के खम्मम जिले के रहने वाले हैं ! बचपन में दरिपल्ली अपने मां के कामों को गौर से देखा करते थे ! उनकी मां फलों व सब्जियों के बीजों को बहुत सहेजकर रखती थी व अपने बेटे को पौधारोपण से संबंधित बातों को बताती रहती थीं ! हलांकि दरिपल्ली को अपने बचपन में खुद से लगाए पहले पौधे के बारे में कुछ भी याद नहीं पर उन्हें यह बखूबी याद है कि बचपन में वे कैसे पौधों के बीजों को जमा करते ताकि नए पौधे उगाए जा सकें ! इस तरह से कह सकते हैं कि दरिपल्ली को वृक्षों से प्यार करने की भावना विरासत में ही मिली थी! बचपन से ही पर्यावरण के प्रति उनका गहरा लगाव आगे चलकर पर्यावरण के क्षेत्र में क्रांति लाने का द्योतक था!

Source: Hindustan Times

पर्यावरण को ही बनाया अपना कैरियर

दरिपल्ली को पर्यावरण से बेहद लगाव था ! उन्होंने शुरूआती पढाई करते हुए दसवीं पास की और फिर पर्यावरण के क्षेत्र में ही कुछ करने का संकल्प लिया और पढाई छोड़ दी ! वे खुद के दम पर पर्यावरण के क्षेत्र में अपने सफर पर निकल पड़े ! उन्हें जहाँ कहीं भी रिक्त भूमि या बंजर जमीन दिखती, उन्हें बहुत दुख होता और वे उन जमीनों को पौधों से हरा-भरा बना देना चाहते थे ! यह कार्य कतई आसान न था इसलिए उन्होंने सर्वप्रथम अपने आस-पास के क्षेत्रों से यह कार्य शुरू किया ! वे जहाँ कहीं बंजर जमीन देखते उन पर निरन्तर रूप से पौधे लगा देते ! उन्हें सरकार से या किसी से भी कोई सहायता नहीं मिलती थी ! उनकी मान्यता थी कि इस कार्य के लिए उन्हें किसी की मदद की आवश्यकता नहीं है। वे खुद ही काफी हैं ! वे अपने इस रफ्तार को बिना रुके जारी रखना चाहते थे ! अपने आस-पास के क्षेत्र में सफलता हासिल कर वे बाहर भी इस कार्य को करने लगे ! वे अपनी साईकिल पर पीछे पौधे और साथ में पौधे का बीज लेकर निकल पड़ते थे ! जहाँ उनके लायक जमीन दिखती वे वहाँ पर पौधा लगा देते या फिर बीज लगा देते ! दरिपल्ली हर ओर हरियाली देखना चाहते थे ! पर्यावरण के क्षेत्र में अपनी कर्मठता और संजीदगी से दरिपल्ली ने एक मिसाल पेश की है !

Source: Internet

“ट्री मैन” के नाम से हैं मशहूर

दरिपल्ली रमैय्या ने अपनी जिंदगी पर्यावरण को समर्पित कर दिया है ! साइकिल पर पौधे और उनके बीज लेकर उसे खाली और बंजर जमीनों पर लगाने के प्रति उनकी संजीदगी और निरन्तरता उनके पर्यावरण के प्रति गहरे लगाव को दर्शाता है ! वे अब तक 1 करोड़ से भी अधिक पौधे लगा चुके हैं ! वृक्षों से इतने गहरे लगाव व उनसे प्यार के कारण वे “ट्री मैन” के नाम से मशहूर हो गए !

Source: The Better India

मिल चुके हैं कई पुरस्कार व सम्मान

पर्यावरण के क्षेत्र में अद्भुत् और अतुल्य योगदान देने के लिए दरिपल्ली रमैय्या को कई पुरस्कार मिल चुके हैं ! उन्हें 1995 में सेवा अवार्ड व 2005 में वनमित्र अवार्ड दिया जा चुका है ! 2017 में भारत सरकार ने दरिपल्ली रमैय्या जी को “पद्मश्री” सम्मान से भी सम्मानित किया !

Source: PIB Ministry, Gov Of India

पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में दरिपल्ली रमैय्या एक जीती जागती प्रेरणा हैं ! आज जब पर्यावरण दूषित हो चला है ऐसे में लोगों को दरिपल्ली जी के कदमों पर चलने की आवश्यकता है ! Logically उन्हें और उनके कार्यों को नमन करता है !

Vinayak is a true sense of humanity. Hailing from Bihar , he did his education from government institution. He loves to work on community issues like education and environment. He looks 'Stories' as source of enlightened and energy. Through his positive writings , he is bringing stories of all super heroes who are changing society.

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